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ग़ाज़ा: अस्पताल पर सैन्य कार्रवाई से पहले नहीं दी गई कोई चेतावनी – WHO

ग़ाज़ा: अस्पताल पर सैन्य कार्रवाई से पहले नहीं दी गई कोई चेतावनी – WHO

क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में यूएन एजेंसी के प्रतिनिधि डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने शुक्रवार को बताया कि पूरी रात, कमाल अदवान अस्पताल के इर्दगिर्द भीषण बमबारी होती रही. ये उत्तरी ग़ाज़ा में स्थित उन चन्द स्वास्थ्य केन्द्रों में है, जहाँ आंशिक रूप से कामकाज हो पा रहा है.

उन्होंने वीडियो लिन्क के ज़रिये जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि इसराइली सैन्य बलों का एक टैंक शुक्रवार तड़के 4 बजे अस्पताल के बाहर देखा गया, जब लोगों को स्वास्थ्य केन्द्र से बाहर निकलने के लिए कहा गया.

“आधिकारिक रूप से जगह ख़ाली करने का कोई आदेश नहीं था,” मगर उसके बजाय अफ़वाहें और अफ़रा-तफ़री मची हुई थी.

“लोगों ने बच निकलने के लिए दीवारों को फांदने की कोशिश की और इस अफ़रातफ़री में इसराइली सैन्य बलों ने गोलियाँ चलाई. लोगों के मारे जाने और गिरफ़्तारियों की ख़बर है.”

डॉक्टर पीपरकोर्न के अनुसार, अक्टूबर में उत्तरी ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य अभियान शुरू होने के बाद बहुत कम मात्रा में ही कमाल अदवान अस्पताल में सहायता आपूर्ति व आपात स्वास्थ्य टीम पहुँच सकी हैं. इस वजह से अस्पताल में अति-आवश्यक चिकित्सा सामान और ईंधन की क़िल्लत है.

सात हफ़्तों तक असफल प्रयासों और अनुरोधों को नकारे जाने के बाद, कुछ ही दिन पहले एक आपात मेडिकल टीम को चिकित्सा आपूर्ति के साथ वहाँ तैनात किए जाने की अनुमति मिली थी, लेकिन फिर उसे वहाँ से जाने के लिए कह दिया गया.

इस टीम में दो सर्जन, दो आपात नर्स, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक अभियान संचालन विशेषज्ञ था. डॉक्टर पीपरकोर्न ने कहा कि फ़िलहाल अस्पताल में कोई सर्जन नहीं है और इस अन्तरराष्ट्रीय टीम को वहाँ से जाने के लिए कहा जाना, बेहद दुखद है.

WHO मिशन को मनाही

अक्टूबर 2023 के बाद से अब तक, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने 273 मिशन के लिए अनुरोध किए थे, जिनमें से क़रीब 58 फ़ीसदी को नकार दिया गया, स्थगित करना पड़ा या फिर उनके रास्ते में अवरोध खड़े किए गए.

डॉक्टर पीपरकोर्न ने कहा कि मरीज़ों को सुरक्षित, बेहतर इलाज के लिए ग़ाज़ा से बाहर अन्य देशों में भेजे जाने की व्यवस्था भी एक चुनौती है.

हमास समेत अन्य चरमपंथी गुटों द्वारा 7 अक्टूबर को इसराइल पर किए गए हमलों के बाद, इसराइली सैन्य बलों ने बड़े पैमाने पर ग़ाज़ा में जवाबी कार्रवाई शुरू की थी. उसके बाद से अब तक 5,325 मरीज़ों को ग़ाज़ा से बाहर भेजा जा चुका है.

इनमें से क़रीब पाँच हज़ार मरीज़ों को रफ़ाह चौकी के ज़रिये भेजा गया, मगर उसे 7 मई को बन्द कर दिया गया.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का अनुमान है कि ग़ाज़ा में कम से कम 12 हज़ार मरीज़ हैं, जिनकी ज़िन्दगी बचाने के लिए उन्हें वहाँ से बाहर भेजे जाने की ज़रूरत है.

हिंसक टकराव में अब तक 44 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों की जान जा चुकी है और एक लाख से अधिक घायल हुए हैं, जिनमें से अधिकाँश महिलाएँ व बच्चे हैं.

भयावह क़ीमत

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने क्षोभ व्यक्त किया है कि ग़ाज़ा पट्टी में टैंट, अस्थाई शिविरों और भोजन के लिए क़तार में लगे बच्चों की जान जा रही है.

मध्य ग़ाज़ा में बुधवार को एक खाद्य सहायता वितरण केन्द्र के पास हुए एक हवाई हमले में चार बच्चे मारे गए, जोकि भोजन लेने के लिए वहाँ इन्तज़ार कर रहे थे.

वहीं, अल मवासी इलाक़े में 40 टैंट वाले एक शिविर में हवाई हमले में कम से कम 22 लोग मारे गए, जबकि इस इलाक़े को मानवतावादी ज़ोन के रूप में चिन्हित किया गया था. इनमें आठ बच्चे थे.

यूनीसेफ़ ने कहा है कि ग़ाज़ा में सभी बच्चों की ज़िन्दगियों के लिए ख़तरा है और मानवतावादी व्यवस्था पूर्ण रूप से ध्वस्त होने के कगार पर है. अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुरूप मानवीय सहायता की व्यवस्था नदारद है और ऐसी भयावह स्थिति को सामान्य बना देने की कोशिश को हर हाल में रोका जाना होगा. 

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