प्राप्त जानकारी के अनुसार, दक्षिणी ग़ाज़ा के डेइर अल बालाह, ख़ान यूनिस और रफ़ाह में इसराइली कार्रवाई जारी है.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, उन घनी आबादी वाले इलाक़ो में भुखमरी और बीमारियों का ख़तरा है, जहाँ हज़ारों लोग उत्तरी और दक्षिणी ग़ाज़ा में भीषण बमबारी से अपनी जान बचाने के लिए शरण लिए हुए हैं.
यूएन खाद्य एजेंसी ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर अपने सन्देश में बताया कि ग़ाज़ा में हर कोई भूख का सामना कर रहा है. भोजन ना करना आम बात हो रही है और हर एक दिन गुज़र-बसर के लिए एक हताश तलाश है.
“लोग अक्सर पूरा दिन और रात बिना कुछ खाए हुए रहते हैं. वयस्क भूखे रहते हैं ताकि बच्चे कुछ खा सकें.”
यूएन एजेंसी के अनुसार, 10 लाख से अधिक लोग अब दक्षिणी छोर पर स्थित रफ़ाह शहर में शरण तलाश रहे हैं जहाँ पहले से ही भारी भीड़ है.
यहाँ लाखों लोग ठंड में बिना उपयुक्त कपड़ों या अन्य ज़रूरी सामग्री के बिना खुले में सोने के लिए मजबूर हैं.
अल्पपोषण का शिकार बच्चों के लिए विशेष रूप से जोखिम है. नवीनतम खाद्य असुरक्षा अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि ग़ाज़ा की लगभग आधी आबादी भुखमरी का सामना कर रही है.
संक्रामक बीमारियों का फैलाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आगाह किया है कि संक्रामक बीमारियों के फैलने का जोखिम बढ़ता जा रहा है. मध्य-अक्टूबर से अब तक अचानक श्वसन तंत्र सम्बन्धी एक लाख 79 हज़ार संक्रमण मामले दर्ज किए गए हैं.
पाँच साल से कम उम्र के एक लाख 36 हज़ार से अधिक बच्चे दस्त से पीड़ित हैं, 55 हज़ार से अधिक को खाज और जूँ हो गई है, जबकि साढ़े चार हज़ार से अधिक को पीलिया हो गया है.
7 अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल में हमास के आतंकी हमलों में एक हज़ार 200 से अधिक इसराइली मारे गए थे, और 240 को बंधक बना लिया गया था.
इसके बाद, जवाबी इसराइली कार्रवाई में ग़ाज़ा पट्टी को वायु, समुद्री व भूमि मार्ग से भीषण बमबारी व सैन्य अभियान का सामना करना पड़ा है, जिसमें अब तक 21 हज़ार 672 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकाँश बच्चे व महिलाएँ हैं.
इसराइली सुरक्षा बलों के आँकड़ों के अनुसार, 30 दिसम्बर तक 168 इसराइली सैनिक की जान गई है और 955 घायल हुए हैं.
हजारों अन्य लापता
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने नवीनतम अपडेट में बताया है कि अतिरिक्त सात हज़ार लोग या तो लापता हैं या फिर उनके मलबे में दबे होने की आशंका है.
रिपोर्ट के अनुसार, 7 अक्टूबर के बाद से अब तक, स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर लगभग 300 हमलों में 600 लोगों की मौत हुई है, 26 अस्पतालों और 38 ऐम्बुलेंस को नुक़सान पहुँचा है.
ग़ाज़ा में 19 लाख से अधिक लोग विस्थापित हैं, क़रीब 52 हज़ार महिलाएँ गर्भवती हैं, और हर दिन 180 बच्चों का जन्म हो रहा है.
एक हज़ार से अधिक मरीज़ों को प्रतिदिन डायलिसिस सेवाओं की आवश्यकता है, 71 हज़ार को डायबिटीज़ और सवा दो लाख से अधिक को हाई ब्लड प्रैशर के लिए उपचार की ज़रूरत है.
इस बीच, मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय के अनुसार, ग़ाज़ा में स्थानीय प्रशासन के लिए उत्तरी इलाक़ों में स्थित कुछ अस्पतालों में सेवाओं को फिर से संचालित करना सम्भव हुआ है.
हालांकि, चिकित्सा टीम बेहद जोखिम भरे माहौल में आवाजाही कर रही हैं, पड़ोस के रिहायशी इलाक़ों में और स्वास्थ्य केन्द्रों के नज़दीकी इलाक़ों में बमबारी जारी है.