विश्व

अफ़ग़ानिस्तान: अन्तरराष्ट्रीय मानदंडों पर तालेबान की वापसी बेहद आवश्यक, यूएन मिशन प्रमुख

विशेष प्रतिनिधि और यूएन मिशन (UNAMA) की प्रमुख ओटुनबायेवा ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को अफ़ग़ानिस्तान में हालात से अवगत कराते हुए, सत्तारुढ़ तालेबान प्रशासन के साथ सम्पर्क व बातचीत जारी रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया.

तालेबान ने अगस्त 2021 में देश की सत्ता हथिया ली थी, जिसके बाद से वहाँ मानवाधिकारों के लिए स्थिति बद से बदतर हुई है. 

विशेष प्रतिनिधि के अनुसार, महिलाओं व लड़कियों के साथ व्यवस्थागत भेदभाव हो रहा है, राजनैतिक असहमति के स्वरों को दबाया जा रहा है, अल्पसंख्यकों की अर्थपूर्ण भागीदारी का अभाव है और न्यायेतर हत्याओं, मनमाने ढंग से गिरफ़्तारियों, हिरासत में लिए जाने, यातना दिए जाने का सिलसिला जारी है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान ने जिन यूएन सन्धियों पर मुहर लगाई है, उनमें उल्लिखित अन्तरराष्ट्रीय मानकों व मानदंडों की स्वीकार्यता व उनका पालन, संयुक्त राष्ट्र में स्थान पाने की एक ऐसी शर्त है, जिस पर बातचीत नहीं हो सकती.

विशेष प्रतिनिधि ओटुनबायेवा ने यूएन द्वारा स्वीकृति प्राप्त एक स्वतंत्र समीक्षा रिपोर्ट का स्वागत किया, जोकि सुरक्षा परिषद में पारित प्रस्ताव के अनुरूप मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर केन्द्रित है. 

रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारुढ़ तालेबान प्रशासन का रुख़ बहुपक्षीय तौर-तरीक़ों के बजाय, द्विपक्षीय ढंग से कोशिशों के पक्ष में है, और उसके अनुसार लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं के रोज़गार पर पाबन्दी एक अन्दरुनी मुद्दा है, जबकि इससे मानवाधिकार सन्धियों के तहत तयशुदा दायित्वों का हनन होता है. 

रोज़ा ओटुनबायेवा ने आशंका जताई कि इन परिस्थितियों में मौजूदा गतिरोध से निपटने के प्रयासों में और मुश्किलें सामने आएंगी.

यूएन मिशन प्रमुख ने कहा कि भविष्य में किसी राह पर आगे बढ़ते समय, दो बातों का ख़याल रखा जाना होगा: अफ़ग़ानिस्तान पर स्थाई व विस्तृत अन्तरराष्ट्रीय आम सहमति, और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सम्वाद के लिए सत्तारुढ़ प्रशासन की इच्छा का उपयोग.

विशेष प्रतिनिधि ने ध्यान दिलाया कि सम्वाद, वैधता प्रदान नहीं करता है. इसे असहमति अभिव्यक्त करते हुए, बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करने में इस्तेमाल किया जा सकता है. 

क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भय

विशेष प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद को अफ़ग़ानिस्तान और वृहद क्षेत्र में सुरक्षा, मानवीय संकट, शिक्षा समेत अन्य क्षेत्रों में हालात पर भी जानकारी देते हुए बताया कि तालेबान प्रशासन ने अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षा का अच्छा स्तर बनाए रखा है, हालांकि बिना विस्फोट के बिखरी हुई आयुध सामग्री एक बड़ी चिन्ता है. 

उन्होंने कहा कि शिया समुदाय के लिए विशेष रूप से जोखिम है, और हाल के कुछ महीनों में 39 सदस्य मारे गए हैं, जिसकी ज़िम्मेदारी आइसिल-केपी आतंकी गुट ने ली है. 

इस बीच, क्षेत्र में स्थित देशों ने अफ़ग़ानिस्तान से पनप रहे ख़तरों के प्रति चिन्ता जताई है. विशेष प्रतिनिधि ने पाकिस्तान का ज़िक्र किया, जिसके अनुसार सत्तारुढ़ अफ़ग़ान प्रशासन ने तहरीक़-ऐ-तालेबान पाकिस्तान की गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए पर्याप्त कोशिशें नहीं की हैं.

अफ़ग़ानिस्तान के लिए यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और यूएन मिशन की प्रमुख, रोज़ा ओटुनबायेवा.

पिछले महीने, पाकिस्तान ने वहाँ बिना दस्तावेज़ों के रह रहे अफ़ग़ानों को देश निकाला देने की प्रक्रिया शुरू की, और अब तक लगभग पाँच लाख लोगों की वापसी हो चुकी है. 

रोज़ा ओटुनबायेवा ने कहा कि मौजूदा घटनाक्रम से दोनों पड़ोसी देशों के बीच सम्बन्धों में खटास आई है. अफ़ग़ानिस्तान वापिस लौटने वाले अधिकाँश लोग निर्धन तबक़े से हैं, 80 हज़ार के पास वापिस लौटने की कोई जगह नहीं है, और महिलाओं व लड़कियों पर इसका विशेष रूप से असर हुआ है.  

गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए चुनौती

यूएन मिशन प्रमुख ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में शिक्षा की गुणवत्ता, चिन्ता का विषय है. अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने लड़कियों की शिक्षा पर लगाई गई पाबन्दी को वापिस लेने पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है, मगर शिक्षा की सुलभता व मानकों में कमी आई है और लड़के भी इससे प्रभावित हुए हैं.  

उन्होंने बताया कि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सभी उम्र की लड़कियों को मदरसे में पढ़ने की अनुमति है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वहाँ किस तरह का पाठ्यक्रम या आधुनिक विषयों को पढ़ने का अवसर होगा. 

रोज़ा ओटुनबायेवा के अनुसार, लड़कियों की एक पूरी पीढ़ी पीछे छूटती जा रही है और एक आधुनिक पाठ्यक्रम को प्रदान करने में विफलता से सत्तारूढ़ प्रशासन की आर्थिक आत्म-निर्भरता का एजेंडा लागू कर पाना असम्भव हो जाएगा. 

एक लड़का, अपने परिवार के साथ अफ़ग़ानिस्तान वापसी के लिए वाहन में इन्तज़ार कर रहा है.

गहराता मानवीय संकट

मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) के वरिष्ठ अधिकारी रमेश राजासिंहम ने बताया कि देश एक गम्भीर मानवीय स्थिति से गुज़र रह है. 

दो करोड़ 90 लाख से अधिक लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. पिछले पाँच वर्षों में यह 340 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है. इस वर्ष जनवरी से ज़रूरतमन्दों की संख्या में 10 लाख वृद्धि हुई है. 

हेरात प्रान्त में अक्टूबर में आए भूकम्पों के बाद हज़ारों परिवार अब टैंट और अस्थाई आश्रय स्थलों में रहने के लिए मजबूर हैं. पाकिस्तान से बड़ी संख्या में अफ़ग़ान नागरिकों की वापसी के दूरगामी नतीजे सामने आ सकते हैं. 

यूएन कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हाल के महीनों में स्थानीय और अन्तरराष्ट्रीय सहायता संगठनों के लिए काम कर रही महिलाओं पर अतिरिक्त सख़्ती नहीं थोपी गई हैं, मगर उनकी भूमिका को सीमित करने की कोशिशें की गई हैं. 

नेतृत्व पदों से महिलाओं को हटाने के लिए लिखित में अनुरोध भी किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि इसके बावजूद, सत्तारुढ़ प्रशासन के साथ स्थानीय स्तर पर कुछ हद तक सहयोग हो रहा है, जिसके फलस्वरूप मानवीय सहायता प्रयासों में अफ़ग़ान महिलाओं को शामिल कर पाना सम्भव हुआ है. 

Source link

Most Popular

To Top