यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर अपने सन्देश में लिखा कि ये बच्चे किसी तरह बमबारी में जीवित बच गए, मगर अकाल की मार नहीं झेल पाएंगे.
कमाल अदवाल नामक अस्पताल से मिली वीडियो फ़ुटेज़ वहाँ ज़रूरतों के विशाल स्तर को दर्शाती है, मगर लड़ाई और इसराइली प्रशासन द्वारा कथित रूप से खड़े किए गए अवरोधों के कारण पर्याप्त सहायता पहुँचाना सम्भव नहीं हो पाया है.
उत्तरी ग़ाज़ा के इस अस्पताल में अब तक कुपोषण और प्यास से कम से कम 10 बच्चों की मौत हो चुकी है. इसराइली सैन्य बलों और हमास लड़ाकों के बीच लड़ाई के पाँच महीनों के बाद अब यहाँ अकाल फैलने की आशंका बढ़ती जा रही है.
इस बीच, अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्धविराम पर केन्द्रित प्रस्ताव का संशोधित मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसमें सभी बंधकों की रिहाई के साथ ग़ाज़ा पट्टी में तत्काल छह हफ़्तों के लिए युद्धविराम की अपील की गई है.
15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद में, प्रस्ताव को पारित होने के लिए उसके समर्थन में कम से कम नौ मतों का होना और स्थाई सदस्यों द्वारा वीटो अधिकार का इस्तेमाल ना किया जाना ज़रूरी है.
सुरक्षा परिषद के पाँच सदस्य देशों में, अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्राँस, रूस और चीन हैं.
मिस्र की राजधानी काहिरा में युद्धविराम और सभी बंधकों की रिहाई के मुद्दे पर बातचीत जारी है, और हिंसक टकराव पर विराम लगाने के समर्थन में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मांग तेज़ हो रही है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने सोमवार को आगाह किया था कि ग़ाज़ा में हिंसक टकराव की आंच, मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थित सभी देशों को अपनी चपेट में ले सकती है.
लाल सागर क्षेत्र में असर
अब यूएन अर्थशास्त्रियों ने सचेत किया है कि लाल सागर में समुद्री मार्ग से व्यापार में पिछले दो महीनों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.
लाल सागर में जहाज़ों पर यमनी हूती लड़ाकों द्वारा हमलों में तेज़ी आने के बाद ये चिन्ता बढ़ी है. इन हमलों को ग़ाज़ा पट्टी के साथ एकजुटता दर्शाने के मक़सद से किया गया है.
व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) के नवीनतम आँकड़े दर्शाते हैं कि स्वेज़ नहर के रास्ते जाने वाले कंटेनर जहाज़ों में व्यवधान आया है, जोकि बड़ी चिन्ता की वजह है.
योरोप और एशिया के बीच समुद्री मार्ग से आवाजाही के लिए, स्वेज़ नहर एक अहम जलमार्ग है.
संकट की आहट
UNCTAD के अनुसार, लाल सागर में हमलों के ख़तरे के कारण, अनेक जहाज़ अब नहर के रास्ते होकर जाने से बच रहे हैं और अफ़्रीका के इर्दगिर्द लम्बे मार्ग का विकल्प चुन रहे हैं. फ़रवरी 2024 की पहली छमाही में, 586 कंटेनर जहाज़ों को अपना रास्ता बदलना पड़ा है.
पिछले साल, समुद्री मार्ग से हुए कुल कंटेनर व्यापार में स्वेज़ नहर से होकर जाने वाले जहाज़ों का हिस्सा 22 प्रतिशत था, जिसके ज़रिये प्राकृतिक गैस, तेल, कार, कच्चा माल और अन्य उत्पाद भेजे गए थे.
मगर, लाल सागर मार्ग पर जहाज़ों के हमले जारी रहने से उद्योग जगत के लिए एक नई चुनौती उपजी है.
मंगलवार को भारतीय नौसेना ने एक और हमले की ख़बर दी थी. इससे पहले, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से 2022 में काला सागर व्यापार मार्ग प्रभावित हुआ था.
यूएन विशेषज्ञों के अनुसार यह पहली बार है जब दो बड़े समुद्री व्यापार मार्ग में व्यवधान आया है, जिसके मुद्रास्फीति और खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा पर गम्भीर असर हो सकते हैं, और इसका विकासशील देशों पर सर्वाधिक असर होने की आशंका है.