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कॉप29: जलवायु संकट से निपटने के लिए, क्या हज़ारों अरब डॉलर के वित्त पोषण का लक्ष्य पूरा होगा?

कॉप29: जलवायु संकट से निपटने के लिए, क्या हज़ारों अरब डॉलर के वित्त पोषण का लक्ष्य पूरा होगा?

क्या देशों में एक नए जलवायु वित्त पोषण लक्ष्य पर सहमति बन सकती है?

जलवायु विज्ञान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख निकाय, जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी आयोग (IPCC) ने वैश्विक तापमान बढ़ने की तेज़ हो रही रफ़्तार चेतावनी जारी की हैं. पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में, तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए स्वच्छ ऊर्जा टैक्नॉलॉजी, बुनियादी ढाँचे और अनुकूलन उपायों में ठोस निवेश की आवश्यकता है.

विकासशील देश, विशेष रूप से लघु द्वीपीय व सबसे कम विकसित देश, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैसेकि समुद्री जलस्तर में वृद्धि, सूखे, तूफ़ान समेत चरम मौसम घटनाओं से सर्वाधिक प्रभावित हैं.

उन्हें अपने बुनियादी ढाँचे को सहनसक्षम बनाने, निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्थाओं की ओर बढ़ने और जलवायु व्यवधान से होने वाली हानि व क्षति के लिए मुआवज़े की दरकार है.

जी20 समूह की वार्ता

बाकू में कॉप20 सम्मेलन अपने मध्य पड़ाव पर है और जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में वित्तीय संसाधनों को मुहैया कराए जाने के लिए गहन विचार-विमर्श जारी है. इसी दौरान विश्व नेता ब्राज़ील में जी20 समूह की वार्ता के लिए एकत्र हो रहे हैं. 

विकासशील देशों के प्रतिनिधियों की मांग है कि जलवायु हानि व क्षति कोष के लिए ज़्यादा सहायता धनराशि उपलब्ध कराई जाए और इस मुद्दे पर तेज़ प्रगति हो. साथ ही, स्वच्छ ऊर्जा के लिए लक्ष्यों को जल्द हासिल किया जाना होगा.

पर्यावरण मामलों के लिए यूएन संस्था (UNFCCC) के कार्यकारी सचिव साइमन स्टील ने जी20 समूह के नेताओं के लिए अपने सन्देश में ध्यान दिलाया था कि जलवायु सम्मेलन से इतर भी, वित्त पोषण का प्रबन्ध किया जाना अहम है.

उनके अनुसार, इस प्रक्रिया में जी20 समूह की भूमिका बेहद अहम है और इसलिए रियो डी जनेरिया में जी20 बैठक के दौरान, वैश्विक जलवायु संकट को प्राथमिकता दी जानी होगी. अनुदान व रियायती दरों पर धनराशि मुहैया कराई जाने और बहुपक्षीय विकास बैन्कों में सुधार के रास्ते ढूंढे जाने होंगे.

इससे पहले, UNFCCC प्रमुख साइमन स्टील ने आगाह किया था कि जलवायु संकट निरन्तर गहरा रहा है और उसकी वजह से गम्भीर सामाजिक-आर्थिक क्षति पहुँचने का जोखिम बढ़ रहा है. इस पृष्ठभूमि में, सदस्य देश एक महत्वाकाँक्षी जलवायु वित्त पोषण लक्ष्य पर सहमति बनाए बग़ैर कॉप29 से रवाना नहीं हो सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी ने बाकू में जलवायु कार्रवाई शिखर बैठक में जुटे विश्व नेताओं को सम्बोधित करते हुए चेतावनी जारी की थी कि दुनिया को जलवायु संकट से निपटने के लिए भुगतना करना होगा, अन्यथा मानवता को इसकी एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है.

“जलवायु वित्त पोषण परोपकारिता नहीं है, यह एक निवेश है. जलवायु कार्रवाई वैकल्पिक नहीं है, यह अनिवार्यता है.”

100 अरब डॉलर के संकल्प से परे

वर्ष 2009 में, डेनमार्क के कोपेनहेगन में कॉप15 सम्मेलन के दौरान विकसित देशों ने वर्ष 2020 तक जलवायु वित्त पोषण के लिए हर वर्ष 100 अरब डॉलर की धनराशि का प्रबन्ध किए जाने का संकल्प व्यक्त किया था. इस लक्ष्य को अन्तत: 2022 में पूरा किया गया, मगर देरी होने और अपर्याप्त होने की वजह से इसकी आलोचना की गई है.

इसके मद्देनज़र, कॉप29 सम्मेलन में जलवायु वार्ताकार वित्त पोषण पर एक नया, महत्वाकाँक्षी लक्ष्य स्थापित करने के उद्देश्य से बातचीत में जुटे हैं.

विकासशील देशों का प्रयास है कि एक बड़ी धनराशि पर सहमति बने, सम्भवत: प्रतिवर्ष हज़ारों अरब डॉलर की रक़म. मगर, किसी एक ख़ास धनराशि व उसकी व्यवस्था पर सहमति फ़िलहाल कोसो दूर है.

एक नए, महत्वाकाँक्षी जलवायु वित्त पोषण लक्ष्य पर सहमति बनाने के लिए गहन विचार-विमर्श का दौर जारी है.

एक नए, महत्वाकाँक्षी जलवायु वित्त पोषण लक्ष्य पर सहमति बनाने के लिए गहन विचार-विमर्श का दौर जारी है.

कार्बन बाज़ार पर प्रगति

कॉप29 सम्मेलन के पहले दिन ही, पेरिस जलवायु समझौते के अनुच्छेद 6 को पारित किया गया, जिससे यूएन समर्थित वैश्विक कार्बन बाज़ार का मार्ग प्रशस्त हो गया.

इस बाज़ार के ज़रिये कार्बन क्रेडिट के व्यापार को मदद मिलेगी, देशों को अपने उत्सर्जन घटाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा, और जलवायु अनुकूलन परियोजनाओं में निवेश सम्भव होगा.

कॉप29 सम्मेलन एक ऐसे समय में आयोजित हो रहा जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव सम्पन्न हुआ है, और  वैश्विक जलवायु कार्रवाई पर नए अमेरिकी प्रशासन का सम्भावित रुख़ भी बाकू में चर्चा का विषय है.

मार्शल आइलैंड्स की राष्ट्रपति हिल्डा हाइन और आयरलैंड के पर्यावरण मंत्री इमॉन रायन ने ज़ोर देकर कहा कि पेरिस समझौते से अमेरिका के पीछे हटने के प्रति चिन्ताएँ हैं. इसके बावजूद, जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई एक वैश्विक प्रयास है, और सर्वजन के लिए बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता होगी.

न्यायसंगत बदलाव, लोभ की भगदड़ नहीं

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जी20 शिखर बैठक में रवाना होने से पहले जलवायु मुद्दे पर अनेक बैठकों में हिस्सा लिया. इस दौरान सौर ऊर्जा, पवन चक्की व बिजलीचालित वाहनों के लिए ज़रूरी खनिजों व उनके न्यायसंगत निष्कर्षण (extraction) पर भी चर्चा हुई.

जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने और नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने के लिए ताम्बा, लिथियम, निकेल, कोबाल्ट और दुर्लभ तत्वों की आवश्यकता होगी, और इनकी मांग 2030 तक तीन गुना तक पहुँच सकती है.

इनमें से अनेक खनिज अफ़्रीका में पाए जाते हैं और उन्हें इसका आर्थिक लाभ पहुँच सकता है, मगर यह भी आशंका है कि इन संसाधनों का लाभ उनके बजाय अन्य देशों को पहुँचेगा.

इसके मद्देनज़र, महासचिव गुटेरेश ने कहा है कि शोषण, दोहन व निर्धनों को कुचल देने वाले लोभ की भगदड़ से बचना होगा बल्कि खनिज मांग का बेहतर प्रबन्धन किया जाना होगा ताकि स्थानीय समुदायों को भी उसका लाभ मिल सके.

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