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ग़ाज़ा का उत्तरी अस्पताल हुआ जर्जर, ‘मानवीय त्रासदी क्षेत्र’ में तब्दील, WHO

इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में WHO के प्रतिनिधि डॉक्टर रिचर्ड पीपरकॉर्न ने ग़ाज़ा से जानराकी देते हुए, ग़ाज़ा शहर के अल-अहली अस्पताल में आघात के रोगियों से भरे गलियारों का वर्णन किया, जहाँ डॉक्टरों को फ़र्श पर ही लोगों का इलाज करना पड़ रहा है, और ईंधन, ऑक्सीजन, भोजन और पानी की भारी कमी है.

उन्होंने बताया कि केवल 66 दिनों के युद्ध में, ग़ाज़ा पट्टी को, एक ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था में तब्दील कर दिया गया है जहाँ इसके कुल 36 अस्पतालों में से, केवल दो तिहाई में ही काम हो पा रहा है. 

साथ ही, ग़ाज़ा क्षेत्र की कुल लगभग 70 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाएँ क़रीब ठप हैं, जबकि इस युद्ध से पहले ग़ाज़ा क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था, पड़ोसी देशों की ही तरह, “यथोचित रूप से कार्यशील स्वास्थ्य प्रणाली” के रूप में काम कर रही थी.

इस बीच WHO के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने जिनीवा में संवाददाताओं से कहा कि ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में स्थित कमल अदवान अस्पताल को मंगलवार सुबह “बलपूर्वक ख़ाली” कराया जा रहा था.

उस अस्पताल में अनेक गम्भीर अवस्थाओं वाले मरीज़ भर्ती हैं, जिनमें गहन देखभाल में 18 और छह नवजात शिशुओं सहित लगभग 68 मरीज़, हज़ारों विस्थापित लोग हैं, और उनके लिए सुरक्षा की मांग की गई है.

संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय –OCHA ने कहा कि अस्पताल कई दिनों से इसराइली सैनिकों और टैंकों से घिरा हुआ है और पास में सशस्त्र झड़पों की भी सूचना है. 

सोमवार को कथित तौर पर गोलाबारी के दौरान अस्पताल के प्रसूति विभाग पर हमला हुआ और दो माताओं की मौत हो गई.

स्वास्थ्य मिशन को ‘गम्भीर घटनाओं’ का सामना

डॉक्टर पीपरकॉर्न ने बताया कि ग़ाज़ा के तबाह हो चुके उत्तर इलाक़ी में भारी मानवीय ज़रूरतों के बीच, अल-अहली अस्पताल में कर्मचारियों की भारी कमी है. यहाँ 200 से अधिक मरीज़ हैं, लेकिन केवल 40 मरीज़ों को ही सहारा देने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं. स्वास्थ्य कर्मचारी ज़रूरी ऑपरेशन करने में असमर्थ रहने पर, जीवन बचाने के अन्तिम उपायों के रूप में, मरीज़ों का अंग विच्छेदन करने पर विवश हैं.

यूएन स्वास्थ्य ने कहा पिछले शनिवार को, WHO के नेतृत्व वाले संयुक्त राष्ट्र और फ़लस्तीन रैड क्रैसेंट सोसाइटी (पीआरसीएस) के क़ाफ़िले को 1,500 मरीज़ों को अस्पताल पहुँचाने और 19 गम्भीर मरीज़ो व उनके साथियों को, ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े में नासिर चिकित्सा परिसर में स्थानान्तरित करने के मिशन के दौरान, “गम्भीर घटनाओं” का सामना करना पड़ा.

बन्दूक की नोक पर बन्दीकरण

डॉक्टर पीपरकॉर्न ने इस मिशन में आईं अनेक बाधाओं का ज़िक्र किया, जिनमें उत्तर की ओर जाने वाले रास्ते पर वादी ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य चौकी पर किया जाना निरीक्षण भी शामिल है, जहाँ पीआरसीएस के दो कर्मचारियों को एक घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था. 

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान के अनुसार, “WHO के कर्मचारियों ने देखा कि उनमें से एक को बंदन्क की नोक पर घुटनों के बल बिठाया गया और फिर उसे नज़रों से ओझल कर दिया गया, जहाँ कथित तौर पर उसे डराया-धमकाया गया, पीटा गया, उसके कपड़े उतार दिए गए और तलाशी ली गई.”

WHO ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि “जब कोई व्यक्ति चिकित्सा मिशन का हिस्सा हों तो उन्हें हिरासत में नहीं लिया जा सकता” और इस तथ्य पर भी ज़ोर दिया कि ऐसे महत्वपूर्ण मानवीय मिशनों में “किसी तरह की देरी के लिए कोई जगह नहीं होती”.

डॉक्टर पीपरकॉर्न ने कहा कि उत्तरी ग़ाज़ा, अब “बन्जर भूमि जैसा दिखता है”, वहाँ पहुँचने पर, मानवीय सहायता कर्मियों ने सड़क पर बहुत से लोगों को क़ाफ़िले को देखकर आश्चर्यचकित होते हुए देखा, क्योंकि ग़ाज़ा पट्टी के उस उत्तरी इलाक़े में, कई महीनों से कोई सहायता नहीं पहुँची है.

घातक देरी

WHO ने कहा कि चिकित्सा आपूर्ति से भरे सहायता ट्रकों और क़ाफ़िले में शामिल एक ऐम्बुलेंस पर, ग़ाज़ा शहर में प्रवेश करने पर गोलियाँ दागी गईं.

WHO ने बताया कि ऐम्बुलेंस में भर्ती गम्भीर मरीज़ों की इसराइली सशस्त्र सैनिकों ने तलाशी ली, और रास्ते में पहले अस्थाई रूप से हिरासत में लिए गए उन्हीं दो पीआरसीएस कर्मचारियों में से एक को दूसरी बार पूछताछ के लिए ले जाया गया. इस दौरान काफ़ी देरी हुई और “पीआरसीएस ने बाद में बताया कि स्थानान्तरण प्रक्रिया के दौरान, गम्भीर रूप से घायल मरीजों में से एक मरीज़ की, इलाज नहीं मिलने के कारण मृत्यु हो गई.

“संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त प्रयासों के बाद” उस रात अपनी रिहाई के बाद, पीआरसीएस स्टाफ़ सदस्य ने कहा कि उसे पीटा गया और अपमानित किया गया, फिर “उसके हाथ उसकी पीठ के पीछे बंधे हुए ही, उसे बिना कपड़ों और जूतों के ही, दक्षिणी इलाक़े की तरफ़ चलने के लिए छोड़ दिया गया”.

स्वास्थ्य प्रणाली की ‘रक्षा की जानी चाहिए’

WHO के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने मंगलवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपने सन्देश में, “लम्बे समय तक जाँच और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की हिरासत के बारे में अपनी चिन्ता व्यक्त की, जिनसे पहले से ही नाज़ुक हालत वाले रोगियों के जीवन को और भी ख़तरा उत्पन्न होता है.”

उन्होंने जोर देकर कहा, “ग़ाज़ा के लोगों को स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच का अधिकार है. स्वास्थ्य प्रणाली की रक्षा किया जाना ज़रूरी है. युद्धकाल में भी.”

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