अब गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में भी कर्ज का लेन-देन हो सकेगा। केंद्रीय बैंक rbi ने आज इससे जुड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिया। केंद्रीय बैंक ने इसके दिशा-निर्देशों से जुड़ा प्रस्ताव फरवरी की मौद्रिक नीतियों में पेश किया था और ड्राफ्ट 17 फरवरी को जारी किया गया था। ड्राफ्ट पर बैंकों, मार्केट पार्टिसिपेंट्स और बाकी इच्छुक पार्टियों से प्रतिक्रियाएं मंगाई गई थी। अब आज आरबीआई ने दिशा-निर्देश जारी कर भी दिए और यह तत्काल प्रभाव से लागू भी हो जाएगा। RBI के दिशा-निर्देशों के मुताबिक ट्रेजरी बिल को छोड़कर केंद्र सराकर जो भी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज जारी करती है, उसका कर्ज के रूप में लेन-देन हो सकेगा। आरबीआई का यह कदम गवर्नमेंट सिक्योरिटीज मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाने और सही वैल्यू निकालने के उद्देश्य से आया है।
ट्रेजरी बिल को गिरवी रखने का है प्रावधान
दिशा-निर्देशों के तहत आरबीआई के लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी के जरिए मिले सिक्योरिटीज समेत रेपो ट्रांजैक्शन के तहत जो सिक्योरिटीज मिला है या किसी और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज लेंडिंग (GSL) ट्रांजैक्शन के तहत जो सिक्योरिटीज मिला है, उन्हें जीएसएल के तहत उधार दिया जा सकेगा। इस प्रकार के लेन-देन के तहत ट्रेजरी बिल को बाहर रखा गया है। हालांकि ट्रेजरी बिल और राज्य सरकारों के बॉन्ड्स को इस प्रकार के लेन-देन में गिरवी रख सकेंगे। इस प्रकार के लेन-देन की न्यूनतम अवधि एक दिन होगी और अधिकतम अवधि शॉर्ट सेल्स को कवर करने के लिए निर्धारित अधिकतम अवधि होगी।
इस लेन-देन को दोनों तरफ की पार्टियां आपसी सहमति के प्लेटफॉर्म पर कर सकेंगी और इसका सेटलमेंट यानी निपटान डिलीवरी बनाम डिलीवरी के आधार पर होगा। यह सेटलमेंट क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया या किसी और ऐसी ही किसी केंद्रीय पार्टी या आरबीआई से मंजूर की हुई क्लियरिंग अरेंजमेंट के जरिए होगा। सभी प्रकार के लेन-देन को क्लियरिंग कॉरपोरेशन या RBI से अप्रूव्ड किसी और एजेंसी को 15 मिनट के भीतर बताना होगा और यह काम दोनों तरफ की पार्टियां करेंगी।
G-Sec क्या है?
अपने राजकोषीय घाटे को पाटने के लिए सरकार आम लोगों से कर्ज लेती है और यह कर्ज गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G-Sec) के रूप में लिया जाता है। इसमें सरकार आम लोगों को पहले से तय एक तारीख को पहले से तय राशि देने का वादा करती है। इस प्रकार की सिक्योरिटीज आम तौर पर शॉर्ट टर्म में तीन पीरियड यानी 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन के लिए जारी होता है और लॉन्ग टर्म में या एक साल या इससे अधिक की मेच्योरिटी अवधि के रूप में होती है। सरकार कई प्रकार के सिक्योरिटीज जारी करती है जैसे कि ट्रेजरी बिल, कैश मैनेजमेंट बिल्स (CMBs), डेटेड गवर्नमेंट सिक्योरिटीज और स्टेट डेवलपमेंट लोन्स (SDLs)।