विश्व

अफ़ग़ानिस्तान ‘कोई हताश संकट नहीं है’ बातचीत की ज़रूरत

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वय कार्यालय – OCHA की एक वरिष्ठ अधिकारी ऐडेम वोसोर्नू ने हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और युद्धग्रस्त देश सूडान का दौरा करने के बाद, न्यूयॉर्क मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “अफ़ग़ानिस्तान कोई हताश संकट नहीं है”.

ऐडेम वोसोर्नू महिलाओं के एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थीं, जिसने अफ़ग़ानिस्तान का दौरा किया. ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान में जलवायु संकट ने बड़े पैमाने पर पानी की भारी क़िल्लत पैदा कर दी है जिसके कारण खाद्य, स्वास्थ्य और पोषण की नई ज़रूरतें उत्पन्न हो गई हैं.

देश की लगभग दो करोड़ 30 लाख आबादी मानवीय सहायता पर निर्भर है, और ये संख्या वर्ष 2019 की तुलना में पाँच गुना अधिका है. लगभग डेढ़ करोड़ लोग इस समय उच्च स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. देश केन्द्रीय और उत्तरी क्षेत्रों में हाल ही में आई बाढ़ ने लोगों की तकलीफ़ों में और इज़ाफ़ा कर दिया.

साहसिक महिला सहयोगी

ऐडेम वोसोर्नू ने कहा कि देश में सत्तासीन तालेबान द्वारा, अफ़ग़ान महिला सहायता कर्मियों पर लगाई गई पाबन्दियों ने, मानवीय सहायता अभियानों की जटिलताओं को और बढ़ा दिया है.

इसी से सम्बन्धित हालात में, लगभग 14 लाख महिलाएँ और लड़कियाँ अब भी शिक्षा प्रतिबन्ध की शिकार हैं.

ऐडेम वोसोर्नू ने कहा, “हमारी साहसिक अफ़ग़ान महिला सहयोगी, मानवीय सहायता की आपूर्ति करने के दौरान, बहुत सी चुनौतियों का सामना करती हैं, और उन्हें हर दिन कामकाज के लिए जाने और वहाँ से वापिस लौटने के दौरान, अनेक ख़तरों का भी सामना करना पड़ता है.”

इस बीच, मानवीय सहायता साझीदार, इस मुद्दे पर तालेबान प्रशासन के साथ बातचीत जारी रखे हुए हैं.

महिलाओं को कामकाज करने दें

ऐडेम वोसोर्नू ने अपनी अफ़ग़ान यात्रा में, बातचीत में गतिरोध का मुद्दा भी, अनेक वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उठाया, जिनमें तालेबान के आर्थिक व विदेश मामलों के अधिकारी भी थे.

शिक्षा पर पाबन्दी के बारे में पूछे जाने पर ऐडेम वोसोर्नू ने कहा कि तालेबान प्रशासन ने वही सन्देश दोहराया कि उन्हें कुछ समय चाहिए, जबकि इसके जवाब में उनसे कहा गया कि समय ही नहीं क्योंकि संख्याएँ व आँकड़े स्थिति बयान कर रहे हैं.

ऐडेम वोसोर्नू ने कहा, “मैं इस बारे में भी बहुत बेबाक थी कि जितनी अधिक हम प्रतीक्षा करेंगे, लाखों अन्य बच्चे प्रभावित होंगे, जबकि इसका और भी अधिक प्रभाव समाज पर पड़ेगा.”

बातचीत क़ायम रखें

ऐडेम वोसोर्नू ने कहा कि अफ़ग़ान लोगों को, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तीन चीज़ों की ज़रूरत है: लगातार मानवीय सहायता; टिकाऊ समाधान, जिसमें आजीविका और कृषि समर्थन शामिल है, और तीसरी, उनकी बात सुना जाना.

उन्होंने बताया कि देश के लिए जारी $3.6 अरब की सहायता अपील के जवाब में, इस राशि का केवल 16 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त हुआ है. उन्होंने इस सन्दर्भ में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, अफ़ग़ानिस्तान में अपनी मौजूदगी और सम्पर्क बरक़रार रखने का आग्रह किया.

ऐडेम वोसोर्नू ने कहा, “अफ़ग़ानिस्तान कोई हताश संकट नहीं है. कम से मैं तो ये देख पाई कि देश के लोग उस चीज़ के लिए संघर्ष क़ायम रखे हुए हैं और जद्दोजेहद कर रहे हैं, जिसमें वो यक़ीन रखते हैं.”

“दुनिया, इस मोड़ पर अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को बेसहारा नहीं छोड़ सकती.”

सूडान में युद्ध में आम लोगों के घरों और बुनियादी ढाँचे को भारी नुक़सान पहुँचा है.

पाकिस्तान और सूडान

ऐडेम वोसोर्नू ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की ही तरह, पाकिस्तान में भी, हाल के समय में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ ने बड़ी आबादी को प्रभावित किया है. 

ऐडेम वोसोर्नू ने इस बाढ़ का सीधा असर पेशावर में कृषि परिवारों पर देखा जिनकी फ़सलें तबाह हो गई हैं और उनके बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं.

ऐडेम वोसोर्नू ने इस संवाददाता सम्मेलन में ही, सूडान में संकट की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया, जिसे उन्होंने भीषण प्रकार की पाँच चेतावनियों वाली आग क़रार दिया.

उन्होंने बताया कि सूडान में एक वर्ष से अधिक समय के युद्ध के बाद लगभग एक करोड़ 80 लाख लोग, गम्भीर स्तर के खाद्य अभाव का सामना कर रहे हैं. 50 लाख लोग भुखमरी से केवल एक क़दम दूर हैं और अकाल का जोखिम बिल्कुल असल नज़र आ रहा है. इस युद्ध के दौरान, बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का हनन भी हुआ है.

इस युद्ध में देश में लगभग 90 लाख लोगों को सुरक्षा के लिए विस्थापित होने पर मजबूर कर दिया है. कुछ लोग तो पड़ोसी देशों – दक्षिण सूडान, चाड और इथियोपिया भी जाने को विवश हुए हैं.

संयुक्त राष्ट्र, मानवीय सहायता आपूर्ति के लिए सुरक्षित पहुँच उपलब्ध कराए जाने के लिए प्रयास कर रहा है.

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