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क़ाबिज़ पश्चिमी तट में, 7 अक्टूबर के बाद, 500 फ़लस्तीनियों की मौत

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने, मंगलवार को यह जानकारी दी है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय – OHCHR ने बताया है कि पश्चिमी तट में हिंसा में आए उछाल में, बिल्कुल हालिया नाम दो किशोरों – 16 वर्षीय अहमद असरफ़ हमीदात और 17 वर्षीय मोहम्मद मूसा अल बितर के हैं. 

“सीसीटीवी की वीडियो रिकॉर्डिंग में नज़र आता है कि इन दोनों किशोरों पर उस समय लगभग 70 मीटर दूर से गोली मारी गई, जब वो, अक़ाबात जाबेर के निकट एक यहूदी बस्ती के बाहर स्थित एक इसराइली चौकी की तरफ़ पत्थर फेंकने के बाद भाग रहे थे.”

मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार सोमवार को, इसराइली सेना के हाथों इन दो किशोरों और चार अन्य फ़लस्तीनी लोगों की मौत के बाद, 7 अक्टूबर के बाद से मारे गए फ़लस्तीनियों की संख्या 505 हो गई है.

पश्चिमी तट और इसराइल में, इसी अवधि में झड़पों या पश्चिमी तट के फ़लस्तीनियों द्वारा कथित हमलों में, 24 इसराइली भी मारे गए हैं जिनमें 8 लोग, इसराइली सुरक्षा बलों के सदस्य बताए गए हैं.

ग़ौरतलब है कि हमास और कुछ अन्य फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों ने, 7 अक्टूबर (2023) को इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में घातक हमला किया था जिसमें 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बन्धक बना लिया गया था. 

उसके बाद ग़ाज़ा में इसराइली हमलों में 36 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनी मारे गए हैं और 70 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.

‘अभूतपूर्व रक्तपात’

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा है, “मानो इसराइल और ग़ाज़ा में पिछले आठ महीनों के दौरान हो रही प्रलयकारी घटनाएँ पर्याप्त नहीं थी, पश्चिमी तट के लोगों को भी हर दिन, अभूतपूर्व रक्तपात का निशाना बनाया जा रहा है.”

“यह बहुत ही दुखद है कि इस क्रूर तरीक़े से, इतने लोगों की ज़िन्दगियाँ ख़त्म की जा रही हैं.”

वोल्कर टर्क ने कहा है, “हत्याएँ, विध्वंस और इतने बड़े पैमाने पर मानवाधिकार हनन, अस्वीकार्य है, और इसे तत्काल रुकना होगा. इसराइल को ऐसे नियम ना केवल स्वीकार करने होंगे बल्कि उन्हें लागू भी करना होगा जो स्वीकार्य मानवाधिकार नियमों और मानकों से पूरी तरह मेल खाते हों.”

“ग़ैर-क़ानूनी ढंग से किसी भी व्यक्ति की मौत के मामलों की पूर्ण और स्वतंत्र जाँच हो और ज़िम्मेदार लोगों को, न्याय के कटघरे में लाया जाए.”

ग़ाज़ा में युद्ध के बीच, लाखों लोग, ख़ुद के एक स्वास्थ्य आपदा में घिरा हुआ भी पा रहे हैं.

मृतकों की लगातार बढ़ती संख्या

यूएन मानवाधिकार प्रखु ने कहा कि वर्ष 2023 के प्रथम 9 महीनों के दौरान ही, मारे गए फ़लस्तीनियों की संख्या “रिकॉर्ड उच्च स्तर” पर पहुँच गई थी, जिसमें 7 अक्टूबर के हमास हमले के बाद बेतहाशा वृद्धि हुई है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने एक वक्तव्य में कहा है, “वर्ष 2024 शुरू होने के बाद, इसराइली बलों के हाथों, लगभग 200 फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जबकि वर्ष 2023 में यह संख्या 113 और 2022 में 50 थी.”

वक्तव्य में कहा गया है कि इसराइल के क़ब्ज़े वाले पश्चिमी तट में, सशस्त्र युद्धक गतिविधियों के अभाव के बावजूद, इसराइली सेना ने कम से 29 ऐसे अभियान चलाए हैं जिनमें मानव रहित हवाई वाहनों या विमानों से हवाई हमले, और शरणार्थी शिविरों और घनी आबादी वाले इलाक़ों में, ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाले मिसाइल दागा जाना शामिल है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, इसराइली सेना के इन अभियानों में 164 फ़लस्तीनी मारे गए, जनमें 35 बच्चे थे. इनमें ऐसे मामले या घटनाएँ भी शामिल हैं जिनमें फ़लस्तीनियों को, शरीर के ऊपरी हिस्से में गोलियाँ मारी गईं और उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय का कहना है इससे, “…बल का धीरे-धीरे प्रयोग करने और तनावपूर्ण स्थितियों में, सुधार लाने के प्रयासों के बजाय, जीवन के अधिकार का उल्लंघन करते हुए, हत्या करने की नीयत” सामने आती है.

मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, इनमें वो मामले शामिल हैं जिनमें जब लोगों को गोली मारी गई तो वो किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को कोई आसन्न ख़तरा उत्पन्न नहीं कर रहे थे.

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