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ग़ाज़ा में ‘महिलाओं पर युद्ध’ ख़त्म होने के आसार नहीं

इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में यूएन महिला संगठन (UN Women) की विशेष प्रतिनिधि मैरीसे गुइमंड ने, गुरूवार को यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए यह आकलन पेश किया.

उन्होंने येरूशेलम से इस प्रैस वार्ता में शिरकत करते हुए कहा, “महिलाओं की ज़िन्दगियाँ ख़त्म हो रही हैं, महिलाएँ बीमार हैं, भूखी हैं, बेहाल हैं, और लगातार भय और हानि के बीच, अपने परिवारों को एक साथ रखने की कोशिश कर रही हैं.”

मैरीसे गुइमंड ने हाल ही में ग़ाज़ा का लगभग एक सप्ताह का दौरा किया है. 

उन्होंने इस भूमिका में अपने छह वर्ष के कार्यकाल में ग़ाज़ा का 50 से भी अधिक बार दौरा किया है, जिस दौरान उन्होंने अतीत में भी टकराव और युद्धक स्थितियाँ देखी हैं.

मगर इस बार जो उन्होंने पूर्ण विध्वंस व तबाही और अमानवीयता देखी है, उसे देखने के लिए वो तैयार नहीं थीं.

महिलाओं के चेहरों और शरीरों पर युद्ध के अमिट निशान

मैरीसे गुइमंड ने पत्रकारों को बताया, “मैंन जो कुछ देखा है, उससे महिलाओं और लड़कियों के लिए मेरे वो डर भी कम साबित हो गए जो मैंने अनेक वर्षों में उनके साथ काम करते हुए अनुभव किए हैं.”

“हर रोज़ हिंसा में बेतहाशा उछाल और महिलाओं पर युद्ध की तबाही को देखना बर्दाश्त के बाहर है और एक ऐसा युद्ध जिसका कोई अन्त नज़र नहीं आ रहा है.”

यूएन महिला संगठन की प्रतिनिधि मैरीसे गुइमंड ने कहा कि जब उन्होंने कैरेम शेलॉम सीमा चौकी के ज़रिए ग़ाज़ा की सीमाओं में क़दम रखा तो, दरअसल वो भीषण विनाश और भारी क़िल्लतों की एक दुनिया में दाख़िल हुईं.

उन्होंने कहा, “इस युद्ध ने महिलाओं और लड़कियों पर जो भीषण प्रभाव छोड़ा है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. मैं उन महिलाओं को मुश्किल से ही पहचान पाई जिन्हें मैं अतीत में जानती थी.”

“पिछले 9 महीने उनके चेहरों, उनके शरीरों पर अपनी क्रूर अमिट छाप छोड़ चुके हैं.”

मृत्यु, विस्थापन और अभाव

इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में यूएन महिला संगठन की प्रतिनिधि मैरीसे गुइमंड ने बताया कि ग़ाज़ा युद्ध महिलाओं पर प्रलय है क्योंकि इसमें भारी संख्या में महिलाएँ हताहत हुई हैं, और कुल मिलाकर महिलाओं ने भीषण विनाश और विध्वंस देखा है.

उन्होंने कहा, “हमने ऐसा कभी नहीं देखा है.”

मैरीसे गुइमंड ने बताया कि 7 अक्टूबर 2023 को मौजूदा युद्ध भड़कने के बाद से, 10 हज़ार से अधिक महिलाओं की मौत हो गई है.

प्रतिनिधि मैरीसे गुइमंड ने UN Women के आँकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में हालात प्रलयकारी हैं. पाँच लाख से अधिक महिलाओं को गम्भीर खाद्य अभाव का सामना करना पड़ रहा है, वो सबसे अन्त में बची-खुची और सबसे कम खाद्य सामग्री खा पा रही हैं. उन्हें अक्सर भूखे पेट रहना पड़ता है और कई महीनों तक उन्हें स्वस्थ भोजन खुराक नसीब नहीं हो रही है.

उससे भी अधिक तकलीफ़ की बात ये है कि लोगों को अत्यधिक भीड़भाड़ वाले इलाक़ों में रहना पड़ रहा है, जहाँ संक्रामक बीमारियों का व्यापक फैलाव है. चूँकि पानी की भारी कमी है तो अनेक महिलाओं को संक्रमण होने से रोकने के लिए, अपने सिर के बाल बिल्कुल साफ़ करने पड़े हैं.

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