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उत्तरी ग़ाज़ा में, पोलियो वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक पिलाए जाने की तैयारी

उत्तरी ग़ाज़ा में, पोलियो वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक पिलाए जाने की तैयारी

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी, विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के समन्वय में पोलियो की ख़ुराक देने की मुहिम चलाई जाएगी. इसके तहत, 10 वर्ष से कम आयु के एक लाख 19 हज़ार बच्चों को वैक्सीन के दायरे में लाने की योजना है.

मध्य और दक्षिणी ग़ाज़ा में इस मुहिम के तहत साढ़े चार लाख बच्चों को पोलियो वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक देने का काम पूरा हो चुका है. मगर, भीषण बमबारी, बेदख़ली आदेशों और मानवीय आधार पर लड़ाई में ठहराव का आश्वासन ना दिए जाने की वजह से उत्तरी ग़ाज़ा पट्टी में दूसरे चरण के लिए देरी हुई है.  

पिछले एक वर्ष से ग़ाज़ा में युद्ध जारी है और कुछ महीने पहले वहाँ कई वर्षों बाद पोलियो का मामला सामना आया था, जिसके बाद तेज़ी से टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ाया गया. 

WHO ने शुक्रवार को सचेत किया कि ज़रूरतमन्दों तक पहुँचने के मार्ग में कठिनाइयाँ हैं, और इस वजह से वैक्सीन ख़ुराक का लक्ष्य पूरी तरह से शायद हासिल ना हो पाए.

10 वर्ष से कम आयु के क़रीब 15 हज़ार बच्चे अब भी उत्तरी ग़ाज़ा के जबालिया, बेइत लाहिया और बेइत हनून में हैं मगर उन तक पहुँच पाने की सम्भावना फ़िलहाल कम है.

पोलियो वैक्सीन के सुरक्षा चक्र से उनके दूर रह जाने की वजह से इस मुहिम की सफलता पर सवाल है. बताया गया है कि पोलियो वायरस के फैलाव को रोकने के लिए बच्चों की कुल आबादी में से कम से कम 90 फ़ीसदी को ख़ुराक दिया जाना ज़रूरी होता है.

गम्भीर हालात

आपात मामलों के लिए यूएन एजेंसी की वरिष्ठ अधिकारी लुइस वॉटरिज ने यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में बताया कि ग़ाज़ा में हालात ख़राब है, रुक-रुककर धमाके हो रहे हैं.

“हालात यहाँ वास्तव में गम्भीर होते जा रहे हैं. हर जगह हताशा को देखा जा सकता है…मैंने अपने जिन सहकर्मियों से बात कही है, उन्हें नहीं पता कि अब और क्या करना चाहिए. उन्हें नहीं पता कि कहाँ जाएँ.”

यूएन एजेंसी युद्धग्रस्त ग़ाज़ा में सम्वेदनशील हालात से जूझ रहे समुदायों तक सहायता पहुँचाने में जुटी है. इसराइली संसद ने  UNRWA पर पाबन्दी लगाने के लिए हाल ही में दो विधेयक पारित किए है, जिसकी संयुक्त राष्ट्र और मानवीय सहायता समुदाय ने निन्दा की है.

यूएन एजेंसी के समर्थकों ने ज़ोर देकर कहा है कि क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी की अहम भूमिका है.

ज़रूरी सेवाएँ ठप

वहीं, यूएन मानवतावादी कार्यालय ने जानकारी दी है कि उत्तरी ग़ाज़ा में सहायता आपूर्ति व सेवाएँ लगभग पूरी तरह ठप हो चुकी हैं. इसराइली सैन्य बलों की घेराबन्दी, असुरक्षा, सीमित आपूर्ति और राहतकर्मियों के विस्थापन की वजह से राहत अभियान चुनौतीपूर्ण हो गया है.

लुइस वॉटरिज के अनुसार, पिछले कुछ सप्ताह में एक लाख से अधिक लोग सुरक्षा की तलाश में उत्तरी ग़ाज़ा से ग़ाज़ा सिटी की ओर विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं.

उन्होंने स्कूलों, इमारतों और अस्थाई आश्रय स्थलों में शरण ली है जबकि 75 हज़ार लोगों के अब भी उत्तरी ग़ाज़ा में होने का अनुमान है.

1 अक्टूबर से बिजली या ईंधन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिसके कारण जबालिया शरणार्थी शिविर में आठ में से दो जल कुँओं से ही काम चलाना पड़ रहा है. कोई बेकरी या सार्वजनिक किचन भी ठप है.

20 स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों में से केवल दो केन्द्र और दो अस्पताल में ही आंशिक रूप से काम हो पा रहा है, जबकि बचाव अभियान पूरी तरह रुक गया है.

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