यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने हर साल 2 अक्टूबर को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौक़े पर अपने सन्देश में कहा है कि दुनिया भर में टकराव तबाही मचा रहे हैं.
उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी का विश्वास था कि अहिंसा, मानवता के पास उपलब्ध सबसे महान शक्ति है – किसी भी हथियार से कहीं अधिक ताक़तवर.”
“आइए, एक साथ मिलकर, हम उस उत्कृष्ट विचार को समर्थन देने के लिए संस्थानों का निर्माण करें.”
यूएन प्रमुख ने कहा, “यूक्रेन से लेकर सूडान, मध्य पूर्व और उससे भी परे, युद्ध ने विध्वंस, बेबसी, और भय का नरक जैसा माहौल बना दिया है.”
उन्होंने कहा कि असमानता और जलवायु संकट, शान्ति की बुनियादों को कमज़ोर कर रहे हैं. और ऑनलाइन मंचों पर फैलाई जाने वाली नफ़रत, अब सड़कों पर भी नज़र आ रही है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि सितम्बर में हुए “भविष्य के सम्मेलन” ने आशा का संचार किया है. देशों ने बहुपक्षवाद में एक नई जान फूँकने की ख़ातिर बुनियादी काम शुरू करने के लिए एकजुटता दिखाई, एक ऐसा बहुपक्षवाद जो बदलती दुनिया में शान्ति को समर्थन देने के लिए समर्थ हो.
इनमें टकराव के बुनियादी कारणों पर नया ध्यान दिया जाना भी शामिल है, जिनमें असमानता से लेकर निर्धनता और विभाजन शामिल हैं.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि अब देशों को उन संकल्पों को वास्तविकता में तबदील करने की ज़रूरत है.