नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार समेत प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2023-24 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रहने की शुक्रवार को सराहना करते हुए कहा कि यह आंकड़ा ‘सभी अनुमानों एवं पूर्वानुमानों से ऊपर’ है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी-मार्च तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत बढ़ी, जिससे समूचे वित्त वर्ष की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत हो गई।
वृद्धि दर
कुमार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के इस आंकड़े पर कहा कि लगातार तीसरे साल भारत ने बाकी सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल की है। इस दौरान विनिर्माण और खनन क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई।
बड़ी अर्थव्यवस्था
जी-20 समूह में भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने भी कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करना जारी रखे हुए है। कांत ने कहा, “यह असाधारण प्रदर्शन भारत की मजबूत आर्थिक गति और लचीलेपन का प्रमाण है।”
प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की सदस्य शमिका रवि ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “एक बार फिर अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए चौथी तिमाही में भारत की जीडीपी 7.8 प्रतिशत बढ़ी और समूचे वित्त वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत रही। यह एक बार फिर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।”
गति बनाए रखने की उम्मीद
क्रिसिल लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, “भारत की वृद्धि में उछाल ने अचरज में डालना जारी रखा है। ऐसा कृषि क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के बावजूद हुआ है।” उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने एक बयान में कहा कि जीडीपी वृद्धि ने आशावादी उम्मीदों को भी पीछे छोड़ दिया है और इसके चालू वित्त वर्ष में भी गति बनाए रखने की उम्मीद है।
उच्च वृद्धि बने रहने की संभावना
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “वित्त वर्ष 2024-25 में शुद्ध अप्रत्यक्ष करों में उच्च वृद्धि बने रहने की संभावना नहीं है। इसलिए हमें उम्मीद है कि सालाना आंकड़ों के संदर्भ में जीडीपी और जीवीए वृद्धि दर एक-दूसरे के करीब होंगी।”