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ग़ाज़ा: ख़ान यूनिस से विशाल विस्थापन, पहले से सीमित संसाधनों पर भारी बोझ

ग़ाज़ा: ख़ान यूनिस से विशाल विस्थापन, पहले से सीमित संसाधनों पर भारी बोझ

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों की समन्वय एजेंसी – OCHA ने बताया है कि 7 अक्टूबर (2023) के बाद से, ग़ाज़ा में 10 में से 9 लोग यानि लगभग 90 प्रतिशत आबादी को जबरन बेघर होना पड़ा है, जिनमें कुछ लोग तो ऐसे हैं जिन्हें बार-बार इस तकलीफ़ से गुज़रना पड़ा है.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूए सहायता एजेंसी – UNRWA  ने नवीनतम जानकारी में बताया है कि संयुक्त राष्ट्र सहायता एजेंसियों और साझीदारों के लिए, “ईंधन की क़िल्लत जारी है जिसके कारण उनके सहायता अभियान बाधित हो रहे हैं और स्वास्थ्य, जल व खाद्य उत्पादन सेवाएँ ठप हो रही हैं.”

UNRWA की नवीनतम जानकारी के अनुसार, रविवार को मानवीय सहायता सामग्री से भरे केवल 24 ट्रकों को, कैरेम शेलॉम सीमा चौकी के ज़रिए ग़ाज़ा में दाख़िल होने की अनुमति मिली है.

जून महीने  में लगभग 1,300 सहायता ट्रक ग़ाज़ा में दाख़िल हुए था, जुलाई में कुल मिलाकर केवल 674 ट्रक ही दाख़िल हो सके हैं, जबकि जुलाई महीना ख़त्म होने में केवल एक सप्ताह ही बचा है.

ईंधन की भारी क़िल्लत

UNRWA ने OCHA के हवाले से ख़बर दी है कि 1 जुलाई से 21 जुलाई के दौरान, ग़ाज़ा में केवल 21 लाख लीटर ईंधन दाख़िल हो सका है, जिसमें 3 लाख 78 हज़ार 700 लीटर ईंधन केवल एक ही दिन – 21 जुलाई को दाख़िल हुआ.

यह मात्रा औसतन लगभग 1 लाख 3 हज़ार लीटर प्रतिदिन बैठती है, जबकि मानवीय सहायता एजेंसियों को ग़ाज़ा में अपने सहायता अभियान जारी रखने के लिए, हर दिन लगभग 4 लाख लीटर ईंधन की आवश्यकता है.

पश्चिमी तट में हिंसा जारी

इस बीच संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ विशेषज्ञ मैरी लॉलर ने बुधवार को कहा है कि इसराइली अधिकारी उसके क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी इलाक़े पश्चिमी तट में, मानवाधिकार पैरोकारों को लगातार निशाना बना रहे हैं. इसमें पूर्वी येरूशेलम का इलाक़ा भी शामिल है.

मानवाधिकार पैरोकारों की स्थिति पर विशेष रैपोर्टेयर मैरी लॉलर ने दो फ़लस्तीनी मानवाधिकार पैरोकारों – उमर अल ख़ातिब और दियाला आएश को तुरन्त रिहा किए जाने का आहवान किया है, जिन्हें “प्रशासनिक हिरासत” में रखा गया है.

इन दोनों पैरोकारों को अक्टूबर 2023 और मार्च 2024 के बीच गिरफ़्तार किया गया था.

मैरी लॉलर ने एक वक्तव्य में कहा है कि ऐसी ख़बरें हैं कि इन दोनों पैरोकारों और तीन अन्य कार्यकर्ताओं को थप्पड़ मारे गए, पीटा गया और बेइज़्ज़त किया गया, एक-दो दिनों के भीतर ही, एक जेल से दूसरी जेल भेजा गया, और हैब्रियू भाषा में लिखे ऐसे दस्तावेज़ों पर दस्तख़त करने के लिए कहा गया जो वो समझ नहीं सके.

मानवाधिकार विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और वो यूएन स्टाफ़ नहीं होते हैं.

उन्होंने बताया कि इन पाँचों मानवाधिकार पैरोकारों को वारंट के बिना ही गिरफ़्तार किया गया. उन्हें उनकी गिरफ़्तारी का कोई कारण नहीं बताया गया कि उन्हें किसलिए हिरासत में लिया जा रहा है. वकीलों की उपस्थिति के बिना ही उनसे पूछताछ की गई और उन्हें अपने परिवारों से सम्पर्क करने की भी अनुमति नहीं दी गई.

मौतें और विध्वंस

मीडिया ख़बरों में बताया गया है कि पश्चिमी तट में जारी हिंसा में मंगलवार को चार फ़लस्तीनी मारे गए हैं.

ऐसी ख़बरें हैं कि इसराइल के बख़्तरबन्द वाहन और सैनिक, क़लान्दिया इलाक़े में घुस गए, जोकि येरूशेलम के उत्तर में शरणार्थियों से खचाखच भरा इलाक़ा है. इसराइली सैनिकों ने वहाँ एक फ़लस्तीनी परिवार का घर यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया कि उसने इसराइल पर कोई हमला किया था.

OCHA की जानकारी में कहा गया है कि पश्चिमी तट में, 7 अक्टूबर (2023) से 15 जुलाई (2024) के बीच, 554 फ़लस्तीनी मारे गए हैं.

उधर यूनीसेफ़ ने कहा  कि 7 अक्टूबर के बाद से पश्चिमी तट में 143 बच्चे मारे गए हैं, जोकि हर दो दिन में एक बच्चे की मौत के बराबर है.

इनमें 539 फ़लस्तीनी लोग, इसराइली सेनाओं के हाथों मारे गए हैं, 10 फ़लस्तीनी लोग यहूदी बाशिन्दों के हाथों मौत का शिकार हुए हैं और सात लोगों की मौत के बारे में स्पष्ट नहीं है कि इसराइली सेनाओं या यहूदी बाशिन्दों में से किसके हाथों मारे गए.

इसी अवधि के दौरान पश्चिमी तट में फ़लस्तीनियों के हाथों,  14 इसराइली लोग भी मारे गए हैं, जिनमें 9 इसराइली सैनिक हैं और पाँच यहूदी बाशिन्दे हैं.

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