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ग़ाज़ा: मध्य व दक्षिणी इलाक़ों में हवाई हमले, सहायता अभियान में चुनौतियाँ बरक़रार

इस हमले के पीड़ितों को ख़ान यूनिस के नासेर मेडिकल परिसर में भर्ती कराया गया है, जहाँ संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायताकर्मी स्कॉट ऐंडरसन ने बताया कि यहाँ उन्होंने बेहद भयावह हालात का सामना किया.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के निदेशक और मानवतावादी उपसमन्वयक स्कॉट ऐंडरसन ने कहा कि पर्याप्त संख्या में बिस्तर, स्वच्छता उपकरण समेत अन्य सामग्री नहीं हैं.

वेंटिलेशन प्रणाली को बिजली व ईंधन की क़िल्लत के कारण बन्द कर दिया गया है, और परिसर की हवा, ख़ून की गन्ध से भरी हुई है. नासेर मेडिकल परिसर पर फ़िलहाल भीषण बोझ है जहाँ एक दिन में 100 से भी अधिक घायलों के गम्भीर मामले लाए जा रहे हैं. 

“मैंने छोटे बच्चों को देखा जिनके दो अंग कटे हैं, बच्चे लकवाग्रस्त हैं और उपचार पाने में असमर्थ हैं, और अन्य अपने अभिभावकों से अलग हो चुके हैं.” 

उन्होंने कहा कि अभिभावक इस आशा में अल मवासी के तथाकथित मानवतावादी क्षेत्र में पहुँचे थे कि वहाँ बच्चे सुरक्षित होंगे.

उधर, इसराइली सेना ने अपने एक वक्तव्य में बताया कि उसने अल मवासी में हमास के एक सैन्य कमांडर को निशाना बनाया था. यह इलाक़ा ख़ान यूनिस के पश्चिम में तट के पास है.

इस तटीय इलाक़े में फैली रेत और समुद्र के पास बनाए गए अस्थाई टैंट, लाखों लोगों के लिए आश्रय स्थल बन गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह से जबरन विस्थापित होने के बाद यहाँ पहुँचे हैं.

इसराइली सेना ने मई महीने के आरम्भिक दिनों में रफ़ाह में अपना सैन्य अभियान शुरू करने की बात कही थी.

सोमवार को रफ़ाह और मध्य ग़ाज़ा में टकराव फिर नए सिरे से शुरू हो गया. इससे पहले, समाचार माध्यमों में रविवार को नुसीरात में स्थित एक स्कूल में बने अस्थाई शरणार्थी शिविर पर एक अन्य हमले की ख़बर थी, जिसमें स्थानीय एजेंसियों के अनुसार कम से कम 17 लोगों की जान जाने की आशंका है.

पिछले सप्ताह, UNRWA के तीन अन्य स्कूलों को निशाना बनाया गया था. 9 महीने पहले युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक यूएन एजेंसी के 190 स्कूल हिंसा की चपेट में आ चुके हैं.

आश्रय स्थलों पर विकट हालात

पिछले बुधवार, यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने एक अन्तर-एजेंसी मिशन को मध्य ग़ाज़ा में स्थित डेयर अल बालाह के दो शरणार्थी शिविरों में शरण स्थलों का जायज़ा लेने के लिए भेजा था.

यूएन एजेंसी ने बताया कि अल बुरेज स्थल पर 3 हज़ार 800 लोग 338 टैंटों में रह रहे हैं और उनके पास ना कोई स्वास्थ्य सेवा है और ना ही जल या स्वच्छता सामग्री समेत अन्य बुनियादी सामान.

वहीं अल मग़ाज़ी में, एक हज़ार से अधिक लोग UNRWA के एक क्षतिग्रस्त स्कूल में बिना चिकित्सा देखभाल, जल और भोजन के बेहद भीड़भाड़ भरे हालात में रहने के लिए मजबूर हैं. इनमें कैंसर बीमारी से पीड़ित सात मरीज़ भी हैं.

यूएन एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी स्कॉट ऐंडरसन ने बताया कि मानवतावादी समुदाय के उनके साथी ग़ाज़ा में चिकित्सा सेवाओं की क्षमता को बढ़ाने के लिए हरसम्भव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मानवीय सहायता अभियान में अवरोधों की वजह से ज़रूरतों के अनुरूप पर्याप्त स्तर पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है.

ग़ाज़ा में विशाल संख्या में ज़रूरतमन्दों तक उपयुक्त स्तर पर सहायता पहुँचाने के कार्य में अब भी अनेक अवरोध हैं. इनमें सीमा चौकियों पर होने वाली लम्बी देरी और क़ानून व्यवस्था का ढहना है जिसकी वजह से राहत सामग्री से लदे ट्रकों में लूटपाट किए जाने की घटनाएँ हुई हैं.

इसके बावजूद, टैंट, बिस्तर, स्ट्रेचर, दवाएँ समेत अन्य सामग्री पहुँचाए जाने के लिए कोशिशें जारी हैं.

सहायता अभियान में चुनौतियाँ

ग़ाज़ा में इस युद्ध के कारण क़रीब 19 लाख लोग विस्थापित हुए हैं, और हिंसक टकराव की वजह से उन्हें गम्भीर संकट से जूझना पड़ रहा है. हिंसा प्रभावित इलाक़ों में लाखों लोगों के लिए स्वच्छ जल, साफ़-सफ़ाई और भोजन की क़िल्लत है.

डेयर अल बालाह के एक स्कूल में 14 हज़ार बच्चों ने शरण ली हुई है, मगर वहाँ केवल 25 शौचालय ही उपलब्ध हैं. ग़ाज़ा में ईंधन आपूर्ति नहीं हो पाने की वजह से सहायता अभियान में अवरोध बरक़रार हैं और अस्पताल, सार्वजनिक सेवाओं व जल शोधन संयंत्रों में पूर्ण क्षमता के साथ काम नहीं हो पा रहा है.

इस महीने, ग़ाज़ा में मानवीय सहायता अभियान के लिए दैनिक आवश्यकताओं का केवल 25 फ़ीसदी ही उपलब्ध हो पाया है, जिससे सार्वजनिक जल वितरण में 40 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सर्वाधिक निर्बलों में कुपोषण का स्तर बढ़ने की आशंका के बीच चेतावनी जारी की है कि भोजन, जल, साफ़-सफ़ाई और बुनियादी सेवाओं का अभाव होने से लोगों के बीमारियों की चपेट में आने का जोखिम बढ़ रहा है.

ग़ाज़ा में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 8 से 11 जुलाई के दौरान, 152 फ़लस्तीनी मारे गए हैं और 392 घायल हुए हैं. 7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के नेतृत्व में हुए आतंकी हमलों में 1,200 से अधिक लोगों की जान गई थी, और 250 से अधिक को बन्धक बना लिया गया था.

इसके बाद, इसराइली सैन्य बलों के हमलों मेंं अब तक 38,000 से अधिक फ़लस्तीनी मारे गए हैं और लगभग 88,000 से घायल हुए हैं. 

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