विश्व ड्रग रिपोर्ट में कैनेबिस (भांग) को क़ानूनी स्वीकृति देने से हुए असर पर भी आँकड़े शामिल किए गए हैं. साथ ही, ड्रग्स के उपयोग पर एक ऐसे दृष्टिकोण की वकालत की गई है, जिसमें मानवाधिकारों पर बल दिया गया हो.
Angela Me, head of social affairs at UNODC, sat down with Conor Lennon from UN News to discuss some of the study’s main findings.
यूएन न्यूज़ के कॉनर लेनन ने UNODC में सामाजिक मामलों की प्रमुख, एंजेला मे के साथ इस रिपोर्ट के मुख्य बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की.
यूएन न्यूज़: इस रिपोर्ट में कैनेबिस (भांग) को क़ानूनी स्वीकृति देने के प्रभावों को लेकर क्या कहा गया है?
एंजेला मे: यह स्पष्ट है कि क़ानूनी स्वीकृति मिलने के बाद, अमेरिका और कैनेडा में, कैनेबिस का रोज़मर्रा के जीवन में इस्तेमाल बढ़ा है, और लोग इसका अधिकाधिक उपयोग करने लगे हैं. इसका अर्थ यह भी है कि ज़्यादा लोग नशीली दवाओं से सम्बन्धित बीमारियों का इलाज ढूँढ रहे हैं.
और कुछ अध्ययनों में यह भी देखा गया है कि आत्महत्या के प्रयास, आत्महत्या करने या मनोविकृति से जुड़े, मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी मामले अधिक संख्या में सामने आ रहे हैं.
यूएन न्यूज़: क़ानूनी स्वीकृति की वकालत करने वालों का कहना है कि इससे आपराधिक न्याय प्रणाली में लम्बित मामलों में कमी आएगी, क्योंकि अब लोग इसके छोटे-मोटे इस्तेमाल के लिए दोषी नहीं ठहराए जा सकेंगे. क्या आपके विचार में यह बात सही है?
एंजेला मे: उदाहरण के लिए, उत्तरी अमेरिका, जहाँ कैनेबिस को क़ानूनी स्वीकृति दी हुई है, वहाँ यह सच है कि कैनेबिस के लिए होने वाली गिरफ़्तारी की दर में गिरावट आई है. लेकिन यह जानना भी दिलचस्प होगा कि इससे कई लोग जिन नस्लीय असमानताओं को ख़त्म करना चाहते थे, उसमें कोई सफलता नहीं मिली.
इसलिए, कहा जा सकता है कि प्रभाव हमेशा सकारात्मक या नकारात्मक नहीं होता.
वैज्ञानिक व चिकित्सा उद्देश्यों से जुड़ी दवाओं के बीच उचित सन्तुलन बनाना और यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि यह दवाएँ पूर्णत: अनियंत्रित न हों, जिससे वो सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा में सक्षम हों.
क्योंकि, जैसाकि हम जानते हैं, नियंत्रित दवाओं के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं, ख़ासतौर पर जब इनका उपयोग बार-बार किया जाता है.
यूएन न्यूज़: एक और नियंत्रित पदार्थ है, कोकेन. मेथ जैसी सिंथेटिक ड्रग समेत, इसमें तेज़ी से वृद्धि देखने को मिली है. रिपोर्ट में इसके क्या कारण बताए गए हैं?
एंजेला मे: माँग व आपूर्ति को लेकर, बाज़ार में अचानक बदलाव देखने को मिला है. यह सब आरम्भ हुआ, योरोप के आपराधिक परिदृश्य में परिवर्तन से. इसमें पहले, इटली के समूहों का एकाधिकार होता था, लेकिन अब छोटे समूहों ने इसमें सेंध लगा दी है, ख़ासतौर पर बालकन क्षेत्र के गुटों ने.
इन समूहों ने मैक्सिको व कोलम्बिया के आपूर्तिकर्ताओं का भरोसा जीतना शुरु किया और प्रतिस्पर्धा बढ़ने से, क़ीमतें घटने लगीं. इससे योरोप में उपलब्धता बढ़ी और माँग में वृद्धि हुई.
सप्लाई की तरफ़ देखें तो FARC गुट के साथ कोलम्बिया की शान्ति प्रक्रिया से, देश में सक्रिय गुटों के काम करने के तरीक़ों पर असर पड़ा और अधिक गुट बाज़ार में उतर आए. साथ ही, कोकेन उत्पादन के औद्योगिकीकरण से आपूर्ति भी बढ़ गई.
तो अब हम एक ऐसे दुष्चक्र में फँस गए हैं, जिसमें ज़्यादा आपूर्ति से माँग बढ़ी है, जिससे आपूर्ति और भी बढ़ रही है.
यूएन न्यूज़: क्या शौकिया इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के इस्तेमाल पर संयुक्त राष्ट्र की कोई स्पष्ट राय है?
एंजेला मे: संयुक्त राष्ट्र की राय, अन्तरराष्ट्रीय ड्रग्स कन्वेंशन पर आधारित है. संगठन का लक्ष्य, आम लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है. उपचार की बजाय मन बहलाव के लिए उसका उपयोग करने का मतलब है, कुछ ऐसे तरीक़ों से पदार्थों का सेवन करना, जो हानिकारक हो सकते हैं.
उदाहरण के लिए, अगर आप कैनेबिस का नियमित सेवन करने वाले किसी युवा व्यक्ति के मस्तिष्क का स्कैन देखें, तो आपको उसका असर स्पष्ट नज़र आएगा.
हम जानते हैं कि 25 साल की उम्र तक मस्तिष्क का विकास होता रहता है. इसलिए, कैनेबिस समेत हम जिस भी पदार्थ का सेवन करते हैं, उससे विकास की प्रक्रिया नष्ट हो सकती है, जिसके परिणाम उस व्यक्ति को जीवन भर भुगतने पड़ सकते हैं.
यूएन न्यूज़: मादक पदार्थों के व्यापार का मानवाधिकार पहलू क्या है?
एंजेला मे: संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित करने के प्रयास करता है कि ड्रग्स का सेवन करने वाले लोगों को मेडिकल सुविधाओं तक पहुँच हासिल हो, वो भी इस तरह कि उनकी गरिमा व गोपनीयता सुरक्षित रहे, और नशा करने की वजह से वे तथाकथित कलंक का शिकार ना हों. ना ही उनके साथ किसी तरह का भेदभाव हो.
हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आपराधिक न्याय व्यवस्था में दोषियों के मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए, उनके लिए निष्पक्ष ढंग से अदालती कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. साथ ही, अपराध की गम्भीरता के आधार पर ही उन पर प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई की जाए.