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ग़ाज़ा: ख़ान यूनिस में अफ़रा-तफ़री के बीच व्यापक पलायन, UNRWA

एजेंसी ने गत सप्ताहान्त के दौरान ख़ान यूनिस में अब वीरान पड़े एक स्काल में पहुँचकर वहाँ के हालात का जायज़ा लिया, जहाँ से हज़ारों लोग, इसराइल की दीगर सघन बमबारी से बचने के प्रयासों में क्षणिक चेतावनी के बाद, अन्यत्र स्थानों पर चले गए हैं.

UNRWA की संचार अधिकारी लुइस वॉटरिज ने कहा है, “वो लोग इस स्कूल के भीतर पनाह लिए हुए थे, कक्षाओं के लिए बने कमरों में ठहरे हुए थे और बाहरी जगह में भी लोग ठहरे हुए थे. मगर अब यहाँ कुछ भी नहीं नहीं बचा है. हर कोई आनन-फानन में यहाँ से ख़ाली करके अन्यत्र चले गए हैं.”

UNRWA की संचार अधिकारी लुइस वॉटरिजन ने सोशल मीडिया मंच पर लिखा है कि स्कूल से पलायन करने वाले बच्चों के जूते, हर जगह बिखरे पड़े थे. उन्होंने एक सीधे हमले में क्षतिग्रस्त हुई छत पर से गिरे मलबे की तरफ़ भी ध्यान खींचा.

ज़िन्दगियाँ उलट-पलट

लुइस वॉटरिज ने कहा कि इस स्कूल में अब कोई भी लोग नहीं बचे हैं, मगर साथ ही ये भी देखा जा सकता है कि लोगों को किस अफ़रा-तफ़री में यहाँ से भागना पड़ा. “ज़मीन पर जूते बिखरे पड़े हैं, दैनिक प्रयोग की चीज़ें बिखरी पड़ी हैं, यहाँ तक कि खाने-पीने की कुछ चीज़ें भी बिखरी पड़ी हैं.”

लुइस वॉटरिज ने बताया कि ख़ान यूनिस में स्थित प्रशिक्षण केन्द्र में एक समय लगभग 40 हज़ार लोग पनाह लिए हुए थे, जिसे इसराइल के सीधे हमले का निशाना बनाया गया और उसके बाद उस पर इसराइल ने अपनी घेराबन्दी में ले लिया. “कमरे पूरी तरह से जल गए और चारों तरफ़ लोगों का सामान, बिखरा पड़ा था…इस इमारत के बाहरी मैदान में बच्चों की क़ब्रें थीं, जिन पर लिखा था, आपकी बहन आपको याद करती है.”

दूरगामी प्रभाव

UNRWA का कहना है कि 7 अक्टूबर (2023) को भड़के ग़ाज़ा में युद्ध ने उसके 165 स्थलों को प्रभावित किया है. 7 अक्टूबर को इसराइल के दक्षिणी हिस्स में हमास के एक हमले में लगभग 1250 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बन्धक बना लिया गया था.

ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, 7 अक्टूबर को ही इसराइल द्वारा ग़ाज़ा में शुरू किए गए आक्रमण और सघन बमबारी में अभी तक 34 हज़ार 480 से अधिक फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं, और 77 हज़ार 640 से अधिक घायल हुए हैं. 

यूएन बाल कोष – यूनीसेफ़ ने कहा है कि मृतकों में 13 हज़ार से अधिक बच्चे हैं. इस एजेंसी ने 17 वर्ष तक की आयु वाले  बच्चों व किशोरों तक कपड़े वग़ैरा पहुँचाए हैं जिनकी संख्या दो लाख 3 हज़ार से अधिक है.

यूनीसेफ़ ने बताया है कि ग़ाज़ा में लगभग 7 महीने के युद्ध में कम से कम 17 हज़ार बच्चे बेसहारा हैं या अपने परिवारों से बिछड़ गए हैं. जबकि 10 में से औसतन 70 यानि लगभघ 70 प्रतिशत घरों का या तो नुक़सान हुआ है या वो पूरी तरह से तबाह हो गए हैं.

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