क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र और इसराइल पर अन्तरराष्ट्रीय जाँच आयोग ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें इसराइल के अवैध क़ब्ज़े को ख़त्म कराने के लिए इसराइल, तीसरे पक्षीय देशों और संयुक्त राष्ट्र की बाध्यताओं या ज़िम्मेदारियों का विवरण दिया गया है.
यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा गठित इस आयोग की अध्यक्ष नवी पिल्लई ने कहा है, “इसराइल की अन्तरराष्ट्रीय स्तर की ग़लत गतिविधियाँ, एक देश के रूप में ना केवल इसकी बल्कि तमाम देशों की ज़िम्मेदारियों को वजूद में लाती हैं.”
नवी पिल्लई ने कहा है, “तमाम देश, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इससराइल के क्षेत्रीयता या सम्प्रभुता के दावों को, मान्यता देने के लिए बाध्य नहीं हैं.”
इस आयोग की पूर्ण रिपोर्ट यहाँ पढ़ी जा सकती है.
देशों को इसराइल को मदद रोकनी होगी
नवी पिल्लई ने आयोग के इस स्थिति पत्र के बारे में और विवरण देते हुए कहा कि देशों को यह दिखाना होगा कि इसराइल और क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र से सम्बन्धित उनकी गतिविधियाँ किस तरह से भिन्न हैं.
उन्होंने एक उदाहरण पेश करते हुए ध्यान दिलाया कि किसी कोई भी देश, येरूशेलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता नहीं दे और ना ही वहाँ अपने राजनयिक प्रतिनिधि तैनात करे, क्योंकि येरूशेलम को, फ़लस्तीनी अपने भविष्य के देश की राजधानी रखने का दावा करते हैं.
ध्यान रहे कि पूर्वी येरूशेलम भी, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र का एक हिस्सा है.
आयोग की अध्यक्ष नवी पिल्लई ने कहा कि इसके अतिरिक्त तमाम देशों को, फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इसराइल के ग़ैर-क़ानूनी क़ब्ज़े को क़ायम रखने के लिए किसी तरह की सहायता भी नहीं करनी चाहिए, इसमें वित्तीय, सैन्य और राजनैतिक सहायता या समर्थन शामिल है.
संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई
आयोग के इस स्थिति पत्र में यह भी बताया गया है कि यूएन महासभा और सुरक्षा परिषद, फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इसराइल के क़ब्ज़े को जल्द से जल्द ख़त्म कराने के लिए उठाए जाने वाले सटीक क़दमों की किस तरह शिनाख़त कर सकते हैं और उन्हें किस तरह लागू भी कर सकते हैं.
आयोग ने पाया है कि क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में इसराइल की नीतियों और गतिविधियों से होने वाले क़ानूनी परिणामों पर, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के परामर्शकारी मत का आधिकारिक महत्व है और वो यह बताने में बिल्कुल स्पष्ट है कि क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र पर, इसराइल की मौजूदगी जारी रहना, ग़ैर-क़ानूनी है.
आयोग की अध्यक्ष नवी पिल्लई ने कहा है कि आयोग ने सदैव ये कहा है कि निरन्तर जारी टकराव और हिंसा के चक्रों का मूल कारण, क़ब्ज़ा है.”
उन्होंने ध्यान दिलाया कि आयोग ने, वर्ष 2022 में यूएन महासभा को जो रिपोर्ट सौंपी थी इसमें निष्कर्ष दिया गया था कि फ़लस्तीन क्षेत्र पर इसराइल का क़ब्ज़ा अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत अवैध है.
उन्होंने कहा, “आयोग, संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के उच्चतम न्यायालय की तरफ़ से जारी किए गए ऐतिहासिक परामर्शकारी मत का स्वागत करता है.”
इसराइली क़ब्ज़ा ख़त्म करने के लिए काम करें
नवी पिल्लई ने, यूएन महासभा के 13 सितम्बर 2024 को पारित प्रस्ताव को लागू किए जाने की पुकार लगाते हुए कहा है कि सभी देशों पर यह बाध्यता है कि वो फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इसराइल के ग़ैर-क़ानूनी क़ब्ज़े का अन्त कराने और फ़लस्तीनी लोगों को आत्म-निर्णय के अधिकार को वास्तविकता में बदलने के लिए, निकट सहयोग के साथ काम करें.
यूएन महासभा ने 17 सितम्बर को, अपने 10वें विशेष आपात सत्र में यह प्रस्ताव पारित किया था जिसमें फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इसराइल के अवैध क़ब्ज़े को एक वर्ष के भीतर ख़त्म करने का आहवान किया गया है.
महासभा द्वारा पारित इस प्रस्ताव के बारे में अधिक जानकारी यहाँ पढ़ी जा सकती है
यूएन मानवाधिकार परिषद ने मई 2021 में इस आयोग की स्थापना को मंज़ूरी दी थी जिसे, पूर्वी येरूशेलम सहित क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में, और इसराइल में, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के उल्लंघनों के तमाम आरोपों; और 13 अप्रैल 2021 तक व उसके बाद, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के दुरुपयोग व उल्लंघनों के आरोपों की जाँच करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.