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ग़ाज़ा: बेदख़ली आदेश से, यूएन सहायता केन्द्र में कामकाज पर मंडराता ख़तरा

ग़ाज़ा: बेदख़ली आदेश से, यूएन सहायता केन्द्र में कामकाज पर मंडराता ख़तरा

यूएन कार्यालय के प्रवक्ता येन्स लार्क ने अपने एक अपडेट में जीवनरक्षक सहायता अभियान को रोकने की किसी भी सम्भावना को सिरे से ख़ारिज कर दिया. हालांकि भीषण लड़ाई के कारण राहत अभियान के लिए अनेक चुनौतियाँ उपजी हैं.

पिछले वर्ष 7 अक्टूबर को हमास व अन्य चरमपंथी गुटों ने इसराइल पर आतंकी हमले किए थे, जिसके बाद पिछले कई महीनों से ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य बलों की जवाबी कार्रवाई जारी है.

यूएन एजेंसी प्रवक्ता येन्स लार्क के अनुसार, राहत अभियान रोकने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है और ऐसा कभी भी नहीं हुआ है.

“हम वहाँ 10 महीनों से मौजूद हैं और जहाँ भी सम्भव हो सके, यह संचालित हो रहा है. मैं आपको ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि ग़ाज़ा पट्टी में केवल 11 प्रतिशत इलाक़ा ही बेदख़ली आदेश के दायरे में नहीं है…इसलिए हम इस संख्या के साथ काम करने और अभियान जारी रखने की कोशिशों में जुटे हैं.”

जगह छोड़ने का जोखिम

येन्स लार्क ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकार वार्ता के दौरान ध्यान दिलाया कि अगस्त महीने में अब तक 16 बेदख़ली आदेश जारी किए गए हैं, जिससे पहले ही कई बार विस्थापन का शिकार हो चुके ग़ाज़ावासियों के लिए स्थिति और विकट हुई है.

इन्हीं आदेशों के दायरे में मध्य ग़ाज़ा में स्थित शहर डेयर अल-बालाह में यूएन के मुख्य मानवीय सहायता केन्द्र भी है.

अतीत में, यूएन और साझेदार संगठनों का मानवतावादी अभियान मुख्य रूप से दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह शहर में केन्द्रित था, जोकि मिस्र से लगी सीमा के नज़दीक है.

मगर, इस वर्ष मई में इसराइली सैन्य अभियान की वजह से रफ़ाह में शरण लेने वाले लगभग सभी ग़ाज़ावासी वहाँ से जा चुके हैं, और उन्होंने तटीय इलाक़े में शरण ली है, जिसका दायरा निरन्तर सिकुड़ रहा है.

यूएन मानवतावादी कार्यालय के अनुसार, पिछले शुक्रवार से अब तक, इसराइली सेना ने उत्तरी ग़ाज़ा और डेयर अल-बालाह में 19 से अधिक इलाक़ों को छोड़ने के लिए तीन नए आदेश जारी किए हैं. इनका यहाँ शरण लेने वाले आठ हज़ार से अधिक लोगों पर असर हुआ है.

रविवार को जारी हुए बेदख़ली आदेश के दायरे में डेयर अल-बालाह के कुछ ऐसे इलाक़े हैं, जिनका इस्तेमाल मानवीय सहायताकर्मियों द्वारा किया जा रहा है.

इनसे यूएन और ग़ैरसरकारी संगठनों के 15 परिसर, चार भंडारण केन्द्र, अल अक़्सा अस्पताल, दो क्लीनिक, तीन कुँए, एक जलाशय और शोधन संयंत्र प्रभावित हुए हैं.

येन्स लार्क ने कहा कि अक्सर ऐसे आदेश जारी करते समय लोगों को जगह ख़ाली करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है.

इन हालात में डेयर अल-बालाह में जीवनरक्षक मानवतावादी केन्द्र पर व्यवस्था में बड़ी उथलपुथल मची है और ज़रूरतमन्दों के लिए ज़रूरी समर्थन व सेवाएँ सुनिश्चित करने की क्षमता प्रभावित हुई है. डेयर अल-बालाह में इस केन्द्र को मई में रफ़ाह में इसराइली सैन्य अभियान के बाद स्थापित किया गया था.

अस्पतालों पर असर

इसराइली सैन्य बलों द्वारा बेदख़ली आदेश जारी किए जाने का असर अस्पतालों में कामकाज और वहाँ भर्ती मरीज़ों पर भी हुआ है. अनेक लोगों ने अल अक़्सा अस्पताल को छोड़कर जाने का निर्णय लिया है और वहाँ भर्ती 650 में से केवल 100 ही अब वहाँ हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वास्थ्य केन्द्रों को ख़ाली किए जाने के बाद वहाँ बड़ी लूटपाट मचती है. बड़ी संख्या में उपकरण, जनरेटर, सौर ऊर्जा उपकरण समेत अन्य सामान वहाँ से ग़ायब हो जाता है, जबकि उनकी व्यवस्था करने में बड़ा समय लगता है.

यूएन एजेंसी ने कहा कि बेदख़ली आदेश से केवल अस्पतालों में कामकाज बन्द नहीं होता है, बल्कि ऐसे अनुभव से अस्पतालों को बड़ी क्षति पहुँचती है.

यूएन मानवतावादी कार्यालय ने कहा कि मौजूदा हालात में स्वास्थ्य केन्द्रों में ईंधन व मेडिकल सामान की आपूर्ति करना बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है.

ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सैन्य कार्रवाई के बीच स्वास्थ्य सैक्टर को भीषण हानि पहुँची है. 20 अगस्त तक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 505 हमले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 752 लोग मारे गए हैं, 982 घायल हुए और 32 अस्पतालों व 63 ऐम्बुलेंस को नुक़सान पहुँचा है.

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