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क्या अमेठी में इस बार वोटरों के लिए उम्मीदवार से ज्यादा अहम हो गई है पार्टी

उत्तर प्रदेश की अहम लोकसभा सीट अमेठी में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां पार्टी फिलहाल उम्मीदवार से ज्यादा अहम नजर आ रही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले 25 साल में ऐसा पहली बार है, जब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य यहां से चुनावी मैदान में नहीं है। लंबे समय तक यह सीट नेहरू-गांधी परिवार की विरासत का हिस्सा रही है। कांग्रेस ने यहां की मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी के खिलाफ किशोर लाल शर्मा को मैदान में उतारा है। शर्मा बेशक अपेक्षाकृत कम मशहूर हैं, लेकिन फिर भी स्मृति ईरानी के लिए मुकाबला आसान नहीं है।

कांग्रेस समर्थक और सुप्रीम कोर्ट के वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ‘मोहन’ ने बताया, ‘चुनाव पार्टी के बजाय उम्मीदवार के नाम पर लड़े जा रहे हैं। कांग्रेस अपने मजबूत बेस के साथ बीजेपी को कड़ा मुकाबला पेश करेगी। इसके अलावा, प्रियंका गांधी अमेठी में कैंपेन की अगुवाई कर रही हैं और यह एक चुनाव एक तरह से गांधी बनाम स्मृति ईरानी बन गया है।’

यह सेंटीमेंट अमेठी के राजनीतिक माहौल में बड़े ट्रेंड की तरफ इशारा करता है। ऐतिहासिक तौर पर देखा जाए, तो कांग्रेस ने अमेठी में बड़े पैमाने पर निवेश किया है एवं HAL, BHEL और Vespa जैसे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की है। स्थानीय लोग चाहते थे कि राहुल गांधी यहां से चुनाव लड़ें। हालांकि, राहुल गांधी के यहां से चुनाव लड़ने का मुद्दा पीछे छूट चुका है।

बहरहाल, किशोर लाल मीणा अमेठी से काफी हद तक जुड़े हैं और उन्हें मजबूत उम्मीदवार के तौर पर देखा रहा है। मोहन ने कहा, ‘किशोरी लाल शर्मा राहुल और सोनिया गांधी का कैंपेन मैनेज कर चुके हैं। वह लोगों को नाम से जानते हैं और उनका अपने चुनाव क्षेत्र में काफा जुड़ाव है।’ दूसरी तरफ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी लगातार दूसरी बार सांसद बनने की कोशिश में जुटी हैं। हाई प्रोफाइल सीट रहने के बावजूद अमेठी विकास के मामले में दूसरे जिलों से पिछड़ा नजर आता है। 2010 में जिला बनने के बाद भी यह औद्योगीकरण, शिक्षा, हेल्थकेयर, एंप्लॉयमेंट और कानूनी सेवाओं के मामले में पिछड़ा हुआ है।

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