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ग़ाज़ा में पत्रकारों की मौतों, आवाज़ दबाए जाने, और उन पर हमलों की निन्दा

ग़ाज़ा में पत्रकारों की मौतों, आवाज़ दबाए जाने, और उन पर हमलों की निन्दा

मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों ने गुरूवार को जारी अपने एक वक्तव्य में क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में काम कर रहे पत्रकारों और मीडियाकर्मियों के लिए हालात पर गहरी चिन्ता व्यक्त की.

उन्होंने कहा कि मृतक और घायल होने वाले, हमलों का सामना करने वाले और हिरासत में लिए जाने वाले पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की संख्या असाधारण स्तर पर पहुँच गई है, विशेष रूप से ग़ाज़ा में.

विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, हाल के महीनों में यह घटनाक्रम अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के प्रति खुली बेपरवाही को दर्शाता है.

उन्होंने क्षोभ प्रकट किया कि मीडियाकर्मियों द्वारा स्पष्ट रूप से प्रैस के रूप में चिन्हित जैकेट, हैलमेट और वाहन इस्तेमाल किए जाने के बावजूद उन पर हमलों की ख़बरें आई हैं.

यूएन विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यह इसराइली सैन्य बलों द्वारा आलोचनात्मक रिपोर्टों के स्वरों को चुप कराने की सोची-समझी रणनीति हो सकती है.

अनेक ने गँवाई जान

7 अक्टूबर 2022 के बाद से अब तक, इसराइली कार्रवाई के दौरान ग़ाज़ा पट्टी में 122 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों ने अपनी जान गँवाई हैं, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं. 

इससे पहले, दक्षिणी इसराइल में हमास और अन्य फ़लस्तीनी चरमपंथियों द्वारा किए गए हमलों में चार इसराइली पत्रकार मारे गए थे.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि, “हम इन सभी हत्याओं, धमकियों और पत्रकारों पर हमलों की निन्दा करते हैं और सभी युद्धरत पक्षों से उनकी रक्षा का आग्रह करते हैं.”

बताया गया है कि इसराइली सैन्य बलों ने ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में बड़ी संख्या में फ़लस्तीनी पत्रकारों को हिरासत में लिया है. हमास के आतंकी हमलों के बाद से पत्रकारों के उत्पीड़न, उन्हें डराए-धमकाए जाने और हमलों के मामलों में वृद्धि हुई है. 

साहस और सहनसक्षमता

यूएन विशेषज्ञों ने ग़ाज़ा में मीडियाकर्मियों के साहस और सहनसक्षमता को ऋद्धांजलि दी है, और ध्यान दिलाया है कि ग़ाज़ा में काम करने वाले पत्रकारों ने अपना काम करने की एक बड़ी भारी क़ीमत चुकाई है.

वे अब भी बेहद कठिन परिस्थितियों में और अपने सहकर्मियों, परिजनों और मित्रों को खोने के बावजूद, काम के लिए अपनी जान को दाँव पर लगा रहे हैं.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अल-जज़ीरा के पत्रकार वाएल अल-दहदूह का उल्लेख किया, जिन्होंने 25 अक्टूबर को इसराइली बमबारी में अपनी पत्नी, दो बच्चों और एक पोते को खो दिया. 

इसके बाद, दिसम्बर महीने में वह एक ड्रोन हमले में बाल-बाल बचे, मगर उनके कैमरामैन की मौत हो गई. फिर 7 जनवरी 2024 को उनके पत्रकार बेटे और उसके एक सहकर्मी की इसराइली ड्रोन हमले में मौत हो गई.

युद्ध अपराध की आशंका

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा है कि हिंसक टकराव के दौरान, जीवित रहने के लिए सूचना का अधिकार बेहद अहम है, और इस पर अनेक आम लोगों का जीवन निर्भर है. 

सूचना का अहम स्रोत प्रदान करने के रूप में पत्रकारों की एक महत्वपूर्ण भूमिका है, जो मानवाधिकारों के रक्षक और उन क्रूरताओं के गवाह हैं, जिन्हें लड़ाई के दौरान अंजाम दिया जाता है.

विशेष रैपोर्टेयर ने ध्यान दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के तहत पत्रकार, संरक्षण पाने के हक़दार हैं, और उन पर लक्षित हमले किए जाना और उन्हें जान से मार दिए जाने को युद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.  

यूएन विशेषज्ञों ने अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय और अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से आग्रह किया है कि पत्रकारों के विरुद्ध अपराधों, उन पर हमले के ख़तरनाक रुझानों और दंडमुक्ति की भावना पर विशेष ध्यान दिया जाना होगा.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. 

उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.

इस वक्तव्य पर दस्तख़त करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों के नाम यहाँ देखे जा सकते हैं. 

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