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ग़ाज़ा: बच्चों के पीने के लिए बूँद भर सुरक्षित जल भी मुश्किल, UNICEF की चेतावनी

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ जल की सुलभता का अभाव, जीवन व मृत्यु का विषय है. “ग़ाज़ा में बच्चों को पीने के लिए सुरक्षित जल की बूँद भी मुश्किल है.”

“बच्चों और उनके परिवारों को ऐसे असुरक्षित स्रोतों से जल का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जोकि बेहद खारे या प्रदूषित हैं.” 

“सुरक्षित जल के बिना, आगामी दिनों में अनेक अन्य बच्चों की [इससे] वंचित रह जाने और बीमारियों की वजह से मौतें होंगी.”

7 अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल में हमास के आतंकी हमलों में 1,200 इसराइलियों की मौत हुई थी, और 240 से अधिक को बंधक बना लिया गया था. 

इसके बाद से ही, इसराइल ने पिछले 10 सप्ताह से ग़ाज़ा पट्टी में लगातार बमबारी की है, जिससे वहाँ  गम्भीर मानवीय संकट उपजा है, और जल उत्पादन, शोधन व वितरण नैटवर्क पर भीषण असर हुआ है.

बमबारी की चपेट में आने से बचने की कोशिश में ग़ाज़ा के 14 लाख से अधिक निवासियों ने फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) द्वारा संचालित केन्द्रों या उनके नज़दीक शरण ली है.  

यूनीसेफ़ के अनुसार, दक्षिणी राफ़ाह गवर्नरेट में हाल ही में विस्थापित हुए बच्चों के पास प्रतिदिन केवल 1.5 से दो लीटर पानी ही उपलब्ध है और जल सेवाएँ, ध्वस्त होने के कगार पर हैं. 

जल की क़िल्लत से जोखिम

यूएन एजेंसी ने बताया कि केवल जीवित रहने के लिए, प्रति दिन कम से कम तीन लीटर जल की आवश्यकता होती है.

जल की चिन्ताजनक क़िल्लत के अलावा, लाखों विस्थापितों को भोजन, आश्रय, दवाओं व संरक्षण समेत अन्य ज़रूरी सेवाओं की ज़रूरत है. इन ज़रूरतमन्दों में आधी संख्या बच्चों की है.

एक अनुमान के अनुसार, ग़ाज़ा में जल, स्वच्छता व साफ़-सफ़ाई सेवाएँ प्रदान करने वाले लगभग 50 फ़ीसदी केन्द्र ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हुए हैं.

यूनीसेफ़ ने आगाह किया है कि इन हालात का बच्चों पर चिन्ताजनक असर हुआ है, चूँकि उनके हैज़ा, कुपोषण समेत अन्य बीमारियों की चपेट में आने का जोखिम है.

बताया गया है कि पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में हैज़ा के मासिक मामलों में लगभग 20 गुना वृद्धि दर्ज की है, और ये स्केबिज़, जूँ, चिकन पॉक्स, त्वचा पर चकत्ते के अलावा, श्वसन तंत्र संक्रमण के एक लाख 60 हज़ार मामलों से अलग हैं.

मानवीय राहत प्रयास 

ग़ाज़ा में संकट की शुरुआत के बाद से ही, यूनीसेफ़ और साझीदार संगठनों ने कुँओं, जल शोधन संयंत्रों और जल परिवहन सेवा और कचरा निस्तारण सेवाओं के लिए ईंधन मुहैया कराया है. 

इसके अलावा, बोतलबन्द पानी और कन्टेनर के ज़रिये 13 लाख लोगों तक जल पहुँचाया गया है, और एक लाख 30 हज़ार परिवारों को स्वच्छता किट प्रदान की गई हैं, जिनमें माहवारी स्वास्थ्य, साबुन समेत अन्य उत्पाद हैं. 

यूनीसेफ़ ने जल व साफ़-सफ़ाई सेवाओं के लिए जनरेटर की आवश्यकता को रेखांकित किया है, और नल पाइपलान में मरम्मत के लिए प्लास्टिक पाइप की भी ज़रूरत है. मगर, फ़िलहाल इस सामग्री को ग़ाज़ा में पहुँचाए जाने की अनुमति नहीं है.

कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर अपने एक सन्देश में कहा कि निरन्तर बमबारी, आवश्यक सामग्री व ईंधन पर पाबन्दियों के कारण, प्रगति बाधित हो रही है. 

लड़ाई पर ठहराव के प्रयास

यूनीसेफ़ की ओर से मानवीय हालात पर यह ऐलर्ट ऐसे समय में जारी किया गया है जब ग़ाज़ा पट्टी में अधिक मात्रा में मानवीय राहत पहुँचाने के इरादे से टकराव पर ठहराव लगाने के लिए अन्तरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है.

इससे पहले, 24 नवम्बर से 1 दिसम्बर तक लड़ाई में ठहराव आया था.  

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के कमिश्नर-जनरल फ़िलिपे लज़ारिनी ने हाल ही में आगाह किया था कि हताश व निराश लोग, भोजन दिखते ही उस पर टूट पड़ रहे हैं.

सोशल मीडिया माध्यमों पर ऐसे कई वीडियों हैं, जिनमें स्थानीय लोग राहत क़ाफ़िलों को रोक करके, आपूर्ति को छीनते हुए नज़र आ रहे हैं. फ़िलिपे लज़ारिनी ने ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि हर कहीं, अस्थाई आश्रय स्थल नज़र आ रहे हैं. लोग हताश, भूखे और बेहद डरे हुए हैं. 

यूएन एजेंसी ने ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रशासन के हवाले से बताया है कि अब तक लड़ाई में 19 हज़ार 450 फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें लगभग 70 फ़ीसदी महिलाएँ व बच्चे हैं. 

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