यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने एक वक्तव्य में बताया है कि ख़ान यूनिस और डियर अल बलाह में 23 जून को मल निकासी स्थलों से एकत्र किए गए नमूनों में पोलियो टाइप-2 की पहचान की गई है.
अभी तक ग़ाज़ा में पोलियो वायरस के संक्रमण के कारण अपंगता या अन्य लक्षणों के लिए किसी का उपचार नहीं हुआ है.
WHO के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों से कहा, “यह कहना अहम है कि इस वायरस को इस समय तो पर्यावरण से अलग-थलग कर दिया गया है; पोलियो के कारण अपंगता का कोई मामला नहीं देखा गया है.”
उन्होंने कहा कि इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में WHO, प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई के तहत, स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ मिलकर काम कर रहा है.
यूएन बाल कोष – UNICEF, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA और साझीदार एजेंसियाँ इस बारे में आकलने करने वाली हैं कि पोलियो वायरस किस तरह फैला है.
WHO के प्रवक्ता ने बताया कि इस आकलन से यह निर्धारित हो सकेगा कि पोलियो को दीगर फैलने से रोकने के लिए क्या उपाय ज़रूरी होंगे, जिनमें वैक्सीन देने का अभियान भी तेज़ी से चलाया जाना शामिल होगा.
सफ़ेद झंडे
इस बीच फ़लस्तीनी क्षेत्र में यूएन मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR-OPT) ने बताया है कि ग़ाज़ा के लोगों को बेतहाशा स्तर की तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है, और आश्रय की तलाश में निकले कुछ लोग तो, सुरक्षा की ख़ातिर अपने हाथों में सफ़ेद झंडे थामे हुए नज़र आए.
फ़लस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकार प्रमुख अजिथ सुंघाय का कहना है, “लोग एक बार फिर ग़ाज़ा के उत्तर से दक्षिणी इलाक़े की तरफ़ जा रहे हैं, जबकि उन्हें यह भी मालूम है कि उनकी ये यात्रा ख़तरे से भरी हुई है.”
उन्होंने कहा, “मैंने एक मोटरबाइक और एक ट्रेलर देखा जिसमें लोगों का निजी सामान भरा था और सड़क पर खड़े हुए उसमें से सुलगने का धुँआ निकल रहा था. उसके पास कोई भी लोग नहीं था. मगर ये स्पष्ट था कि हमले में कोई भी जीवित नहीं बचे होंगे.”
“उसी सड़क पर, मैंने ख़ून से लथपथ एक ख़च्चर-गाड़ी देखी जिसमें भी निजी सामान भरा था. उसके आसपास भी कोई व्यक्ति नहीं थे. इन पर हमले किसने और क्यों किए, यह स्पष्ट नहीं था.”
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अधिकारी अजीथ सुंघाय ने इसराइल द्वारा ग़ाज़ा पट्टी में सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा को बरक़रार रखने की क्षमता को तहस-नहस करने के प्रयासों के प्रभावों के बारे में भी जानकारी दी.
उन्होंने कहा, “हमारे कार्यालय ने स्थानीय पुलिस और मानवीय सहायता कर्मियों की ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से की गई हत्याओं और आम आबादी के जीवित रहने के लिए बहुत ज़रूरी सामग्री की उपलब्धता का गला घोटे जाने के बारे में दस्तावेज़ एकत्र किए हैं. अराजकता फैल रही है.”
अजीथ सुंघाय ने कहा, “युद्ध के कारण उत्पन्न आक्रामक वातावरण और सिविल व्यवस्था के बिखर जाने से, लोगों की विशाल ज़रूरतें पूरी करने के लिए, मानवीय सहायता पहुँचाने के काम में भी बेतहाशा चुनौतियाँ पेश आ रही हैं.”
पोलियो उन्मूलन बाधित
WHO के अनुसार, ग़ाज़ा से जंगली पोलियो वायरस का उन्मूलन 25 वर्ष पहले, एक व्यापक वैक्सीन ख़ुराक की बदौलत कर दिया गया था. ग़ाज़ा में मौजूदा युद्ध से पहले, वर्ष 2022 में लगभग 95 प्रतिशत आबादी को पोलियो निरोधक ख़ुराकें पिला दी गई थीं.
मगर महीने के युद्ध, बार-बार हो रहे विस्थापन और स्वास्थ्य व्यवस्था के बिखरने, सुरक्षा की कमी, सहायता पहुँच में बाधा, बड़ी आबादी का लगातार और बारम्बार विस्थापन, चिकित्सा सामग्री की क़िल्लत, ख़राब पानी और कमज़ोर स्वच्छता व्यवस्था की सम्पूर्ण स्थिति ने, पोलियो वायरस के फैलने के लिए अनुकूल माहौल बना दिया है.
WHO के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर का कहना था कि इस माहौल के कारण पोलियो सहित ऐसी बीमारियाँ फैलाव पर हैं जिन्हें वैक्सीन के ज़रिए रोका जा सकता है.