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इसराइल के सम्भावित क़ानून से, UNRWA पर पाबन्दी होगी ‘एक त्रासदी’, गुटेरेश की चेतावनी

इसराइल के सम्भावित क़ानून से, UNRWA पर पाबन्दी होगी ‘एक त्रासदी’, गुटेरेश की चेतावनी

उन्होंने मध्य पूर्व की स्थिति पर यूएन मुख्यालय में प्रैस वार्ता में कहा कि इस एजेंसी ने ग़ाज़ा युद्ध के दौरान पिछले एक वर्ष के दौरान ग़ाज़ा में जो अत्यावश्यक जीवन रक्षक सहायता मुहैया कराई है, वो अतीत से भी कहीं अधिक अहम साबित हुई है.

यूएन महासचिव ने सुरक्षा परिषद चैम्बर के बाहर प्रैस वार्ता में कहा, “इसीलिए मैंने इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू को सीधे पत्र लिखा है जिसमें इन विधेयकों पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गई है जो UNRWA को क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में अपना बेहद अहम और जीवरक्षक सहायता कार्य जारी रखने से रोक देंगे.”

उन्होंने कहा कि इस तरह के उपायों से, ग़ाज़ा और पूरे क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में पीड़ाओं और तनावों को दूर करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का दम घुट जाएगा.

यूएन प्रमुख ने आगाह करते हुए कहा कि “ऐसी स्थिति, पहले से ही महाआकार की विपदा बन चुके हालात में एक और त्रासदी होगी.”

मानवीय सहायता में UNRWA की अखंड भूमिका

यूएन प्रमुख की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब ग़ाज़ा में युद्ध, घातक और अत्यन्त पीड़ादायक दूसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है और यह युद्ध मध्य पूर्व में फैलना का भी जोखिम बढ़ गया है.

उन्होंने कहा है कि अगर इसराइली संसद में यह विधेयक पारित होकर क़ानून बन गया तो अन्तरराष्ट्रीय मानवीय सहायता कार्रवाई के लिए एक अत्यन्त गम्भीर झटका होगा.

यूएन प्रमुख ने बताया कि UNRWA की गतिविधियाँ इस मानवीय सहायता कार्रवाई का अटूट हिस्सा रही हैं, किसी एक यूएन एजेंसी को, अन्य एजेंसियों से अलग करना, सम्भव नहीं है.

इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में युद्ध के दौरान, UNRWA ने जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराई है.

सहायता और सेवा कार्य जोखिम में

यूएन प्रमुख ने कहा कि सम्भावित क़ानून असल में, लाखों लोगों की मदद करने में सक्रिय यूएन सहायता क़ाफ़िलों, कार्यालयों और आश्रय स्थलों को संरक्षण के लिए, समन्वय को ख़त्म कर देगा.

उन्होंने कहा कि UNRWA के बिना, भोजन, आश्रय व स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराना ठप हो जाएगा, जबकि लगभग छह लाख बच्चों से ऐसी एक मात्र एजेंसी छिन जाएगी जो उनकी शिक्षा को फिर से आरम्भ कर सकती है, और इन हालात से एक पूरी पीढ़ी का भाग्य जोखिम में पड़ जाएगा.

उससे भी अधिक पश्चिमी तट में भी स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सेवाएँ  भी ठप हो जाएंगी.

शान्ति प्रयासों के लिए सम्भावित झटका

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि अगर ये विधेयक संसद में पारित हो कर क़ानून बन जाते हैं तो ये यूएन चार्टर के विरुद्ध होगा और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत इसराइल की ज़िम्मेदारियों का भी उल्लंघन होगा, जिन्हें किसी देश का क़ानून बदल नहीं सकता.

उन्होंने कहा, “और अगर राजनैतिक रूप से देखें तो इस तरह का क़ानून टिकाऊ शान्ति प्रयासों और दो राष्ट्रों की स्थापना के समाधान के लिए, बहुत बड़ा झटका होगा – जिससे और भी अधिक अस्थिरता और असुरक्षा के हालात बनेंगे.”

ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब ग़ाज़ा में स्थिति, यूएन प्रमुख के शब्दों में, “मृत्यु का कुचक्र” बन गई है. उन्होंने ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े की स्थिति की तरफ़ ध्यान दिलाया, जहाँ हाल के दिनों में इसराइल के सैन्य अभियान सघन हुए हैं.

यूएन प्रमुख ने बताया कि आवासीय इलाक़ों पर हमले किए गए हैं, अस्पतालों को ख़ाली करने के लिए कहा गया है, और बिजली बन्द हो गई, जबकि ईंधन और व्यावसायिक सामान को अन्दर आने की अनुमति नहीं है.

इसके अतिरिक्त लगभग चार लाख लोगों को एक बार फिर जबरन विस्थापित करके उन्हें दक्षिणी इलाक़े की तरफ़ बेजा जा रहा है जहाँ पहले ही बहुत भीड़ है, वहाँ भारी प्रदूषण है और जीवित रहने के लिए बुनियादी चीज़ों व सुविधाओं की कमी है.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “निष्कर्ष स्पष्ट है: यह युद्ध जिस तरीक़े से लड़ा जा रहा है, उसमें कुछ बुनियादी त्रुटियाँ हैं. लोगों को बेदख़ली के आदेश जारी करने से उन्हें सुरक्षा नहीं मिलती, जबकि उनके लिए कोई स्थान सुरक्षित ही नहीं है, कोई आश्रय स्थल नहीं है, भोजन, दवाएँ और पानी तक नहीं है.”

यूएन महासचिव ने कहा, “ग़ाज़ा में कोई स्थान सुरक्षित नहीं है और कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है.”

इसराइल ने लेबनान की राजधानी में भी भीषण हमले किए हैं, जिनमें जानमाल का भारी नुक़सान हुआ है.

© UNICEF/Dar al Mussawir/Ramzi Haidar

अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का पालन करें

यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून बिल्कुल स्पष्ट है कि हर जगह आम लोगों का सम्मान व सुरक्षा किए जाने चाहिए, और उनकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी होनी चाहिए जिनमें मानवीय सहायता की आपूर्ति के ज़रिए इन ज़रूरतों को पूरा किया जाना भी शामिल है, साथ ही तमाम बन्धकों को रिहा किया जाए.

इस बीच, दक्षिणी ग़ाज़ा में अत्यधिक भीड़ है, जहाँ ज़रूरी चीज़ों की उपलब्धता बहुत कम है और इसराइल ने केवल एक सीमा चौकी – कैरेम शेलॉम से ही सहायता सामग्री की आपूर्ति की अनुमति दी हुई है. मानवीय सहायता कर्मियों को भी असुरक्षित, हिंसक हालात के साथ-साथ सामान की हताशा भरी छीना-झपटी का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही सार्वजनिक क़ानून और व्यवस्था भी बिखर गई है.

‘युद्ध का अखाड़ा’

यूएन महासचिव ने पिछले कुछ महीनों के दौरान बार-बार चेतावनी दी है कि युद्ध के मध्य पूर्व क्षेत्र में दीगर फैलने का जोखिम है.

उन्होंने क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट में बढ़ती हिंसा और लेबनान में हमलों से वृहद क्षेत्र में युद्ध फैलने के जोखिम की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा कि मध्य पूर्व एक ऐसा अखाड़ा बनकर रह गया है जहाँ अनेक पक्ष कुश्तियाँ खेल रहे हैं.

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