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कन्‍हैया, उदित, दीपक बाबरिया या ‘आप’, कौन है दिल्‍ली कांग्रेस में कलह का कारण? 10 प्वाइंट्स में जानें

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लवली के इस्तीफे से सामने आई कांग्रेस की कलह

लोकसभा चुनाव की हलचल के बीच दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। दिल्‍ली में जहां पहले आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस ने काफी माथापच्ची की और फिर सीटों का बंटवारा कर दिया। सीटों के बंटवारे के बाद उम्मीदवारों को लेकर पार्टी के अंदर से ही बगावत के सुर तेज हो गए हैं। आम आदमी गठबंधन के तहत दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में कांग्रेस को सिर्फ तीन सीटों चुनाव लड़ने के लिए आवंटित की गईं हैं। इस बगावत की एक बानगी रविवार को देखने को मिली जब दिल्‍ली कांग्रेस के अध्‍यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया। लवली ने पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को चार पन्ने का पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है।

1.लवली ने खरगे को लिए पत्र में कहा है कि डीपीसीसी अध्यक्ष के रूप में मेरी नियुक्ति के बाद से एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने मुझे डीपीसीसी में कोई वरिष्ठ नियुक्ति करने की इजाजत नहीं दी। आज तक एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने डीपीसीसी को शहर के सभी ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति की अनुमति नहीं दी है। नतीजा, यह निकला कि दिल्ली के 150 से ज्यादा ब्लॉकों में फिलहाल कोई ब्लॉक अध्यक्ष नहीं है।

 

2.दिल्ली कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी, इसके बावजूद पार्टी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने का फैसला किया। बतौर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष मैंने पार्टी के अंतिम निर्णय का सम्मान किया। मैंने न केवल सार्वजनिक रूप से निर्णय का समर्थन किया, बल्कि मैंने यह भी सुनिश्चित किया कि पूरी राज्य इकाई हाई कमान के अंतिम आदेश का पालन करे। 

3.दिल्ली में गठबंधन के तहत कांग्रेस पार्टी को दी गई सीमित सीटों को देखते हुए पार्टी के हित में यह सुनिश्चित करने के लिए कि टिकट अन्य को आवंटित किए गए। तीन सीटों में से उत्तर-पश्चिम दिल्ली और उत्तर-पूर्व दिल्ली की सीटें उन उम्मीदवारों को दे दी गईं, जो दिल्ली कांग्रेस और पार्टी की नीतियों के लिए पूरी तरह से अजनबी थे।

4.चौंकाने वाली बात यह है कि हाईकमान द्वारा उदित राज और कन्हैया कुमार को प्रत्याशी बनाए जाने के संबंध में निर्णय लेने के बाद भी औपचारिक रूप से पहले पीसीसी को सूचित भी नहीं किया गया। ताकि मैं, कम से कम कुछ सतर्कता के लिहाज से जरूरी कदम भी उठा लेता।

5.एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने व्यथित होकर मुझसे राज कुमार चौहान (पूर्व दिल्ली मंत्री), सुरेंद्र कुमार (पूर्व विधायक) और अन्य को निलंबित करने के लिए कहा। उन्होंने स्थिति को शांत करने के बजाय सार्वजनिक बैठकों में भी पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, राज कुमार चौहान (पूर्व दिल्ली मंत्री), भीष्म शर्मा (पूर्व विधायक) और सुरेंद्र कुमार (पूर्व विधायक) के साथ कई बार तीखी नोकझोंक की।

6.उत्तर-पश्चिम दिल्ली के उम्मीदवार ने हमारी अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं का अपमान किया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मुझे कई लिखित संदेश भेजे हैं, जिसमें मुझसे विभिन्न स्थानीय पीढ़ीगत पार्टी नेताओं को निलंबित करने के लिए कहा गया है।

7.उत्तर-पूर्वी दिल्ली के उम्मीदवार दिल्ली के सीएम की झूठी प्रशंसा करते हुए मीडिया बाइट्स भी दे रहे हैं। वास्तविक तथ्यात्मक स्थिति और दिल्ली के नागरिकों की पीड़ा के सीधे विपरीत उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बिजली क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कथित कार्यों के संबंध में आप के झूठे प्रचार का समर्थन किया।

8.लवली ने खरगे को लिखी चिट्ठी में आम आदमी पार्टी से गठजोड़ का जिक्र करते हुए लिखा कि जिस पार्टी का गठन ही कांग्रेस पर भ्रष्‍टाचार के झूठे आरोप लगाने के लिए हुआ, उससे चुनावी गठजोड़ किया गया। साथ ही दिल्‍ली के कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया के रवैये को भी पद छोड़ने की वजह बताई है।

9.कांग्रेस ने उत्‍तर-पूर्वी दिल्‍ली से कन्‍हैया कुमार और उत्‍तर-पश्चिमी दिल्‍ली से बीजेपी के पूर्व सांसद और अब कांग्रेस नेता उदित राज को टिकट दिया है। अरविंदर सिंह लवली इन दोनों नेताओं को लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्‍याशी बनाने से भी नाराज थे और साथ ही उन्‍होंने दिल्‍ली कांग्रेस में कलह का ठीकरा प्रभारी दीपक बाबरिया पर फोड़ा है। 

10.राजकुमार चौहान ने कांग्रेस पार्टी से इस्‍तीफा दिया था, इसकी वजह ये थी कि कांग्रेस ने भाजपा से पाला बदलकर कांग्रेस में आए उदित राज को टिकट दे दिया था जिससे चौहान काफी नाराज थे। इसके बाद दिल्‍ली कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने पार्टी नेताओं की बैठक हुई थी, इसमें जमकर जुबानी हमले किए गए थे।

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