यूएन एजेंसी ने गुरूवार को बताया कि ग़ाज़ा में अब केवल 5,700 टन खाद्य सामग्री ही बची है, जिससे क़रीब अगले दो सप्ताह तक ज़रूरतमन्दों को मदद पहुँचाई जा सकती है.
बिगड़ते सुरक्षा हालात, बड़ी संख्या में विस्थापित आबादी और बढ़ती ज़रूरतों के बीच आम नागरिकों तक मदद पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है.
साथ ही, ग़ाज़ा से लगी सीमा के बाहर 85 हज़ार टन खाद्य सामग्री को तैयार रखा गया है, ताकि सीमा चौकियों के खुलने की स्थिति में उन्हें जल्द से जल्द पहुँचाया जा सके.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों को बताया कि ग़ाज़ा में भीषण टकराव जारी है, लड़ाई में आम फ़लस्तीनी हताहत हो रहे हैं और मानवीय सहायताकर्मियों के लिए ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाना कठिन साबित हो रहा है.
इसराइली सैन्य बलों ने रविवार को राफ़ाह में अपना ज़मीनी अभियान शुरू किया है, जिसमें फ़लस्तीनी नागरिक प्रतिरक्षा दल और फ़लस्तीनी रैड क्रेसेन्ट की कई ऐम्बुलेंस गोलीबारी की चपेट में आई हैं. इन ऐम्बुलेंस के ज़रिये घायलों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश की जा रही थी.
बुधवार को यूएन व रैड क्रेसेन्ट की टीम ने हताहतों और ऐम्बुलेंस को वहाँ से निकालने की कोशिश की, मगर उनके लिए वहाँ पहुँच पाना सम्भव नहीं हो पाया.
यूएन प्रवक्ता दुजैरिक ने दोहराया कि स्वास्थ्यकर्मियों व अग्रिम मोर्चे पर डटे राहतकर्मियों को कभी भी निशाना नहीं बनाया जाना होगा.
“लड़ाई से बचकर भाग रहे लोगों को सुरक्षित वहाँ से निकलने देना होगा और उन्हें हालात सामान्य होने की स्थिति में वहाँ स्वैच्छिक रूप से लौटने की अनुमति देनी होगी.”
ग़ाज़ा में बड़ी संख्या में लोग भागने के लिए मजबूर हो रहे हैं और यहाँ का क़रीब 18 फ़ीसदी हिस्सा जगह खाली करने के आदेश के दायरे में है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ अपने साझेदार संगठनों के साथ मिलकर ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने का हरसम्भव प्रयास कर रही हैं, लेकिन सीमा चौकियों पर माल से लदे वाहनों के प्रवेश की पूर्ण रूप से पाबन्दी है, जिससे मानवीय सहायता क़ाफ़िलों पर गहरा असर हुआ है.
सीमा पर प्रतीक्षा
ग़ाज़ा में हज़ारों टैंट व आश्रय व्यवस्था के लिए अन्य सामान भेजे जाने की तैयारी की जा चुकी है, मगर फ़िलहाल यह क़ाफ़िला सीमा पर प्रवेश की बाट जोह रहा है.
बहुत से परिवारों के पास कोई सामान नहीं है और इसलिए उन्हें शरण प्रदान करने के लिए समर्थन की आवश्यकता होगी. मौजूदा क़िल्लत की वजह से विशाल आवश्यकताओं को पूरा कर पाना सम्भव नहीं है.
इस बीच, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ग़ाज़ा में दरकती स्वास्थ्य प्रणाली के प्रति आगाह किया है. संगठन के अनुसार, लोगों के गम्भीर रूप से घायल होने की घटनाएँ बढ़ रही है, जिसके लिए चिकित्सा सामग्री को फिर से जुटाए जाने की ज़रूरत है.
WHO के अनुसार, फ़िलहाल केवल 500 यूनिट रक्त ही बचा है जबकि हर महीने कम से कम आठ हज़ार यूनिट की आवश्यकता होती है. बेहोश करने की दवा और वैक्सीन की भी कमी बताई गई है.
