उन्होंने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को बताया कि ग़ाज़ा में सार्वजनिक सेवाएँ ध्वस्त हो चुकी हैं और 19 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
इसके मद्देनज़र, वहाँ पूर्ण रूप से, तुरन्त युद्धविराम लागू किए जाने, सभी बन्धकों को रिहा करने और पूरी ग़ाज़ा पट्टी में बेरोकटोक सहायता मुहैया कराने पर बल दिया गया है.
“इस युद्ध ने केवल एक मानवीय संकट पैदा नहीं किया है, इसने मानव विपदा का एक बवंडर खड़ा कर दिया है.”
यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि सभी पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी और मानवाधिकार क़ानूनों का सम्मान करना होगा, और आम नागरिकों के जीवन की रक्षा, सर्वोच्च प्राथमिकता है.
सिगरिड काग के अनुसार, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी, UNRWA, को अपने शासनादेश (mandate) के अन्तर्गत तयशुदा दायित्वों को निभाने की अनुमति दी जानी होगी.
उन्होंने बताया कि इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू, अन्य कैबिनेट मंत्रियों व हितधारकों के साथ बातचीत व सम्पर्क जारी है.
प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने ग़ाज़ा पट्टी में ज़रूरतमन्द आबादी के लिए भोजन, साफ़-सफ़ाई, जल प्रबन्धन, मेडिकल व शिक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने का संकल्प व्यक्त किया है.
वहीं, ग़ाज़ा में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक सामान की मात्रा भी बढ़ी है मगर यह अनियमित रूप से ही हो पा रहा है. स्थानीय आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यह आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रयास जारी रखने का भरोसा दिया है.
सहायता व्यवस्था का फ़्रेमवर्क
सिगरिड काग ने सुरक्षा परिषद में पिछले वर्ष पारित हुए प्रस्ताव 2720 का उल्लेख किया, जिसके तहत वरिष्ठ समन्वयक के लिए शासनादेश तय किया गया है. साथ ही, ग़ाज़ा में मानवतावादी सहायता प्रयासों में तेज़ी लाने व अवरोध हटाने के लिए एक फ़्रेमवर्क भी स्थापित किया गया है.
यूएन अधिकारी ने कहा कि यह चुनौतियों से भरा हुआ है, और इससे निपटने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति और ज़मीन पर अनुकूल परिस्थितियों की आवश्यकता होगी.
सिगरिड काग के अनुसार, मानवीय सहायता व्यवस्था की निगरानी व सत्यापन के लिए एक तंत्र स्थापित किए जाने में प्रगति हुई है, और जल्द ही यूएन निगरानीकर्ता ग़ाज़ा में अपने कार्यालयों में तैनाती के लिए तैयार हो रहे हैं.
मानवतावादी समन्यक ने कहा कि ग़ाज़ा में सभी महत्वपूर्ण सहायता सामग्री के प्रवेश के लिए यह तंत्र, एक प्रमुख मंच के रूप में काम करेगा.
इस क्रम में, उन्होंने सदस्य देशों से राहत सामग्री को पहले से तैयार रखे जाने और ज़रूरतमन्दों के वित्त पोषण पर ज़ोर दिया है.
पुनर्निर्माण के लिए योजना
सिगरिड काग का मानना है कि ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की आने वाले कई वर्षों तक आवश्यकता होगी, मगर मौजूदा संकट से जल्द उबरने और पुनर्निर्माण के लिए भी योजनाएँ व तैयारी की जानी होंगी.
इस सिलसिले में, उन्होंने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों से मानवीय सहायता प्रयासों को समर्थन प्रदान करने वाले क़दम उठाने का आग्रह किया.
“हम फ़लस्तीनी आम नागरिकों को अपना भविष्य रोक देने के लिए नहीं कर सकते हैं, एक ऐसे समय में जब वे अमानवीय परिस्थितियों में अपनी मानव गरिमा से किसी तरह बन्धे हुए हैं.”
उन्होंने ध्यान दिलाया कि ग़ाज़ा को उबारने और वहाँ पुनर्निर्माण में फ़लस्तीनी प्राधिकरण की एक महत्वपूर्ण भूमिका है, और साथ ही अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को वित्तीय स्थिरता, और प्राधिकरण में सुधार, शासनिक ढाँचे को समर्थन प्रदान करना होगा.
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