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ग़ाज़ा में इसराइल के बेदख़ली आदेशों के स्वास्थ्य पर गम्भीर जोखिम, WHO

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने गुरूवार को जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत में बताया है कि ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में अल-अहली और पैशेंट फ़्रैंडली, उनके आसपास युद्ध जारी रहने के कारण, काम नहीं कर पाने वाले अस्पतालों की सूची में जुड़ गए हैं.

डॉक्टर टैड्रॉस ने बताया कि अल-अहली अस्पताल के मरीज़ों को, इंडोनिशियाई अस्पताल में पहुँचाया गया है, जहाँ उसकी क्षमता से तीन गुना अधिक चिकित्सा सेवाओं को अंजाम दिया जा रहा है.

हज़ारों मरीज़ राहत की आस में

WHO के मुखिया ने कहा, “अब भी दस हज़ार से अधिक मरीज़ ऐसे हैं, जिन्हें इलाज के लिए ग़ाज़ा से बाहर ले जाए जाने की ज़रूरत है क्योंकि ग़ाज़ा में उन्हें उपचार मुहैया नहीं कराया जा सकता.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मरीज़ों को पर्याप्त इलाज मुहैया कराने के लिए उन्हें पश्चिमी तट, मिस्र और जॉर्डन के लिए, अनेक रास्तों या गलियारों की आवश्यकता है.

डॉक्टर टैड्रॉस ने ध्यान दिलाया कि ग़ाज़ा की लगभग पूरी आबादी, गम्भीर खाद्य क़िल्लत के उच्च स्तरों का सामना कर रही है, और हर चार में से एक व्यक्ति, भुखमरी के नज़दीक पहुँच गए हैं.

इस बीच, मानवीय सहायता सामग्री की कुछ आपूर्ति, ग़ाज़ा में दाख़िल हो रही है, मगर पिछले सप्ताह के दौरान, WHO की सहायता सामग्री के केवल 5 पाँच ट्रकों को ग़ाज़ा में दाख़िल होने की अनुमति दी गई थी.

ग़ाज़ा के मध्य इलाक़े में एक स्कूल पर, इसराइली बमबारी में भीषण नुक़सान.

सहायता ट्रक सीमा पर अटके

डॉक्टर टैड्रॉस ने बताया कि सहायता सामग्री से भरे 34 ट्रक, मिस्र के साथ मिलने वाली सीमा पर, अल आरिश सीमा चौकी पर अटके पड़े हैं. उसके अलावा मिस्र की सीमा में ही इसमालिया इलाक़े में, 40 अन्य ट्रक भी ग़ाज़ा में दाख़िल होने की अनुमति मिलने का इन्तज़ार कर रहे हैं.

उन्होंने ग़ाज़ा में दाख़िल होने वाली सहायता सामग्री को तत्काल अनुमति दिए जाने का आहवान करते हुए कहा कि ग़ाज़ा के लोगों का इस युद्ध कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें इस युद्ध की इतनी भारी क़ीमत चुकाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.

बीमारियों के लिए उपजाऊ हालात

पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र के लिए, WHO की निदेशक डॉक्टर हनान बाल्ख़ी ने भी इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र की 11 दिन की यात्रा से लौटकर पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने ग़ाज़ा में स्थिति को इनसानों के लिए और मानवीय सहायता की उपलब्धता के नज़रिए से, बेहद गम्भीर बताया.

डॉक्टर हनान बाल्ख़ी ने बताया कि ईंधन की क़िल्लत के कारण स्वास्थ्य और मानवीय सहायता अभियान कमज़ोर पड़ रहे हैं. गन्दे नालों का पानी और कूड़ा-कचरा ध्वस्त हो चुकी सड़कों पर फैला हुआ है और सड़ चुके कूड़े-कचरे की बदबू ने हवा को दूषित कर दिया है.

उन्होंने कहा, “यह स्थिति, बीमारियों को फैलने के लिए पूरी तरह से उपजाऊ ज़मीन मुहैया करा रही है. इन हालात के कारण गम्भीर दस्त और साँस सम्बन्धी गम्भीर संक्रमण के साथ-साथ अन्य बीमारियों के फैलाव में बढ़ोत्तरी हुई है.”

डॉक्टर हनान बाल्ख़ी ने कहा कि ग़ाज़ा में जारी हिंसा और क़ानून व्यवस्था के बिखर जाने से, पहले से ही ख़राब हालात और भी जटिल हो गए हैं जिनसे अत्यधिक जोखिम वाले हालात उत्पन्न हो गए हैं – ना केवल सहायता कर्मियों के लिए, बल्कि ग़ाज़ा में हर किसी के लिए.

क़ानून और व्यवस्था की स्थिति बिखर जाने के कारण, लिंग आधारित हिंसा का सामना कर पाना लगभग असम्भव हो चुका है, जिससे विस्थापित फ़लस्तीनी जन, जीवन को जोखिम में डालने वाले अतिरिक्त ख़तरे की चपेट में आ रहे हैं.

पश्चिमी तट में हमले जारी

डॉक्टर हनान बाल्ख़ी ने इसराइल द्वारा क़ाबिज़ पश्चिमी तट का भी दौरा किया और वहाँ भी तेज़ी से बदतर होती स्वास्थ्य स्थिति को देखा.

उन्होंने जेनिन अस्पताल और फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – UNRWA द्वारा संचालित स्वास्थ्य सुविधाओं का भी दौरा किया. उन्होंने वहाँ बुनियादी ढाँचे और चिकित्सा उपकरणों को भीषण क्षति भी देखी.

WHO, उसके साझीदार संगठनों ने, क्षतिग्रस्त सड़कों और पहुँच सम्बन्धी सीमितताओं को देखते हुए, घायलों तक पहुँच बनाने के लिए, सचल चिकित्सा सेवाएँ शुरू की हैं.

डॉक्टर हनान बाल्ख़ी ने कहा, “हमारा लक्ष्य, ग़ाज़ा से सीखे गए अनुभव के आधार पर, तमाम स्तरों पर सुचारू और असरदार चिकित्सा सेवाएँ मुहैया कराना है.”

उन्होंने साथ ही, पड़ोसी देशों जॉर्डन, लेबनान और सीरिया में, पहले से जर्जर हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्ताओं को मज़बूत किए जाने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया.

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