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ग़ाज़ा: ख़ान यूनिस में युद्ध भड़कने से होंगे ढाई लाख लोग विस्थापित

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA ने पूरे ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में इसराइल द्वारा भारी बमबारी किए जाने के बारे में जानकारी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि दक्षिणी इलाक़े से जान बचाकर भाग रहे लोगों को, पानी के नज़दीक आश्रय स्थल बनाने पड़े हैं क्योंकि विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविरों में पहले ही अत्यधिक भीड़ है.

केवल कुछ ही सप्ताह पहले ही ख़ान यूनिस इलाक़े में, इसराइल की भीषण बमबारी के कारण, लोग वहाँ से अन्य स्थानों के लिए चले गए थे, जिसमें लोगों के घर और अन्य इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए थे. 

मगर कुछ परिवारों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं था और वो मई के शुरू में, इसराइली सेना के रफ़ाह की तरफ़ चले जाने के बाद, वहाँ वापिस चले गए थे.

UNRWA की वरिष्ठ संचार अधिकारी लुइस वॉटरिज ने कहा है, “यहाँ मानवीय सहायता आपूर्ति के लिए एक अन्य विनाशकारी झटका है, यह लोगों और धरातल पर मौजूद परिवारों के लिए एक अन्य भीषण झटका है. ऐसा लगता है कि उन्हें जबरन और मजबूरन बार-बार विस्थापित होना पड़ा है.”

‘असम्भव निर्णय’

लुइस वॉटरिज ने कहा कि जो लोग अब विस्थापित हुए हैं, उन्हें “असम्भव” निर्णय लेने पड़े हैं.

उनका कहना है, “माता-पिता और अभिभावक किस तरह फ़ैसला करें कि उन्हें कहाँ जाना है, वो कहाँ जा सकते हैं? आज सुबह तक ही मध्य ग़ाज़ा इलाक़े में, तटवर्ती सड़के किनारे, आप देख सकते हैं कि अस्थाई आश्रय स्थल बनाए गए हैं, जिन्हें पानी छू रहा है. ये इलाक़े पहले विस्थापित हुए लोगों से पूरी तरह भरा हुआ है.”

UNRWA की अधिकारी ने बताया है कि ग़ाज़ा पट्टी के उत्तरी, मध्य और दक्षिणी इलाक़ों में, इसराइल की भारी बमबारी जारी रही है… कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है. वहा मौजूद परिवार पहले ही अन्य स्थानों के लिए निकल रहे हैं. ज़मीन पर अफ़रा-तफ़री और भय का मौहाल फैल रहा है.

लुइस वॉटरिज ने कहा कि UNRWA ने ईंधन व सुरक्षा की क़िल्लत के बावजूद पानी, खाद्य पैकेट, आटा, गद्दे, अन्य ज़रूरी चीज़ें और स्वास्थ्य देखभाल का सामान, वितरित करना जारी रखा है.

उन्होंने कहा, “मगर इसराइल द्वारा की गई नाकाबन्दी के केराण, यूएन एजेंसियों को, मानवीय सहायता की आपूर्ति करना लगभग असम्भव हो गया है… और अब इसराइली सेना ने लोगों की बेदख़ली के नए आदेश जारी किए हैं जिनके कारण कैरेम शेलॉम सीमा चौकी पर मानवीय सहायता सामग्री हासिल करने की एजेंसी की क्षमता प्रभावित हुई है.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी ग़ाज़ा में मानवीय सहायता आपूर्ति की भारी कमी पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुए रेखांकित किया है कि ईंधन की आपूर्ति की कमी के कारण, ग़ाज़ा पट्टी में स्वास्थ्य सेवाएँ किस तरह बड़े पैमाने पर कमज़ोर पड़ी हैं.

ईंधन की भारी क़िल्लत

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के एक क्षेत्रीय अधिकारी डॉक्टर हनान बाल्ख़ी ने कहा है कि ग़ाज़ा के स्वास्थ्य सैक्टर को प्रतिदिन लगभग 80 हज़ार लीटर ईंधन की ज़रूरत है, मगर जून महीने के अन्त तक, लगभग दो लाख लीटर ईंधन ही पहुँच सका था; “उसके बाद से, ग़ाज़ा में ईंधन की क़तई आपूर्ति नहीं हुई है.”

उन्होंने येरूशेलम से वीडियो लिंक के ज़रिए बताया कि ईंधन की इस भारी क़िल्लत के परिणामस्वरूप अस्पतालों में एक बार फिर ईंधन की भारी क़िल्लत है, जिससे गम्भीर चिकित्सा सेवाएँ बाधित हुई हैं और घायल लोग मौत के मुँह में जा रहे हैं क्योंकि ऐम्बुलेंसों को, ईंधन की क़िल्लत के कारण देरी का सामना करना पड़ रहा है.

बीमारियों की चिन्ता

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि 15 से 23 जून तक, पानी व स्वच्छता समूहों को, स्वास्थ्य सेवाएँ संचालित रखने के लिए दैनिक ज़रूरतों का केवल 5 प्रतिशत ईंधन प्राप्त हुआ था. इसके परिणामस्वरूप पानी मुहैया कराने वाली एजेंसियों को ईंधन की मात्रा सीमित करनी पड़ी है जिससे जल उपलब्धता में भारी कमी हुई है.

WHO अधिकारी ने कहा कि इस स्थिति के कारण, बीमारियाँ फैल रही हैं और जल जनित बीमारियों की चपेट में आ रहे वयस्कों व बच्चों की संख्या बढ़ रही है. इन बीमारियों में हैपेटाइटिस A, डायरिया, त्वचा की बमारियाँ व अन्य लोग शामिल हैं.

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