पर्यावरण

क़र्ज़ के बोझ में डूब रहे हैं लघु द्वीपीय देश, ऐंटीगुआ सम्मेलन में महासचिव की चेतावनी

क़र्ज़ के बोझ में डूब रहे हैं लघु द्वीपीय देश, ऐंटीगुआ सम्मेलन में महासचिव की चेतावनी

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने मंगलवार को ऐंटीगुआ एंड बरबूडा में SIDS देशों पर केन्द्रित चौथे अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन अपने सम्बोधन में यह चेतावनी जारी की है.

लघु द्वीपीय विकासशील देशों के SIDS समूह में 39 देश हैं, जो वैश्विक महामारी कोविड-19, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण और जलवायु विनाश के प्रभावों के कारण विशाल चुनौतियों से जूझ रहे हैं.

महासचिव ने कहा कि इन देशों को स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा में निवेश के बजाय, अपने क़र्ज़ की क़िस्तों को चुकाने में ज़्यादा धन ख़र्च करना पड़ रहा है. मौजूदा हालात में ये देश, 2030 टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ज़रूरी निवेश करने में असमर्थ हैं. 

इनमें से कईं देश मध्यम-आय वाली श्रेणी में हैं, और इस वजह से उन्हें वैसा क़र्ज़ समर्थन व व्यवस्था उपलब्ध नहीं है, जैसाकि निर्धनतम देशों को मुहैया कराया जा सकता है.

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि SIDS देश हरसम्भव प्रयास कर रहे हैं. इस क्रम में, उन्होंने ऐंटीगुआ एंड बरबूडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन का उल्लेख किया, जिन्होंने एक बहुआयामी जोखिम संवेदनशीलता सूचकांक (Multidimensional Vulnerability Index) विकसित करने पर बल दिया है.

उनका मानना है कि इस सूचकांक के ज़रिए लघु द्वीपीय विकासशील देशों की ज़रूरतों को वास्तव में परिलक्षित किया जा सकेगा.

बारबेडॉस की प्रधानमंत्री मिया मोटले ने भी ‘ब्रिजटाउन पहल’ की अगुवाई की है, जोकि समावेशी व सहनसक्षम वित्त पोषण व उधार व्यवस्था पर लक्षित है.

प्रशान्त द्वीपीय देश समोआ ने लघु द्वीपीय देशों के गठबंधन का नेतृत्व किया है ताकि हानि व क्षति कोष को ज़मीनी स्तर पर लागू करना और जलवायु परिवर्तन के कारण संवेदनशील हालात से जूझ रहे देशों को न्यायसंगत ढंग से मुआवज़ा प्रदान किया जा सके.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि, “आप उदाहरण पेश करते हुए अगुवाई कर रहे हैं, लेकिन अक्सर आपको बन्द दरवाज़ों का सामना करना पड़ रहा है – उन संस्थानों व व्यवस्थाओं का जिनकी स्थापना में आपकी कोई भूमिका नहीं रही है.”

तीन-सूत्री कार्रवाई योजना

यूएन प्रमुख ने तीन अहम मोर्चों पर कार्रवाई का खाका प्रस्तुत किया, जिसकी अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से दरकार होगी. इसके अलावा SIDS देशों के लिए तत्काल एसडीजी प्रोत्साहन पैकेज पर भी बल दिया गया है. 

  • कारगर राहत व्यवस्था के ज़रिए ऋण के बोझ से इन देशों को राहत प्रदान करना. इनमें आर्थिक उठापठक के दौरान भुगतान को अस्थाई रूप से टालना भी है
     
  • उधार देने की क़ीमतों में कमी लाने और रियायती दरों पर वित्त पोषण की व्यवस्था के लिए मौजूदा तौर-तरीक़ों में आमूल-चूल परिवर्तन करना
     
  • अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में समावेशिता के मौजूदा स्तर में विस्तार करना और SIDS देशों को हर मेज़ पर एक स्थान उपलब्ध कराना

यूएन प्रमुख ने कहा कि फ़िलहाल मौजूदा वैश्विक वित्तीय तंत्र, विकासशील देशों, विशेष रूप से लघु द्वीपीय विकासशील देशों की ज़रूरतों को पूरा कर पाने में विफल साबित हुआ है. 

महासचिव गुटेरेश ने अपनी समापन टिप्पणी में इस वर्ष सितम्बर महीने में, न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाली भविष्य की शिखर बैठक का उल्लेख किया है, जोकि SIDS देशों के लिए कार्रवाई एजेंडा को आगे बढ़ाने का एक अवसर होगी.

उन्होंने कहा कि यह बहाव का रुख़ मोड़ने और एक ऐसे वैश्विक वित्तीय भविष्य को आकार देने का समय है, जिसमें किसी भी द्वीपीय देश को पीछे ना छूटने दिया जाए.

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