इसराइली सैन्य बलों ने इस महीने की शुरुआत में उत्तरी ग़ाज़ा में अपनी कार्रवाई शुरू की, जिसमें स्थानीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है.
60 हज़ार नए सिरे से विस्थापित हुए हैं, जिनमें से अधिकाँश को आशंका है कि वे अपने घर फिर कभी नहीं लौट पाएंगे. आम फ़लस्तीनियों के ध्वस्त इमारतों के मलबे में दबे होने की आशंका है, जबकि बीमार और घायल को जीवनरक्षक स्वास्थ्य देखभाल नहीं मिल पा रह है.
उत्तरी ग़ाज़ा में फँसी आबादी को भोजन व आश्रय स्थल की भी कमी है. बड़े पैमाने पर लोग अपने परिवारों से बिछुड़ गए हैं और सामूहिक रूप से हिरासत में लिए जाने की भी घटनाएँ हुई हैं.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी के प्रवक्ता ने रविवार को उनकी ओर से एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें उन्होंने उत्तरी ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी नागरिकों की व्यथा को असहनीय क़रार दिया है.
महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया कि इसराइली सैन्य बलों की कार्रवाई की वजह से व्यापक स्तर पर तबाही हुई है और लोग अभाव में हैं, विशेष रूप से जबालिया, बेइत लाहिया और बेइत हनून इलाक़ों में.
ज़रूरतमन्द आबादी तक भोजन, दवा व अन्य मानवीय सहायता सामग्री पहुँचाने के लिए कोशिशें हो रही हैं, मगर इसराइली प्रशासन द्वारा उन्हें नकारा जा रहा है, जिससे लोगों की ज़िन्दगियों पर जोखिम है.
मौजूदा हालात की वजह से, उत्तरी ग़ाज़ा में पोलियो वैक्सीन की ख़ुराक देने के अन्तिम चरण को फ़िलहाल टाल दिया गया है, जिससे हज़ारों बच्चों के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं.
अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के प्रति बेपरवाही
यूएन प्रवक्ता ने कहा कि ग़ाज़ा में हिंसक टकराव में अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून की अनिवार्यता का ज़रा भी ख़याल नहीं रखा गया है.
इसके मद्देनज़र, महासचिव ने ध्यान दिलाया है कि सभी युद्धरत पक्षों को मानवीय सहायताकर्मियों समेत आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.
लड़ाई के दौरान भी अति-आवश्यक कार्य को जारी रखने की अनुमति देनी होगी और उसमें अवरोध पैदा करने से बचना होगा.
यूएन प्रमुख ने एक बार फिर से ग़ाज़ा में जल्द से जल्द युद्धविराम लागू किए जाने, सभी बन्धकों की बिना शर्त रिहाई और युद्ध के दौरान अंजाम दिए गए अपराधों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की पुकार लगाई है.