इसराइल के एक प्रमुख मीडिया संस्थान के अनुसार, यह वीडियो सम्भवतः इसराइल के स्दे तीमान बन्दी शिविर में इसराइली सैनिकों के कथित कृत्यों को दिखाती है, जिनके लिए 29 जुलाई को 9 सैनिकों को गिरफ़्तार किया गया.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने हाल के महीनों ऐसी अनेक वीडियो प्राप्त की हैं जिनमें इसराइल द्वारा हिरासत में लिए गए फ़लस्तीनी लोगों के अधिकारों का व्यापक पैमाने पर हनन हुआ है, जिनमें बुरा बर्ताव, उत्पीड़न यौन हिंसा और बलात्कार जैसे कृत्य शामिल हैं.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने इसराइल द्वारा फ़लस्तीनी लोगों के साथ हिरासत में किए जाने वाले अमानवीय बर्ताव के मुद्दे पर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवीय क़ानूनों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन के मामले दिखाए गए हैं.
इनमें फ़लस्तीनियों के विरुद्ध यौन और लिंग आधारित हिंसा, उन्हें उनकी आज़ादी से वंचित किया जाना भी शामिल है, जिनमें से कुछ कृत्य तो युद्ध अपराध की श्रेणी में भी रखे जा सकते हैं.
‘इसराइली जेलों में अमानवीय अपराध’
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने गत सोमवार को चेतावनी दी थी की इसराइल की स्दी तीमान (Sde Teiman) जेल में फ़लस्तीनी बन्दियों के साथ यातना और यौन हिंसा किए जाने की कथित ख़बरें एक बहुत बड़े संकट की मामूली झलक भरदिखाती हैं. उन्होंने फ़लस्तीनी बन्दियों के ख़िलाफ़ मानवाधिकार उल्लंघनों की ख़बरों पर दंडमुक्ति को समाप्त करने के लिए तुरन्त कार्रवाई किए जाने का आग्रह भी किया.
विशेषज्ञों ने कहा कि इसराइल द्वारा दशकों से बन्दी बनाए गए फ़लस्तीनियों के साथ व्यवस्थित ढंग से और बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार किए जाने और मनमाने तरीक़े से फ़लस्तीनी लोगों को गिरफ़्तार किए जाने के साथ-साथ, 7 अक्टूबर 2023 के बाद, इसराइल द्वारा इन गतिविधियों पर किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं लगाए जाने से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आती है, जो पूर्ण दंडमुक्ति से और भी मज़बूत होती है.
अन्तरराष्ट्रीय निगरानी ज़रूरी
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञौं ने कहा कि अब स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार पर्यवेक्षकों की उपस्थिति आवश्यक है. इसराइल द्वारा फ़लस्तीनी क़ैदियों के ख़िलाफ़ घिनौने मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकने और समाधान करने में विफलता को देखते हुए, उन्हें दुनिया की नज़रों में लाना होगा.
विशेषज्ञों को क्रूर अमानवीय स्थितियों के बीच बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार, यातना, यौन उत्पीड़न और बलात्कार की प्रामाणिक रिपोर्टों मिली हैं, जिनमें कम से कम 53 फ़लस्तीनी लोगों के मारे जाने की ख़बरें सामने आई हैं.
पिंजरों में बन्द नग्न फ़लस्तीनी क़ैदी
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त स्वतंत्र विशेषज्ञों ने बताया कि लगभग साड़े 9 हज़ार फ़लस्तीनी लोग, इस समय में क़ैद हैं, जिनमें सैकड़ों बच्चे और महिलाएँ भी हैं. इन क़ैदियों में से एक तिहाई लोग, बिना आरोप या मुक़दमे के ही बन्द हैं.
विशेषज्ञों ने बताया कि अज्ञात संख्या में लोगों को इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में गिरफ़्तारियों और “अपहरण अभियानों” की लहर के बाद, मनमाने ढंग से हिरासत केन्द्रों और अस्थाई शिविरों में रखा गया है.
पुरुषों और महिलाओं ने असंख्य गवाहियों में बताया कि बन्दियों को पिंजरे जैसी जगहों में रखा जाता है, और उन्हें आँखों पर पट्टी बांधकर व डाइपर पहनाकर बिस्तर से बांध कर नग्न कर दिया जाता है.
बंदियों को पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल, भोजन, पानी और नींद से वंचित कर दिया जाता है.
कुछ बंदियों ने कथित तौर पर अपने जननांगों पर बिजली के झटके झेले हैं, साथ ही सिगरेट से जलाने की घटनाएँ भी सामने आई हैं.
कुछ भुक्तभोगियों ने बताया कि तेज़ संगीत बजाकर उनके कानों को लहूलुहान करने के साथ ही, कुत्तों से हमला किया गया था, पानी में डूबने का आभास (Waterboarding) कराया गया था, छत से लटकाया गया था और गम्भीर यौन व लिंग आधारित हिंसा का सामना भी करना पड़ा था.
विशेषज्ञों ने कहा कि एक फ़लस्तीनी बन्दी के साथ सामूहिक बलात्कार किए जाने की ख़बरों को इसराइल के राजनैतिक पटल और समाज के कुछ लोगों की आवाज़ों से समर्थन मिलना, इस बात का अकाट्य सबूत पेश करता है कि “नैतिक दिशा भटक“ गई है.
अतीत में चेतावनियों की अनदेखी
फ़रवरी 2024 में, अनेक मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इसराइली हिरासत में फ़लस्तीनी महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ यौन व अन्य प्रकार की लैंगिक हिंसा की रिपोर्टों पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की थी.
इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ फ़्रांसेस्का अल्बानीज़ ने 2023 में इसराइल की हिरासत प्रथाओं की जाँच की थी और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से हस्तक्षेप करने का आहवान किया था.
उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) से मानवता के ख़िलाफ़ एक ठोस अपराध की जाँच करने का भी आहवान किया था.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने गत सोमवार को कहा कि उन्हें खेद है कि इस आहवान पर ध्यान नहीं दिया गया.
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि यातना कृत्य स्पष्ट रूप से अवैध हैं और अन्तरराष्ट्रीय अपराध का रूप हैं, फिर भी ये गतिविधियाँ, इसराइल की कुख्यात हिरासत और यातना प्रणाली का हिस्सा हैं.
दमनकारी हिरासत नीतियाँ
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने जुलाई 2024 के अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के निर्णय (अभिमत) का हवाला देते हुए कहा कि अधिकांश फ़लस्तीनी बन्दी “एक अवैध क़ब्ज़े के वास्तविक बन्धक” हैं.
ICJ के इस अभिमत में फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इसराइल के क़ब्ज़े के क़ानूनी परिणामों पर चर्चा की गई थी. इसी सन्दर्भ में, मानवाधिका विशेषज्ञों ने इसराइली क्षेत्र में सभी प्रथाओं और नीतियों पर निगरानी और जवाबदेही की मांग की है.
चुप्पी तोड़ने का आहवान
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने फ़लस्तीनी बन्दियों के साथ इसराइल के कथित दुर्व्यवहार और यातना की गवाही देने वाली रिपोर्टों के सामने आने के बाद भी, सदस्य देशों की चुप्पी की आलोचना करते हुए, इसराइल पर अधिक दबाव डालने की मांग की है, ताकि फ़लस्तीनी बन्दियों के लिए क़ानूनी पहुँच, निगरानी, और सुरक्षा की एक संगठित प्रणाली को लागू किया जा सके.
विशेषज्ञों ने कहा कि तत्काल विशेष प्रक्रियाओं के तहत मानवाधिकार परिषद को ये मांग करनी चाहिए की फ़लस्तीनियों को बन्दी बनाने वाली सुविधाओं में शासनादेश धारक संगठनों व संस्थाओं और आयोगों को भेजा जाए.
ये मानवाधिकार विशेषज्ञ, अपनी व्यक्तिगत क्षमता में काम करते हैं, वो यूएन स्टाफ़ नहीं होते हैं और उन्हें उनके इस काम के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.