Sudha Murty और Narayan Murty कई युवाओं के लिए इंस्पीरेशन है। जितनी उनकी प्रोफेशनल जर्नी लोगों को प्रेरणा देती है उतनी ही पर्सनल लाइफ से भी लोग काफी कुछ सीखते हैं। दोनों की जोड़ी काफी कमाल की है। चलिए आपको बताते हैं कि दोनों की मुलाकात कैसे हुए? एक दोपहर को एक आदमी ने जब दरवाजा खोला तो सामने एक महिला खड़ी थी। वो महिला उसकी बुक कलेक्शन से एक किताब उधार पर लेने के लिए आई थी। दोनों को ही इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि 50 सालों के बाद एनआर नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति के रूप में दुनिया को दोनों अपनी कहानी सुनाएंगे।
किताबों के जरिए जब पहली बार हुई मुलाकात
इंफोसिस के को फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति और सोशल वर्कर, लेखिका और इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व अध्यक्ष सुधा मूर्ति ने हाल ही में एक बुक लॉन्च पर एक किस्सा शेयर किया। चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी की पुस्तक, “एन अनकॉमन लव: द अर्ली लाइफ ऑफ सुधा एंड नारायण मूर्ति” के लॉन्च के दौरान ये किस्सा जब सामने आया तो सभी काफी ध्यान से सुनने लगे। बेंगलुरु के सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ कॉमर्स में नारायण और सुधा मूर्ति को सुनने के लिए भीड़ इकट्ठा थी। सभी ये सुनने के लिए उत्सुक थे कि दोनों की मुलाकात कैसे हुई।
डिनर के लिए भेजा इनवाइट
बता दें कि 1970 के दशक की शुरुआत में नारायण मूर्ति के एक दोस्त ने सुधा मूर्ति को बताया था कि उसके रूममेट के पास किताबों का बेहतरीन कलेक्शन है। कहती हैं कि “जब मैंने दरवाजा खटखटाया, तो एक कॉलेज स्टूडेंट ने दरवाजा खोला: खूबसूरत, चश्मे वाला, बहुत गंभीर और बहुत छोटा। मुझे हैरानी हुई कि वह कौन है?” नारायण मूर्ति सुधा मूर्ति से वैसे तो चार साल बड़े हैं। लेकिन वो उन्हें देख कर धोखा खा गई। उन्हें लगा कि वो उम्र में छोटे हैं और बस पढ़ाई पर फोकस्ड हैं। उस दिन नारायण मू्र्ति ने सुधा कुलकर्णी को बाहर एक डिनर के लिए बुलाया। बस आगे क्या हुआ ये किसी से भी छिपा नहीं है।
गार्ड से छिपकर होस्टल में एंट्री
जब नारायण मूर्ति टाटा एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज (टीएएस) में काम कर रहे थे, तब कपल मूवी डेट पर जाते थे। पुणे के महिला छात्रावास में रात के कर्फ्यू का उल्लंघन कर ये जोखिम भरा काम किया जाता था। उस समय सुधा मूर्ति टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी में काम कर रही थी। वो शॉप फ्लोर पर पहली और एकमात्र महिला थीं। नारायण मूर्ति ने बताया कि उन्होंने सुधा मूर्ति को हॉस्टल में वापस लाने का एक अनोखा तरीका खोजा। वह गार्ड का ध्यान भटकाने के लिए कमरे में कंकड़ फेंकता था। जैसे ही गार्ड जांच करने के लिए चला जाता, सुधा बिना किसी वाजा के हॉस्टल में घुस जाती।
रेस्तरां में घंटों गाना गाते थे
पुणे के एक रेस्तरां दक्षिण में अक्सर दोनों जाया करते थे, ये रेस्तरां साउथ इंडियन खाना परोसा करता था। नारायण मूर्ति ने कहा कि वेटर अक्सर उन्हें जाने के लिए कह देते थे क्योंकि वे तीन घंटे तक मेज पर बैठे रहते थे और हिंदी गाना अभी ना जाओ छोड़ कर, के कि दिल अभी भरा नहीं गाते थे। वेटर के कहने के बाद कपल दूसरे रेस्तरां में चला जाता लेकिन गाना फिर भी जारी रखता।