यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की ओर से यह अपील, यूएन टीम द्वारा बुधवार को अल अहलि अरब और अल शिफ़ा अस्पताल पहुँचने के बाद जारी की गई है.
7 अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल में हमास के आतंकी हमलों के बाद इसराइली सुरक्षा बलों द्वारा ज़मीनी अभियान में तेज़ी लाए जाने की ख़बरें हैं और ग़ाज़ा पट्टी में हवाई कार्रवाई जारी है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में आपात मेडिकल टीम के समन्वयक श्यॉन केसी ने अल अहलि अरब अस्पताल में हालात पर जानकारी देते हुए बताया कि वहाँ मरीज़ दर्द में कराह रहे थे, और वे हमसे उन्हें पानी देने की भी गुहार लगा रहे थे.
इस अस्पताल में चिकित्सा कर्मचारियों को बिना भोजन, ईंधन और पानी के अभाव में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि यह अब एक अस्पताल के बजाय, मरणासन्न रोगियों का आश्रय स्थल नज़र आता है. मगर ऐसे केन्द्रों पर भी देखभाल का एक स्तर होता है, जोकि ग़ाज़ा के इस अस्पताल में डॉक्टर और नर्स प्रदान करने में असमर्थ हैं.
“फ़िलहाल, यह एक ऐसा स्थान है, जहाँ यदि लोगों को किसी सुरक्षित स्थान पर उनकी देखभाल के लिए नहीं ले जाया गया, तो वे अपनी मौत की प्रतीक्षा ही कर रहे होंगे.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, ग़ाज़ा में 36 स्वास्थ्य केन्द्रों में से केवल 9 में ही आंशिक रूप से कामकाज हो पा रहा है और ये सभी दक्षिणी हिस्से में स्थित हैं.
मानवीय सहायता की पुकार
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ग़ाज़ा में बद से बदतर हो रहे मानवीय संकट और स्थानीय निवासियों की पीड़ा पर विराम लगाने की आवश्यकता को फिर से रेखांकित किया है.
उन्होंने क्षोभ प्रकट किया कि गहन लड़ाई, बिजली आपूर्ति की क़िल्लत, सीमित मात्रा में ईंधन की उपलब्धता और दूरसंचार सेवाओं में व्यवधान के कारण, ग़ाज़ा में ज़रूरतमन्द आबादी तक जीवनरक्षक मदद पहुँचाने की यूएन की क्षमता पर असर हुआ है.
महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि विशाल स्तर पर मानवीय सहायता अभियान के संचालन के लिए परिस्थितियों को तत्काल स्थापित किया जाना होगा.
भूख की मार
उत्तरी ग़ाज़ा में हिंसा प्रभावित इलाक़ों का दौरा करने वाली यूएन टीम में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूएन समन्वय कार्यालय, मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय, बारूदी सुरंग कार्रवाई सेवा, सुरक्षा व सलामती विभाग के सदस्य शामिल थे.
यूएन दल ने दवाओं, नसों के ज़रिये दिए जाने वाले द्रव पदार्थ, सर्जरी व घायलों के उपचार के लिए ज़रूरी सामग्री समेत अन्य उपकरण मुहैया कराए हैं.
ग़ाज़ा में मरीज़ों तक चिकित्सा आपूर्ति की व्यवस्था की जानी अहम है, मगर भोजन और जल की क़िल्लत से हालात और चिन्ताजनक रूप धारण कर रहे हैं.
श्यॉन केसी ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि ग़ाज़ा में उन्होंने जिस किसी व्यक्ति से बात की, उसने बताया कि लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहे हैं. “हम अब भुखमरी झेल रहे लोगों का सामना कर रहा हैं, वयस्क, बच्चे, सभी, और यह असहनीय है.”
“हम जहाँ कहीं भी जाते हैं, लोग हमसे भोजन के लिए पूछ रहे हैं, अस्पताल में भी. मैंने आपात विभाग का दौरा किया, तो खुले हुए घाव वाले एक मरीज़… ने भोजन के लिए पूछा. यदि यह हताशा का संकेत नहीं है, तो मुझे नहीं पता कि और क्या होगा.”
भीषण बमबारी और झड़पें
मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय के नवीनतम अपडेट के अनुसार, हवाई, भूमि और समुद्री मार्ग से ग़ाज़ा पट्टी में भीषण बमबारी बुधवार को भी जारी रही.
सबसे अधिक गहन बमबारी की ख़बरें बेइत लहिया, ग़ाज़ा सिटी के अनेक इलाक़ों, दक्षिण में ख़ान यूनिस के पूर्वी इलाक़े और राफ़ाह सिटी के पूर्वी व पश्चिमी इलाक़ों से मिली हैं.
यूएन एजेंसी ने ज़मीनी अभियान में तेज़ी आने और इसराइली सुरक्षा बलों व फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों के बीच उत्तरी ग़ाज़ा, ग़ाज़ा सिटी समेत अन्य इलाक़ों में गहन झड़पों की बात कही है.
ग़ाज़ा में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7 अक्टबूर के बाद से अब तक 19 हज़ार 667 लोग मारे गए हैं, जिनमें से क़रीब 70 फ़ीसदी महिलाएँ व बच्चे हैं. 52 हज़ार से अधिक लोगों के घायल होने का अनुमान है, और बड़ी संख्या में लोग लापता है, जिनके मलबे में दबे होने की आशंका है.
इस अपडेट के अनुसार, 19-20 दिसम्बर के दौरान ग़ाज़ा में दो इसराइली सैनिक भी मारे गए हैं. ग़ाज़ा में ज़मीनी अभियान की शुरुआत के बाद से अब तक 134 इसराइली सैनिक मारे जा चुके हैं और 740 घायल हुए हैं.
नया आदेश
यूएन एजेंसी का अपडेट बताता है कि इसराइली सेना ने 20 दिसम्बर को एक नया आदेश जारी किया है, जिसमें ख़ान यूनिस सिटी के मध्य व दक्षिणी हिस्से के लगभग 20 फ़ीसदी को खाली करने के लिए कहा गया है.
सोशल मीडिया पर प्रकाशित एक ऑनलाइन मानचित्र में इस इलाक़े को चिन्हित किया गया है.
7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के हमले और फिर शुरू हुई लड़ाई से पहले, इस इलाक़े में एक लाख 11 हज़ार से अधिक लोग रहते थे.
यहाँ 32 आश्रय स्थल भी हैं, जिनमें एक लाख 41 हज़ार आन्तरिक रूप से विस्थापितों ने शरण ली हुई है, जिनमें से अधिकाँश पहले उत्तरी ग़ाज़ा से विस्थापित हुए हैं.