यूएन एजेंसी के महाआयुक्त फ़िलिप लज़ारिनी ने सोमवार को कहा कि इस एजेंसी के विरुद्ध चलाए जा रहे कूटनैतिक और राजनैतिक अभियान से, धरातल पर इसके स्टाफ़ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
फ़िलिपे लज़ारिनी से जब ये सवाल पूछा गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में अगले राष्ट्रपति पद के लिए डॉनल्ड ट्रम्प के निर्वाचन से क्या कुछ परिवर्तन अपेक्षित है, तो उन्होंने कहा कि फ़लस्तीनी लोगों की आकांक्षाओं को सुना जाना होगा.
उन्होंने बताया है कि युद्धग्रस्त फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में बीते सप्ताहान्त के दौरान क़ानून और व्यवस्था के लगभग पूरी तरह बिखर जाने और इसराइली सैनिकों द्वारा इस एजेंसी के स्टाफ़ को परेशान किए जाने के बीच, एक विशाल मानवीय सहायता क़ाफ़िले को लूटा गया है.
इस यूएन एजेंसी के कमिश्नर जनरल फ़िलिपे लज़ारिनी ने सोमवार को बताया, “100 से अधिक ट्रकों को लूटा गया है, जिनमें मुख्य रूप से UNRWA औपर WFP के सहायता अभियानों लिए सामान ले जाया जा रहा था.”
उन्होंने कहा, “इससे क्या नज़र आता है? हमने बहुत लम्बे समय पहले क़ानून और व्यवस्था के बिखर जाने के बारे में चेतावनी जारी की थी. क़रीब चार या पाँच महीने पहले हमारे पास स्थानीय क्षमता थी, जिसके ज़रिए लोग क़ाफ़िलों को सुरक्षा मुहैया करा रहे थे. अब वो सुरक्षा बिल्कुल समाप्त हो गई है.”
UNRWA सोशल मीडिया पर लिखा है कि सहायता क़ाफ़िले को लूटे जाने की यह घटना शनीवार को हुई जिसमें 109 सहायता ट्रक शामिल थे. “इस लूटपाट में कुल 97 ट्रकों का नुक़सान हुआ और चालकों को बन्दूक की नोंक पर, उन ट्रकों के सामान को उतारने के लिए विवश किया गया.”
इसराइल की मानवीय ज़िम्मेदारी
यूएन एजेंसी UNRWA ने ज़ोर देकर कहा है, “इसराइली अधिकारी अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, आबादी की बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति सुनिश्चित किए जाने और मानवीय सहायता की सुरक्षित आपूर्ति को आसान बनाने की अपनी क़ानूनी ज़िम्मेदारियों की लगातार अनदेखी कर रहे हैं.”
“ये ज़िम्मेदारियाँ उस समय भी क़ायम रहती हैं जब ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता के ट्रक दाख़िल हों, जब तक कि ये ज़रूरी सहायता सामग्री, लोगों तक नहीं पहुँच जाए.”
इस बीच ग़ाज़ा में इसराइल की बमबारी लगातार जारी रहने की ख़बरे हैं जिनमें सप्ताहान्त के दौरान उत्तरी बिएत लहिया में एक आवासीय इमारत पर बमबारी शामिल है जिसमें अनेक लोग हताहत हुए हैं.
UNRWA ने इस बमबारी की तीखी निन्दा करते हुए कहा है कि आटे की भारी क़िल्लत के कारण, दियर अल बलाह और ख़ान यूनिस में यूएन समर्थित 8 बेकरियाँ बहुत कम क्षमता के साथ काम कर पा रही हैं. कुछ बेकरियाँ तो पूरी तरह बन्द हो गई हैं.
एजेंसी ने कहा है कि अगर तुरन्त समाधान नहीं निकाला गया तो गम्भीर खाद्य क़िल्लत और भी बदतर होने वाली है, जिसमें ग़ाज़ा में रहने वाले 20 लाख से भी अधिक लोगों का जीवन जोखिम में पड़ जाएगा, जो जीवित रहने के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
UNRWA का कोई विकल्प नहीं
UNRWA के मुखिया फ़िलिपे लज़ारिनी ने सोमवार को जिनीवा में बात करते हुए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा बड़े पैमाने पर दी जा रही इस चेतावनी को दोहराया कि इसराइल द्वारा इस एजेंसी को तितर-बितर कर देने के प्रयासों के, ग़ाज़ा के लोगों पर बहुत गम्भीर परिणाम होंगे, जो शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आजीविकाओं के लिए इस एजेंसी पर निर्भर हैं.
उन्होंने कहा, “मुझसे अक्सर सवाल किया जाता है कि इस एजेंसी का कोई विकल्प क्यों नहीं है? दरअसल, इस एजेंसी का स्थान केवल एक कारगर देश ही ले सकता है… अगर हम इस एजेसी को बिना कोई ठोस विकल्प मुहैया कराए हुए ही बिखेर दें तो, उससे एक रिक्त स्थान उत्पन्न हो जाएगा. साथ ही हम ऐसा करके ना केवल लाखों बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर देंगे, बल्कि हम भविष्य के लिए और अधिक अतिवाद, अधिक घृणा के बीच बोएंगे.”