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ग़ाज़ा: मानवतावादी ज़ोन में स्थित शिविर पर घातक हमला, यूएन दूत ने की निन्दा

ग़ाज़ा: मानवतावादी ज़ोन में स्थित शिविर पर घातक हमला, यूएन दूत ने की निन्दा

समाचार माध्यमों के अनुसार, हज़ारों विस्थापित फ़लस्तीनी ख़ान यूनिस के इस शिविर में रह रहे थे. हमले में कम से कम 19 लोगों के मारे जाने की ख़बर है.

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए यूएन विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैंड ने अपने एक वक्तव्य में कहा कि इसराइली सैन्य बलों ने इस मानवतावादी ज़ोन में हमास चरमपंथियों के कमांड सेंटर को निशाना बनाने की बात कही है.

मगर, उन्होंने ध्यान दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून को सदैव सर्वोपरि रखना होगा, जिसमें आम नागरिकों व युद्धकों के बीच भेद करने, आनुपातिकता और सतर्कता बरते जाने के सिद्धान्तों का उल्लेख किया गया है.

साथ ही, विशेष समन्वयक ने सचेत किया कि आम नागरिकों का कभी भी मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना होगा. “एक बार फिर से, ये कृत्य दर्शाते हैं कि ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है.”

उन्होंने सभी पक्षों से तत्काल युद्ध पर विराम लगाने के लिए एक समझौते पर पहुँचने की अपील दोहराई, जिससे ग़ाज़ा में सभी बन्धकों की रिहाई भी सुनिश्चित हो सकेगी.

उनके अनुसार, एक राजनैतिक समाधान के ज़रिये ही क़ब्ज़े का अन्त करने और दो-राष्ट्र समाधान को लागू करने के क़दम उठाए जा सकते हैं, जिससे इसराइलियों व फ़लस्तीनियों की पीड़ा का अन्त होगा.

यूएन क़ाफ़िले को रोका गया

इस बीच, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने बताया है कि इसराइली सेना ने ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में बच्चों को पोलियो वैक्सीन की ख़ुराक देने के लिए जा रहे एक क़ाफ़िले को आठ घंटे तक रोक कर रखा. हालांकि इस अभियान के बारे में पूर्व सूचना दे दी गई थी.

UNRWA, विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएन बाल कोष ने ग़ाज़ा में छह लाख बच्चों को पोलियो वायरस से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू किया है. जून महीने में सीवर से प्राप्त कुछ नमूनों में यह वायरस सामने आने के बाद यह अभियान शुरू किया गया है.

इस क़ाफ़िले को वादी ग़ाज़ा पर स्थित चौकी को पार करने के बाद बन्दूक की नोक पर रोका गया और यूएन कर्मचारियों को हिरासत में लेने की धमकियाँ दी गई. बुलडोज़र से यूएन बख़्तरबन्द गाड़ियों को नुक़सान पहुँचने की भी जानकारी मिली है.

यूएन एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने बताया कि सभी कर्मचारियों और क़ाफ़िले को रिहा कर दिया गया है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यूएन कर्मचारियों को सुरक्षित माहौल में अपने दायित्व को निभाने देना होगा और अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के अनुरूप, उनकी रक्षा सदैव सुनिश्चित की जानी होगी.

पोलियो बचाव अभियान जारी

UNRWA ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर अपने एक सन्देश में बताया कि क़ाफ़िले में हुई देरी के बावजूद, उनकी टीम ने ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में हज़ारों बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराक दी है.

यूएन एजेंसी के अनुसार, पोलियो वायरस से बच्चों को बचाने के लिए समय बीता जा रहा है. और इसलिए उनकी टीम ग़ाज़ा पट्टी में 10 वर्ष से कम आयु के हर बच्चे को रक्षा कवच में लाने में जुटी है.

इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि जिस क़ाफ़िले को देरी हुई, उसमें दो मिशन थे. एक टीम का दायित्व पोलियो वैक्सीन अभियान के तीसरे चरण के लिए ईंधन व वाहनों को लाना था, जबकि दूसरा मिशन ग़ाज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल के लिए ईंधन पहुँचाने का प्रयास कर रहा था.

यह ग़ाज़ा में सबसे बड़ा मेडिकल केन्द्र है, और सितम्बर में इसके आपात केन्द्र को फिर से खोला गया है. ऐसे दावे किए गए थे कि फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों द्वारा इस केन्द्र का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है, जिसके बाद नवम्बर 2023 में इसराइली हमले में इसे भीषण नुक़सान पहुँचा था.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता तारेक यासरेविच ने क़ाफ़िले को रोके जाने और समुचित समन्वय व्यवस्था ना होने की निन्दा की है. उनके अनुसार, 7 से 10 सितम्बर के दौरान, अल-शिफ़ा अस्पताल में WHO की टीम चार बार पहुँचने का प्रयास कर चुकी है, मगर सफलता नहीं मिल पाई है. 

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