स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने फिल्म अभिनेता संजय दत्त को चेतावनी दी, “संजू, मेरे जाने तक अदालत से बाहर मत आना।” इस पर संजय दत्त ने बड़े ही आज्ञाकारी तरीक से सिर हिलाया “हां, सर।” 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले की सुनवाई अंतिम चरण में थी और स्पेशल टाडा अदालत रोजाना सुनवाई कर रही थी। दिन की कार्यवाही के बाद निकम कोर्ट रूम से बाहर आते थे और मीडिया को जानकारी देते थे। कोर्ट रूम आर्थर रोड जेल के अंदर था और ब्रीफिंग जेल के गेट के बाहर की जाती थी। जिस दिन संजय दत्त को अदालत में पेश होना पड़ता था, उस दिन मीडिया कर्मियों की भारी भीड़ होती थी। क्योंकि संजय टाडा आरोपी भी थे।
ऐसे ही एक दिन संजय दत्त सुनवाई खत्म होते ही कोर्ट से चले गए। मीडियाकर्मी उनके बाहर निकलने को अपने कैमरे में कैद करने के लिए दौड़ पड़े। भीड़ से निकलकर अपनी कार तक पहुंचने में उन्हें कुछ समय लगा। निकम, जो लगातार मीडिया को जानकारी देने के लिए बाहर आए, उन्होंने पाया कि वहां कोई मीडिया नहीं थी।
हर कोई संजय दत्त के पीछे था। नाराज उज्ज्वल निकम (Ujjwal Nikam) को मीडिया के लिए कुछ मिनट तक इंतजार करना पड़ा। इसी घटना के चलते निकम ने संजय दत्त को कोर्ट से बाहर निकलने के बाद ही बाहर कदम रखने की चेतावनी दी थी। दत्त को उनके “आदेश” का पालन करना पड़ा, क्योंकि उनकी किस्मत इस बात पर निर्भर थी कि निकम उनके खिलाफ कोर्ट में कैसे तर्क देते हैं।
सत्ता में बैठे राजनेताओं के चहेते रहे उज्ज्वल निकम
उज्ज्वल निकम सत्ता में बैठे राजनेताओं के चहेते रहे हैं, चाहे वो किसी भी राजनीतिक दल के हों। निकम एक शानदार वकील हैं। संजय दत्त को छह साल की जेल की सजा दिलाने से लेकर आतंकवादी अजमल कसाब और याकूब मेमन को फांसी तक पहुंचाने तक, उज्ज्वल निकम एक स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर के रूप में उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे।
उन्हें आतंकवाद और हत्याओं के कई हाई प्रोफाइल मामलों में पैरवी करने के लिए सरकार ने नियुक्त किया था। एक बाजीगर की तरह, वो महाराष्ट्र सरकार के लिए एक के बाद एक केस जीतते रहे। हालांकि, गुलशन कुमार मर्डर केस में उन्हें हार मिली थी।
विवादों से भी रहा नाता
निकम का विवादों से भी नाता रहा। जब 26/11 मुंबई हमले के आरोपियों के खिलाफ सुनवाई खत्म हुई, तो निकम ने कहा कि कसाब को जेल में बिरयानी खिलाई गई थी।
इससे भारी हंगामा हुआ और मौजूदा कांग्रेस-NCP सरकार को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। बाद में निकम ने अपना बयान वापस ले लिया और कहा कि कसाब के प्रति पैदा हो रही सहानुभूति को भटकाने के लिए ऐसा किया गया था।
लगातार सफलता के रिकॉर्ड के कारण उज्ज्वल निकम को मीडिया ने नायक की तरह पेश किया। उनकी करिश्माई छवि को देखते हुए, कई राजनीतिक दलों ने उन्हें उनके गृह नगर जलगांव से विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट की पेशकश की, जहां से उन्होंने जिला अभियोजक के रूप में अपना कानूनी करियर शुरू किया।
हालांकि, अपने पेशे को देखते हुए, निकम ने राजनीतिक रूप से न्यूट्रल बने रहना ही समझदारी समझा। किसी खास राजनीतिक दल के साथ गठबंधन करने से दूसरों के साथ शत्रुता विकसित हो जाती और अगर विरोधी दल सत्ता में आते, तो हाई प्रोफाइल मामलों में उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जाती।
अब रिटायरमेंट मोड में हैं निकम!
हालांकि, ऐसा लगता है कि निकम अब रिटायरमेंट मोड में हैं और एक राजनेता के रूप में एक नई पारी शुरू करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में उत्तर-मध्य मुंबई सीट से लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) लड़ने के BJP के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। बीजेपी उनकी इस प्रतिष्ठा पर भरोसा कर रही होगी कि वे “राष्ट्र-विरोधियों और आतंकवादियों को सजा दिलाने वाले व्यक्ति” हैं।
उत्तर-मध्य मुंबई लोकसभा सीट से दिवंगत बीजेपी नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन सांसद थीं। वह 2014 और 2019 में दो बार इस सीट से जीतीं। हालांकि, बीजेपी की ओर से की गई आंतरिक जांच से संकेत मिला कि उनके प्रति सत्ता विरोधी लहर थी और उन्हें फिर से मैदान में उतारना जोखिम भरा होगा।
पूनम की जगह कई और नाम भी लिस्ट में थे, जिनमें अभिनेत्री माधुरी दीक्षित और पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर अहमद जावेद का नाम भी शामिल था।
2014 में, महाराष्ट्र के पूर्व ATS चीफ केपी रघुवंशी को बीजेपी ने टिकट की पेशकश की थी। हालांकि, उन्हें निर्णय लेने में समय लगा और पार्टी ने महाजन को टिकट दिया। यह जानना दिलचस्प है कि निकम उसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे कभी उनके आरोपी संजय दत्त के पिता सुनील दत्त और बहन प्रिया दत्त सांसद रहे। इस सीट पर निकम के खिलाफ मुंबई कांग्रेस प्रमुख वर्षा गायकवाड़ चुनाव लड़ रही हैं।