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कहानी लाल बहादुर शास्त्री की, जिनके कहने पर देश में लोगों ने किया उपवास, छोटा कद लेकिन हिम्मत आसमान जितनी

कहानी लाल बहादुर शास्त्री की, जिनके कहने पर देश में लोगों ने किया उपवास, छोटा कद लेकिन हिम्मत आसमान जितनी

Lal Bahadur Shastri Death Anniversary Lal Bahadur Shastri story during 1965 war against pakistan- India TV Hindi

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कहानी लाल बहादुर शास्त्री की

Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: बचपन में कभी ना कभी आपसे एक सवाल जरूर किया गया होगा कि ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा किसने दिया था? कभी शिक्षकों ने तो कभी परिवार के सदस्यों ने ये सवाल किया होगा। कई बार गांव-देहात में ट्रैक्टरों के पीछे ‘जय जवान, जय किसान’ लिखा होता है। तब अगर आपको जवाब पता रहा होगा तो आपने कहा कि यह नारा लाल बहादुर शास्त्री का है। उन्हीं लाल बहादुर शास्त्री की आज पुण्यतिथि है। 11 जनवरी 1966 तो ताशकंद में उनका निधन हो गया था। शास्त्री जी के जीवन पर आधारित कई फिल्में हैं। कहीं उनकी मौत को नेचुरल तो कहीं साजिश बताई जाती है। हालांकि शास्त्री जी जब तक जिए ईमानदार रहे। 

जब देश ने किया एक दिन का उपवास

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के वो प्रधानमंत्री भी रहे। उनकी सादगी और ईमानदारी का हर कोई कायल है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 1965 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। तो उस समय देश में अनाज की बारी किल्लत हो गई थी। उस दौरान उन्होंने देशवासियों से अपील की थी कि सप्ताह में केवल एक दिन सभी लोग उपवास रखें। कहते हैं ना कि किसी नियम को अगर दूसरों पर लागू करना हो तो उसका प्रयोग पहले खुद पर करना होता है। शास्त्री जी ने भी ऐसा ही किया। उन्होंने इस उपवास की शुरुआत अपने परिवार से ही की। सबसे पहले अपने पूरे परिवार को उन्होंने दिनभर भूखा रखा, इसके बाद पूरे देश से अपील की। इसका असर ये हुआ कि पूरे भारत में एक दिन का उपवास लोग रखने लगे। 

शास्त्री जी का कार्यकाल

प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद यह दुविधा थी कि किसे प्रधानमंत्री बनाया जाए। एक नाम सभी के सामने था। लाल बहादुर शास्त्री का। 9 जून 1964 को वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री बनें। केवल 18 महीने तक वो इस पद पर रहे। बता दें कि जब पाकिस्तान ने 1965 में भारत पर हमला किया तो उन्हें ये लग रहा था कि धोती-कुर्ता पहनने वाला छोटे कद ये प्रधानमंत्री कमजोर है। लेकिन शास्त्री जी ने कड़ा रुख अपनाया और पाकिस्तान पर हमले का आदेश दे दिया। इस दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान थे। पाकिस्तान के इस युद्ध में भी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका ने हस्तक्षेप किया। 1966 में ताशकंद में युद्ध विराम के समझौते पर हस्ताक्षर हुआ। लेकिन उसी रात शास्त्री जी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

मुगलसराय में हुआ था शास्त्री जी का जन्म

देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। बता दें कि उनका बचपन संघर्षों से भरा हुआ था। उनके पिता की मौत काफी पहले हो गई थी। अपने स्कूल जाने के लिए उन्हें गंगा नदी को पार करना पड़ता था। नाव वाले को किराया देने के पैसे भी नहीं थे। इस कारण वो अपने किताबों को सिर में बांध लिया करते और नदी को तैरकर  पार कर जाते। इसके बाद वो तैर कर वापस भी आते थे। बता दें कि जब वो प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने एक कार खरीदी। फिएट की कार खरीदने के लिए उन्होने बैंक से 5 हजार रुपये का लोन लिया था। साल 1965 में उन्होंने इस कार को खरीदा। हालांकि उनका एक साल बाद ही निधन हो गया। आज यह कार उनके दिल्ली स्थित निवास पर खड़ी है। बाद में इस कार के लोन को उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन से चुकाया। 

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