पवन चक्की से लेकर सौर ऊर्जा पैनल, बिजली चालित वाहनों और बैटरी स्टोरेज तक, स्वच्छ ऊर्जा की ऐसी अनेक टैक्नॉलॉजी हैं जोकि अति-महत्वपूर्ण खनिजों जैसेकि कॉपर, लिथियम, निकेल, कोबाल्ट और अन्य दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर निर्भर है.
बुधवार को जारी रिपोर्ट में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में हो रही क्रान्ति को न्याय व समता की ज़मीन पर तैयार करने का मार्ग प्रस्तुत किया गया है, ताकि टिकाऊ विकास को प्रोत्साहन मिले, लोगों का सम्मान हो, पर्यावरण की रक्षा और संसाधन-सम्पन्न विकासशील देशों में समृद्धि को बढ़ावा मिले.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के लिए अति-महत्वपूर्ण खनिजों पर आयोग की यह रिपोर्ट, स्वच्छ ऊर्जा के साथ-साथ समृद्धि व समानता सुनिश्चित करने में भी मदद देगी.
रिपोर्ट में न्यायोचित तौर-तरीक़ों, पारदर्शिता, निवेश, सततता और मानवाधिकारों के लिए सिफ़ारिशों को प्रस्तुत किया गया है, जिसमें खदानों के साथ-साथ, खनिजों की पूरी वैल्यू चेन पर ध्यान केन्द्रित किया गया है. शोधन से विनिर्माण, परिवहन और इस्तेमाल के बाद रीसाइक्लिंग तक.
जलवायु परिवर्तन के बदतरीन दुष्प्रभावों की रोकथाम के लिए वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना अहम है. मगर, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में और पहुँच के भीतर उन खनिजों, ऊर्जा उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ तत्वों की आवश्यकता है, जो स्वच्छ ऊर्जा टैक्नॉलॉजी में इस्तेमाल में लाए जाते हैं.
खनिजों की बढ़ती मांग
दुबई में कॉप28 सम्मेलन के दौरान देशों की सरकारों ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में तीन गुना और ऊर्जा दक्षता में दोगुना वृद्धि करने पर सहमति जताई थी. इसके लिए इन खनिजों के उत्पादन में बड़े पैमाने पर वृद्धि करना ज़रूरी है.
जिन विकासशील देशों के पास ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के लिए ज़रूरी खनिजों के भंडार मौजूद हैं, उनके पास यह अवसर अपनी अर्थव्यवस्थाओं की काया पलट करने, हरित रोज़गारों का सृजन करने और टिकाऊ स्थानीय विकास को बढ़ावा देने का अवसर है.
मगर, उपयुक्त प्रबन्धन के अभाव में ऐसे खनिजों पर निर्भरता लम्बे समय के लिए बढ़ सकती है, संसाधनों की होड़ में भूराजनैतिक तनाव गहरा सकते हैं, और पर्यावरणीय व सामाजिक ख़तरे भी पनप सकते हैं.
इस पृष्ठभूमि में, यूएन महासचिव ने इन खनिजों का ज़िम्मेदारी से इस्तेमाल करने, न्यायसंगत वैल्यू चेन को बढ़ावा देने के इरादे से एक आयोग का गठन किया था, जिसमें देशों की सरकारों, अन्तर-सरकारी और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों, उद्योगों व नागरिक समाज की हिस्सेदारी रही.
प्रमुख सिफ़ारिशें
विशेषज्ञों का सुझाव है कि संयुक्त राष्ट्र में एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ परामर्शदाता समूह स्थापित किया जाना होगा, ताकि नीतिगत विषयों पर सम्वाद को प्रोत्साहन मिले और खनिज वैल्यू चेन से जुड़े आर्थिक मुद्दों पर बेहतर समन्वय हो.
इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर गतिविधि का पता लगाने की क्षमता, पारदर्शिता व जवाबदेही फ़्रेमवर्क को तैयार किया जाना होगा.
उपेक्षा का शिकार, बिना स्वामित्व की खदानों के लिए एक कोष स्थापित किया जाना होगा, खदानों को बन्द करने व पुनर्वास की प्रक्रिया में वित्तीय आश्वासन को मज़बूती देनी होगी.
साथ ही, लघु स्तर पर कार्यरत खदान श्रमिकों के सशक्तिकरण के लिए पहल का सुझाव दिया गया है, ताकि वे बदलाव व विकास प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा सकें.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने आयोग से इस रिपोर्ट को बड़े पैमाने पर साझा किए जाने का आग्रह किया है और इस वर्ष, यूएन जलवायु सम्मेलन (कॉप29) से पहले इसे सदस्य देशों व अन्य हितधारकों तक पहुँचाना होगा.