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क्या इस चुनाव में 1996 और 1998 का इतिहास दोहराएगी कांग्रेस?

राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा- India TV Hindi

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राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा

Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस के इतिहास में सिर्फ ऐसा दो बार हुआ, जब लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश से गांधी-नेहरू परिवार से कोई भी व्यक्ति लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है। राजीव गांधी 1991 में अमेठी से चुनाव लड़े, लेकिन इस बीच उनकी हत्या हो गई। उनकी हत्या के बाद नतीजे आए, जिसमें वो जीते। उनकी हत्या के बाद कैप्टन सतीश शर्मा को अमेठी से चुनाव लड़वाया गया और उन्हें जीत मिली। 1991 और 1996 में कैप्टन सतीश शर्मा चुनाव जीते, लेकिन 1998 में वो बीजेपी के उम्मीदवार संजय सिंह से हार गए। 1999 में सोनिया गांधी अमेठी से चुनाव लड़ीं और इसके बाद इस सीट से राहुल गांधी सांसद बने।

अमेठी

1980 में पहली बार नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य अमेठी से चुनाव लड़ा। 1980 में पहली बार संजय गांधी यहां से चुनाव लड़े और उन्हें जीत मिली। उनकी मृत्यु के बाद लगातार तीन बार राजीव गांधी इस सीट से लोकसभा चुनाव जीते। उन्होंने 1984, 1989 और 1991 का चुनाव जीता। उनकी हत्या के बाद कैप्टन सतीश शर्मा को कांग्रेस पार्टी ने यहां से चुनाव लड़वाया। 1991 और 1996 में कैप्टन सतीश शर्मा चुनाव लड़े और जीते। उसके बाद 1998 में कैप्टन सतीश शर्मा बीजेपी के संजय शर्मा से चुनाव हार गए। 1999 में सोनिया गांधी यहां से चुनाव लड़ीं और इसके बाद 2004, 2009 और 2014 में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़े और जीते, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में हार गए। बीजेपी से स्मृति ईरानी ने यहां से जीत दर्ज की।

रायबरेली

1952-1962 तक फिरोज गांधी इस सीट से लोकसभा चुनाव जीते। 1962 से 1967 के बीच कांग्रेस के आरपी सिंह यहां से चुनाव जीते। 1967 से 1977 तक इंदिरा गांधी यहां से चुनाव लड़ीं और जीतीं। 1977 से 1980 के बीच राज नारायण, जनता पार्टी से रायबरेली से चुनाव जीते। इसके बाद 1980 से 1996 तक शीला कौल जो इंदिरा गांधी की मामी थीं, उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। 1996, 1998 में बीजेपी के अशोक सिंह यहां से चुनाव जीते। 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा यहां से चुनाव लड़े और 2004 में सोनिया गांधी यहां से चुनाव लड़ीं। 2004, 2009, 2014 और 2019 में सोनिया गांधी यहां से चुनाव जीतीं।

फूलपुर

1952 से 1962 के बीच पंडित जवाहर लाल नेहरू यहां से चुनाव लड़े। इसके बाद 1964 और 1967 में उनकी बहन पंडित विजय लक्ष्मी यहां से लोकसभा सांसद रहीं। 1971 में वीपी सिंह यहां से कांग्रेस सांसद बने। साल 1984 के बाद कांग्रेस पार्टी यहां से चुनाव नहीं जीत पाईं। 2019 में बीजेपी के केशरी देव पटेल ने यह सीट जीती। अब देखना होगा कि जिस यूपी ने देश को सबसे ज्यादा पीएम दिए उस राज्य से 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, गांधी-नेहरू परिवार के किसी सदस्य को उतारने से परहेज करेगी या फिर अपनी परंपरा को जारी रखेगी।

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