संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एक गोलमेज़ बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि नए ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ने की प्रक्रिया में न्याय सुनिश्चित किया जाना होगा और यह एक बड़ी चुनौती है.
उन्होंने इस चर्चा के लिए जुटे प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि अहम ऊर्जा खनिजों के विषय में गठित आयोग के विश्लेषण पर विचार किया जाना चाहिए.
इस पैनल को पिछले वर्ष संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में कॉप28 जलवायु सम्मेलन के दौरान गठित किया गया था, जिसमें सरकारों, अन्तरराष्ट्रीय संगठनों, उद्योगों व नागरिक समाज की भागीदारी है.
इसके ज़रिये साझा व स्वैच्छिक सिद्धान्तों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि न्याय व सतत प्रबन्धन के दिशानिर्देशों के साथ, खनिज निष्कर्षण को आगे बढ़ाया जा सके.
यूएन प्रमुख ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की क्रांति में तेज़ी आ रही है, और पिछले वर्ष पहली बार हुआ जब नवीकरणीय ऊर्जा व ग्रिड में निवेश, जीवाश्म ईंधन पर ख़र्च धनराशि से आगे निकल गया.
अनुमान है कि ऊर्जा संक्रमणकालीन प्रक्रिया में खनिजों की मांग में उछाल आएगा: देशों की सरकारों ने वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना बढ़ाने और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध ढंग से घटाने का लक्ष्य रखा है.
“इन संसाधनों में सम्पन्न विकासशील देशों के लिए यह एक विशाल अवसर है: समृद्धि हासिल करने, निर्धनता दूर करने और सतत विकास को आगे बढ़ाने का. मगर, अक्सर ऐसा हो नहीं पाता है. हम अक्सर देखते हैं कि लालच की भगदड़ में अतीत की ग़लतियों को दोहराया जाता है, जिनसे निर्धन ही कुचला जाता है.”
महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया कि संसाधनों की दौड़ में स्थानीय समुदायों का शोषण बढ़ता है, उनके अधिकार कुचले जाते हैं और पर्यावरण को क्षति पहुँचती है.
न्याय व समता पर बल
उन्होंने ध्यान दिलाया कि इसी कटु वास्तविकता की पृष्ठभूमि और विकासशील देशों के अनुरोध पर खनिज निष्कर्षण पर पैनल का गठन किया गया था.
इसकी रिपोर्ट में सात स्वैच्छिक सिद्धान्तों और कार्रवाई के लिए पाँच सिफ़ारिशों को प्रस्तुत किया गया है ताकि न्याय व समता को अति-महत्वपूर्ण खनिजों की सप्लाई चेन में जोड़ा जा सके.
यूएन प्रमुख ने भरोसा जताया कि इससे समुदायों का सशक्तिकरण होगा, जवाबदेही तय हो सकेगी और स्वच्छ ऊर्जा की मदद से समानतापूर्ण आर्थिक प्रगति को हासिल किया जा सके.
उनके अनुसार, विकासशील देश इस प्रक्रिया को आदिवासी लोगों, स्थानीय समुदायों, युवजन, नागरिक समाज, उद्योग जगत और व्यापारिक संगठनों के साथ मिलकर आगे बढ़ाएंगे.
इसके समानान्तर, पारदर्शिता व जवाबदेही फ़्रेमवर्क को सम्पूर्ण सप्लाई चेन में अमल में लाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि ज़िम्मेदारी के साथ उत्पादन हो, और मानवाधिकारों व पर्यावरण का ख़याल रखा जा सके.
महासचिव ने स्पष्ट किया कि अति-महत्वपूर्ण खनिजों की मांग में उछाल के साथ, ज़रूरी क़दम भी उठाए जाने होंगे ताकि न्याय व समता के साथ बदलाव के इस दौर से गुज़रा जा सके.
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