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इसराइल-फ़लस्तीन संकट पर, सुरक्षा परिषद की आपात बैठक | Security Council Meeting on Middle East

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, सुरक्षा परिषद को लिखे पत्र में, यूएन चार्टर के अनुच्छेद 99 का सन्दर्भ दिया, जो अध्याय XV का हिस्सा है. 

संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में, अनुच्छेद 99 का प्रयोग बहुत कम और केवल अति असाधारण मामलों में करते देखा गया है.

पत्र में कहा गया कि यूएन प्रमुख “सुरक्षा परिषद के ध्यान में एक ऐसा मामला लाना चाहते हैं जो उनके विचार में, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा को जोखिम में डाल सकता है.”

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि ग़ाज़ा के लोगों के सामने एक गहरी व अन्धेरी खाई है और उन्होंने ज़ोर देते हुए आहवान किया कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, इस पीड़ा का अन्त करने के लिए, “हर सम्भव कार्रवाई” करनी होगी.

उन्होंने कहा, “मैं सुरक्षा परिषद से, आम लोगों की सुरक्षा के लिए और जीवनरक्षक सहायता की तत्काल आपूर्ति के लिए, तत्काल मानवीय युद्धविराम पर ज़ोर देने में कोई क़सर बाक़ी नहीं छोड़ने का आग्रह करता हूँ.” 

एंतोनियो गुटेरेश ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, दो-देशों की स्थापना के समाधान के महत्व को भी याद किया जिसमें इसराइल फ़लस्तीन नामक दो देश, पड़ोसी बनकर शान्ति व सुरक्षा के साथ रहें.

“यह समाधान इसराइलियों, फ़लस्तीनियों के साथ-साथ अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. दुनिया व इतिहास की नज़रें इस पर टिकी हैं.”

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश, मध्य पूर्व संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए.

हमास के हमलों की ‘स्पष्ट निन्दा’

महासचिव ने 7 अक्टूबर को इसराइल में हमास के क्रूर हमलों की अपनी “निश्चित रूप से निन्दा” को भी दोहराया, और ज़ोर देकर कहा कि वह उन हमलों के दौरान, यौन हिंसा की ख़बरों से “स्तब्ध” हैं.

उन्होंने कहा, “33 बच्चों सहित लगभग 1,200 लोगों को जानबूझकर मारने, हजारों लोगों को घायल करने और सैकड़ों लोगों को बन्धक बनाने का कोई सम्भावित औचित्य नहीं है.” 

उन्होंने कहा, “साथ ही, हमास द्वारा की गई क्रूरता, फ़लस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ सामूहिक सज़ा को कभी भी उचित नहीं ठहरा सकती है.”

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “अलबत्ता, हमास द्वारा इसराइल में अन्धाधुन्ध रॉकेट हमले और मानव ढाल के रूप में आम लोगों का प्रयोग किया जाना, युद्ध के क़ानूनों का उल्लंघन है, लेकिन हमास के ये कृत्य, इसराइल को भी इन क़ानूनों के उसके उल्लंघन मुक्त नहीं करता है.”

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून में, आम लोगों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने का दायित्व शामिल है कि आम लोगों की आवश्यक ज़रूरतें पूरी होनी चाहिए, जिसमें मानवीय राहत की निर्बाध आपूर्ति की सुविधा भी शामिल है.

‘मानव पिनबॉल’ का आतंक

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि ग़ाज़ा में विनाशकारी स्थिति दिन पर दिन बदतर होती जा रही है. इसराइल के सैन्य हमलों की शुरुआत के बाद से, 17,000 से अधिक फ़लस्तीनियों के मारे जाने की ख़बरें हैं, जिनमें 4,000 से अधिक महिलाएँ और 7,000 बच्चे हैं. हज़ारों लोगों के घायल होने की ख़बर है और बहुत से लोग लापता हैं, उनके मलबे के नीचे दबे होने की आशंका है.

ग़ाज़ा की लगभग 85 प्रतिशत आबादी विस्थापित हो चुकी है; अस्पताल, स्कूल और संयुक्त राष्ट्र की सुविधाएँ क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गई हैं.

एंतोनियो गुटेरेश ने बताया कि भुखमरी और अकाल का भी गम्भीर ख़तरा है. “उत्तरी ग़ाज़ा में आधी आबादी और दक्षिणी इलाक़े में एक तिहाई से अधिक विस्थापित लोग “भूख से मर रहे हैं”.

उन्होंने कहा कि इसराइल के हवा, ज़मीन और समुद्र से हमले तीव्र, निरन्तर और व्यापक स्तर पर जारी हैं. ग़ाज़ा में लोगों को “मानव पिनबॉल की तरह भटकने के लिए कहा जा रहा है – दक्षिणी इलाक़े में छोटे-छोटे टुकड़ों के बीच, जीवित रहने के बुनियादी साधनों के बिना ही.

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