संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और उनके सहयोगियों सहित 27 सहायता संगठनों ने एक संयुक्त बयान में, युद्ध को तत्काल रोके जाने का आहवान किया है, और ज़ोर देते हुए कहा है कि ग़ाज़ा में हालात “सबसे ख़राब स्थितियों में से एक हो गए हैं”.
इस बीच ऐसी ख़बरें है कि गुरूवार को इसराइली सैनिक दक्षिणी ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस शहर में घुस गए, जहाँ सैकड़ों-हज़ारों विस्थापित लोग शरण लिए हुए हैं.
‘भोजन नहीं हैं. केवल बम हैं’
संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय OCHA ने कहा है कि पिछले दो दिनों से पूरे ग़ाज़ा पट्टी इलाक़े में इसराइल की सघन बमबारी और फ़िलस्तीनी सशस्त्र समूहों द्वारा इसराइल में रॉकेट दागा जाना जारी है.
उत्तरी ग़ाज़ा में जबालिया शरणार्थी शिविर में बुधवार को “अनेक आवासीय भवनों” पर इसराइली बमबारी में 100 से अधिक लोग मारे गए थे.
इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रतिनिधि समीर अब्देल जाबेर ने सोशल प्लेटफॉर्म ऐक्स पर लिखा है, “गाज़ा में लगभग किसी के पास पर्याप्त भोजन नहीं है. कुछ क्षेत्रों में, 10 में से नौ लोगों को पूरा दिन और रात को, खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला.”
उधर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने हाल ही में ग़ाज़ा से लौटने के बाद ग़ाज़ा पट्टी की स्थितियों का सारांश इस प्रकार दिया: “पानी नहीं है. कोई स्वच्छता नहीं. खाना नहीं हैं. केवल बम हैं.”
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने बुधवार को सुरक्षा परिषद से – दुर्लभ लेकिन शक्तिशाली अनुच्छेद 99 उपकरण का उपयोग करते हुए – “मानवीय आपदा को रोकने के लिए दबाव डालने” और पूर्ण मानवीय युद्धविराम की पुकार में एकजुट होने का आहवान किया.
यूएन महासचिव ने सुरक्षा परिषद को लिखे एक पत्र में, “व्यापक रूप से फ़लस्तीनियों और क्षेत्र में शान्ति व सुरक्षा के लिए सम्भावित अपरिवर्तनीय प्रभावों” पर प्रकाश डाला.
‘हमें स्वास्थ्य के लिए शांति की ज़रूरत’
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी WHO के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के पत्र के लिए समर्थन व्यक्त किया है और ज़ोर देते हुए कहा है कि “ग़ाज़ा की स्वास्थ्य प्रणाली अपने घुटनों पर है”.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हमें स्वास्थ्य के लिए शान्ति की ज़रूरत है.”
WHO ने बुधवार तक ग़ाज़ा पट्टी में स्वास्थ्य सेवाओं पर, 212 हमलों का विवरण दर्ज किया था. ग़ाज़ा के 36 अस्पतालों में से केवल 14 अस्पताल आंशिक रूप से काम कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ त्लालेंग मोफ़ोकेंग ने गुरुवार को एक बयान में, ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रणाली पर इसराइल के “निरन्तर व भीषण युद्ध” की निन्दा की.
स्वास्थ्य के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर त्लालेंग मोफ़ोकेंग ने कहा, “हम एक गहरी खाई में धँस चुके हैं, जहाँ से हमें जल्द ही बाहर निकलना होगा.”
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और वे संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं; वे अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं और उन्हें संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन भी नहीं मिलता है.
सहायता वितरण बाधित
ओसीएचए ने कहा है कि इस बीच, ट्रकों के फँसे रहने, दूरसंचार ठह होने और युद्ध के कारण रफ़ाह सीमा चौकी पर पहुँचने में कर्मचारियों की असमर्थता के कारण, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, आने वाली सहायता सामग्री को प्राप्त करने असमर्थ हैं.
ग़ाज़ा में रफ़ाह एकमात्र ऐलसा गवर्नरेट था जहाँ बुधवार को लगातार चौथे दिन सहायता वितरण हुआ, क्योंकि ओसीएचए के अनुसार, लड़ाई की तीव्रता ने पड़ोसी ख़ान यूनिस गवर्नरेट में “काफ़ी हद तक मानवीय सहायता अभियान बन्द” कर दिए.
मानवीय युद्ध-ठहराव, 1 दिसम्बर को समाप्त होने के बाद से, ग़ाज़ा वादी के उत्तरी इलाक़ों में, दक्षिणी इलाक़ों से कोई पहुँच नहीं है.
ओसीएचए ने बताया कि बुधवार को 80 सहायता ट्रक और 69 हज़ार लीटर ईंधन, रफ़ाह के रास्ते से, ग़ाज़ा में प्रवेश किया जोकि, “मानवीय युद्ध-ठहराव के दौरान प्रवेश करने वाले 170 ट्रकों और 1 लाख 10 हज़ार लीटर ईंधन के दैनिक औसत से काफ़ी कम” था.
ख़ान यूनिस में पलायन
ओसीएचए ने कहा कि ख़ान यूनिस में युद्ध ने पिछले कुछ दिनों में हज़ारों लोगों को रफ़ाह की ओर निकल जाने के लिए मजबूर किया है.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए, यूएन सहायता एजेंसी UNRWA द्वारा संचालित और पूर्वी ख़ान यूनिस गवर्नरेट में आश्रय स्थलों के रूप में काम करने वाले पाँच स्कूलों को बुधवार को, इसराइली सेना के आदेश के बाद ख़ाली करा दिया गया.
इसके अतिरिक्त, ख़ान यूनिस शहर के लगभग एक चौथाई हिस्से को, इसराइली सेना ने, तत्काल निकासी के लिए चिन्हित किया है.
रफ़ाह में, आश्रय स्थल क्षमता से अधिक भरे हुए हैं और वहाँ पहुँचने वाले लोगों को, शहर भर में सड़कों और ख़ाली स्थानों पर ठहरना पड़ रहा है.
UNRWA तम्बुओं के साथ विस्थापितों की मदद कर रही है, जबकि विश्व खाद्य कार्यक्रम – WFP “विनाशकारी भूख संकट” के बीच गर्म भोजन वितरित कर रहा है.