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कर्नाटक में जातीय जनगणना बेहतर तरीके से नहीं हुई, नए सिरे से कराएं सर्वे – येदियुरप्पा

कर्नाटक में जातीय जनगणना बेहतर तरीके से नहीं हुई, नए सिरे से कराएं सर्वे – येदियुरप्पा

Karnataka: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कद्दावर नेता बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि ‘जातीय जनगणना’ नाम से चर्चित कर्नाटक का सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण सही ढंग से नहीं कराया गया है। ऐसे में राज्य की कांग्रेस सरकार से अपील की है कि वो नए सिरे से सर्वेक्षण कराए और तथ्यों को लोगों के सामने रखे। कर्नाटक में दबदबा रखने वाले दो समुदायों (वोक्कलिगा और लिंगायत) ने भी इस सर्वेक्षण को अस्वीकार कर दिया है। इसके साथ ही मांग की है कि इसे खारिज कर नये सिरे से सर्वेक्षण कराया जाए।

पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने कहा कि सभी के दिमाग में यह बात है कि सर्वेक्षण सही तरीके से नहीं कराया गया। मेरी भी ऐसी ही राय है। लिहाजा नए सिरे से जाति आधारित सर्वेक्षण कराया जाए। इसके साथ ही लोगों को बेहतर जानकारी देनी चाहिए। मैं सरकार से इस दिशा में ईमानदारी से काम करने की अपील करता हूं।

कांग्रेस ने कराई थी आर्थिक और शैक्षिक सर्वे

बता दें कि येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं। साल 2015 में सिद्धरमैया की अगुवाई वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार (2013-2018) ने राज्य में 170 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च से सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण कराया था। जिसे ‘जातीय जनगणना’ कहा गया था। तत्कालीन अध्यक्ष एच कंठराजू की अध्यक्षता में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को इस जातीय जनगणना की रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। यह सर्वेक्षण सिद्धरमैया के बतौर सीएम पहले कार्यकाल के खत्म होने के समय साल 2018 में पूरा हुआ था लेकिन उसे न तो स्वीकार किया गया और न ही सार्वजनिक किया गया था।

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बिहार सरकार ने आंकड़े किए पेश

बिहार सरकार ने अपनी जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी कर दी थी। जिसके बाद कर्नाटक सरकार पर भी जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करने का दबाव पड़ने लगा। ऐसे में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा है कि रिपोर्ट मिलने के बाद इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा। मौजूदा समय में कर्नाटक में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जयप्रकाश हेगड़े हैं। उनके पास जातीय जनगणना की रिपोर्ट है। आयोग को यह रिपोर्ट सरकार को 31 जनवरी, 2024 तक सौंपने के लिए कहा गया है।

येदियुरप्पा ने सीएम पर साधा निशाना

हिजाब विवाद पर येदियुरप्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को समुदायों के बीच विष के बीज बोना बंद करना चाहिए क्योंकि इससे न तो उन्हें और न ही उनकी पार्टी को किसी भी तरह कोई फायदा होगा। उन्होंने कहा कि अच्छा है कि हमारे दबाव के कारण सिद्धरमैया ने अपना बयान वापस ले लिया है। कम से कम अब तो सदबुद्धि आएगी। हम अल्पसंख्यक विरोधी नहीं हैं। भाजपा मानती है कि हिंदू, ईसाई और मुसलमान को एक मां की संतान के रूप में साथ मिलकर रहना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कई बार कही है।

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