यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने 24 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व पोलियो (निरोधक) दिवस से एक दिन पहले बुधवार को कहा है कि पोलियो वैक्सीन अभियान को सफल बनाने के लिए, युद्ध में मानवीय ठहराव ज़रूरी हैं, ताकि पोलियो वैक्सीन की ख़ुराकें, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचाई जा सकें, परिवार भी सुरक्षित तरीक़े से वैक्सीन स्थलों तक पहुँच सकें, और स्वास्थ्य कर्मियों की सचल टीमें भी समुदायों में बच्चों तक पहुँच सकें.
मगर हिंसा के बढ़ते स्तर, इसराइल की भीषण बीमारी, बड़े पैमाने पर लोगों के विस्थापन, और उत्तरी ग़ाज़ा में बमबारी में निश्चित मानवीय ठहराव की गारंटी नहीं होने के अभाव में, ग़ाज़ा की पोलियो तकनीकी समिति को, वैक्सीन अभियान के तीसरे और अन्तिम चरण को स्थगित करना पड़ा है. यह चरण बुधवार को शुरू होने वाला था.
वैक्सीन अभियान के अन्तिम चरण में पूरे उत्तरी ग़ाज़ा में एक लाख 19 हज़ार 279 बच्चों को पोलियो से बचाने वाली वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाए जाने का लक्ष्य है.
ग़ाज़ा की पोलियो तकनीकी समिति में फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय, WHO, यूनीसेफ़ और फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA व अन्य साझीदार शामिल हैं.
घेराबन्दी और बमबारी
इस समय लगभग चार लाख लोग, उत्तरी ग़ाज़ा में फँसे हुए हैं जो इसराइली बलों के बेदख़ली आदेशों और भीषण बमबारी का सामना कर रहे हैं.
मंगलवार को, UNRWA, WHO और अन्य यूएन एजेंसियों ने इसराइली अधिकारियों से, लोगों तक जीवनरक्षक मानवीय सहायता आपूर्ति करने के लिए, तत्काल अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया था.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि उत्तरी ग़ाज़ा में मौजूदा हालात से, लोगों की सुरक्षा और उनके आवागमन के लिए ख़तरा है जिसमें सिविल बुनियादी ढाँचे पर इसराइल के हमले लगातार जारी हैं. इन हमलों के कारण परिवारों के लिए, अपने बच्चों को पोलियो वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने के लिए, स्वास्थ्य केन्द्रों तक लाना असम्भव है.
अभियान मुस्तैद
WHO ने कहा है कि इससे पहले कि पोलियो के कारण और अधिक बच्चे अपंग हों और ये बीमारी अन्य इलाक़ों में भी अपने पैर फैला सके, इसके फैलाव को जल्द से जल्द रोका जाना बहुत ज़रूरी है.
WHO और यूनीसेफ़ ने सभी पक्षों से आम लोगों, स्वास्थ्यकर्मियों, और स्कूल, आश्रय स्थल, अस्पताल जैसे सिविल ढाँचा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हुए, तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने की भी पुकार लगाई है.
ग़ाज़ा में पोलियो की वापसी
लगभग 25 वर्ष पहले, ग़ाज़ा में पोलियो पूरी तरह से ख़त्म कर दिया गया था, मगर इस वर्ष कुछ महीने पहले वहाँ फिर से पोलियो का प्रथम मामला दर्ज किया गया, जिसे लगभग एक वर्ष से जारी युद्ध और इसराइल द्वारा ग़ाज़ा पट्टी की घेराबन्दी का नतीजा बताया गया है.
ग़ाज़ा पट्टी की इसराइली घेराबन्दी के कारण मानवीय सहायता आपूर्ति प्रतिबन्धित है, पानी और स्वच्छता सेवाओं के बड़े पैमाने पर क्षति पहुँची है और इसराइल के बेदख़ली आदेशों के परिणामस्वरूप भारी संख्या में लोगों को इधर से उधर भागना पड़ रहा है, जिसके कारण अस्थाई आश्रय स्थलों में भारी भीड़ है.
देरी से पूरे क्षेत्र को ख़तरा
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा है कि अगर बड़ी संख्या में बच्चे, पोलियो वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक से वंचित रह जाते हैं तो इससे पोलियो को रोकने का अभियान गम्भीर रूप से प्रभावित हो सकता है. ऐसी स्थिति में पोलियो, ग़ाज़ा पट्टी के अन्य इलाक़ों और पड़ोसी देशों में भी फैल सकता है.
14 अक्टूबर को पोलियो वैक्सीन अभियान का दूसरा चरण शुरू किए जाने के बाद ग़ाज़ा के मध्यवर्ती और दक्षिणी इलाक़ों में, 10 वर्ष तक की आयु वाले 4 लाख 42 हज़ार 855 बच्चों को ख़ुराकें पिलाई गई हैं. यह संख्या कुल लक्ष्य की 94 प्रतिशत है.
इसी अभियान में दो वर्ष से 10 वर्ष की आयु तक के, 3 लाख 57 हज़ार 802 बच्चों को, विटामिन-A की ख़ुराकें भी दी गईं.