हर वर्ष, 16 अक्टूबर को मनाया जाने वाला ‘विश्व खाद्य दिवस‘, इस बार 150 से अधिक देशों में और 50 से अधिक भाषाओं में आयोजित किया जा रहा है. इस वर्ष की थीम है: एक बेहतर जीवन व भविष्य के लिए भोजन का अधिकार.
वायु और जल के बाद भोजन, मानव जीवन के लिए तीसरी सबसे बुनियादी आवश्यकता है, और हर एक के लिए पर्याप्त, सेहतमन्द, विविधतापूर्ण भोजन का अधिकार सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है.
विश्व भर में किसानों द्वारा वैश्विक आबादी का पेट भरने के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्य उत्पादन किया जाता है, मगर इसके बावजूद करोड़ों लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पाता.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने अपने सन्देश में ध्यान दिलाया कि 73.3 करोड़ लोग, युद्ध व हिंसक टकराव, हाशिए पर धकेल दिए जाने, जलवायु परिवर्तन, निर्धनता और आर्थिक पतन के कारण, भोजन अभाव का सामना कर रहे हैं.
“इनमें बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो ग़ाज़ा और सूडान में मानव सृजित अकाल के जोखिम का सामना कर रहे हैं.”
या फिर वे 2.8 अरब लोग जिन्हें “स्वस्थ भोजन ख़ुराक मयस्सर नहीं है. इनमें अत्यधिक वज़न के शिकार लोग भी हैं क्योंकि मोटापा वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है.”
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद एक ऐसा विश्व सम्भव है जहाँ खाद्य अभाव का संकट नहीं हो.
इस क्रम में, उन्होंने खाद्य प्रणालियों में व्यापक, रूपान्तरकारी बदलावों पर ज़ोर दिया ताकि इन्हें अधिक प्रभावशाली, समावेशी, सहनशील और टिकाऊ बनाया जा सके.
खाद्य सामग्री के उत्पादन, उपभोग के तौर-तरीक़ों और भोजन बर्बादी की हमारी पृथ्वी को भारी क़ीमत चुकानी पड़ी है, जिसके मद्देनज़र, बदलाव की प्रक्रिया में व्यवसायों, शिक्षाविदों, शोध संस्थानों और सिविल सोसायटी सभी का योगदान अहम होगा.
“वर्ष 2021 में खाद्य प्रणालियाँ सम्मेलन ने हमें अपनी खाद्य व्यवस्थाओं में मौजूद प्रभावहीनताओं और विषमताओं से निपटने के रास्ते पर बढ़ा दिया है.”
उन्होंने कहा कि स्वस्थ व पोषक खाद्य वस्तुओं के उत्पादन और किफ़ायती दामों पर उनकी बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए, सभी देशों की सरकारों को, तमाम साझीदारों के साथ मिलकर काम करना होगा.
महासचिव ने इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर भूख यानि खाद्य अभाव और कुपोषण के विरुद्ध जंग लड़ने का आहवान करते हुए कहा कि, “आइए, एक बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य की ख़ातिर, खाद्य के अधिकार को क़ायम रखने के लिए कार्रवाई करें.”