कैश फॉर क्वेरी मामले में शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। संसदीय आचार समिति की रिपोर्ट संसद में पेश किए जाने और चर्चा के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा। समिति ने मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की थी। महुआ मोइत्रा 2019 में चुनाव जीतकर पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। अब बड़ा सवाल यही है कि महुआ मोइत्रा आगे क्या करेंगी? उनके पास क्या विकल्प होंगे?
क्या महुआ मोइत्रा अपने निष्कासन को चुनौती दे सकती हैं?
संवैधानिक विशेषज्ञ के अनुसार महुआ मोइत्रा के पास तीन प्राथमिक आधारों पर अदालत में फैसले को चुनौती देने का विकल्प है। ये हैं प्राकृतिक न्याय से इनकार, घोर अवैधता, और सदन के निर्णय या संसदीय समिति की प्रक्रिया की असंवैधानिकता। मोइत्रा इन उदाहरणों के आधार पर प्राकृतिक न्याय से इनकार का तर्क दे सकती हैं। इसके अतिरिक्त, मोइत्रा अपनी शर्तों के अनुसार, अपराध के संबंध में सजा की असमानता को उजागर करते हुए अनुच्छेद 20 का इस्तेमाल कर सकती है।
इसके अलावा महुआ मोइत्रा फैसले की समीक्षा के लिए संसद के समक्ष अनुरोध कर सकती हैं। हालांकि यह पूरी तरीके से संसद के विवेक पर निर्भर है कि वह पर विचार करना चाहती है या नहीं। एक विकल्प यह भी है कि वह फैसले को स्वीकार करें और 4 महीने बाद होने वाले आम चुनाव में एक बार फिर से मैदान में उतरे।
महुआ मोइत्रा ने क्या कहा
टीएमसी सांसद के रूप में अपने निष्कासन के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा, “एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है…यह आपके (बीजेपी) अंत की शुरुआत है।” उन्होंने कहा कि अगर इस मोदी सरकार ने सोचा कि मुझे चुप कराकर वे अडानी मुद्दे को खत्म कर देंगे, मैं आपको यह बता दूं कि इस कंगारू कोर्ट ने पूरे भारत को केवल यह दिखाया है कि आपने जो जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है, वह दर्शाता है कि अडानी आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है, और आप एक महिला सांसद को समर्पण करने से रोकने के लिए उसे किस हद तक परेशान करेंगे।
भाजपा का तर्क
टीएमसी सांसद के तौर पर महुआ मोइत्रा के निष्कासन पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “2005 में जब 10 सांसदों को निष्कासित किया गया था, उसी दिन रिपोर्ट पेश की गई थी, उसी दिन चर्चा हुई थी वे भी 10 सांसदों के लिए।” भाजपा सांसद और लोकसभा आचार समिति की सदस्य अपराजिता सारंगी ने कहा कि महुआ मोइत्रा का निष्कासन सारे सांसदों के लिए एक सीख है। जब हम सांसद बनते हैं तो हम संविधान के तहत शपथ लेते हैं और हमें कुछ नियमों के तहत काम करना पड़ता है। याद रहे कि हम कांच के घर में हैं और पूरा देश हमें देख रहा है… महुआ मोइत्रा के मामले में अनैतिकता दिखी, दायित्वपूर्ण व्यवहार नहीं दिखा जिस वजह से आज उनका लोकसभा से निष्कासन हुआ।