विश्व

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस: लैंगिक पूर्वाग्रहों से निपटने के लिए नई योजना

महासचिव गुटेरेश ने इस अवसर पर आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि लैंगिक समानता को बहुत पहले ही हासिल कर लिया जाना चाहिए था, मगर अब हमें अपने कथनी के अनुरूप संसाधन भी सुनिश्चित करने होंगे.

“हमें महिलाओं व लड़कियों में निवेश करना होगा, प्रगति को पूरी मज़बूती देनी होगी और हम सभी के लिए एक बेहतर विश्व का निर्माण करना होगा.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी की नई योजना, UN System-Wide Gender Equality Acceleration Planसंयुक्त राष्ट्र प्रणाली में लैंगिक समानता प्रयासों में तेज़ी लाने पर केन्द्रित है, जिसमें यूएन के कामकाज के केन्द्र में महिलाओं व लड़कियों को रखने का संकल्प व्यक्त किया गया है.

“हम दुनिया भर में सरकारों को नीतियाँ, बजट व निवेश तैयार करने व उन्हें लागू करने में समर्थन देंगे, ताकि महिलाओं व लड़कियों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जा सके.

महिला अधिकारों पर जोखिम

यूएन महासचिव की यह नई योजना एक ऐसे समय में आई है जब विश्व के अनेक हिस्सों में महिला अधिकारों के लिए अब तक दर्ज की गई प्रगति पर ख़तरा है और विकसित व विकासशील देशों में उसकी दिशा पलटने का भी जोखिम है.

इस क्रम में, उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में स्कूलों में पढ़ाई, घरों से बाहर काम करने में लिंग-आधारित पाबन्दियों का उल्लेख किया. वहीं, गाम्बिया में महिला जननांग विकृति की हानिकारक प्रथा को क़ानूनी रूप देने पर विचार हो रहा है.

“हम जिन वैश्विक संकटों से जूझ रहे हैं, उनका महिलाओं व लड़कियों पर सबसे अधिक असर होता है, निर्धनता से लेकर भूख, जलवायु आपदाओं, युद्ध और आतंक तक.

पिछले एक वर्ष में, महिलाओं व लड़कियों को बुरी तरह प्रभावित करने वाले हिंसक टकरावों के मामलों में भयावह ख़बरें सामने आई हैं. सूडान में महिलाओं के साथ बलात्कार होने और उन्हें तस्करी का शिकार बनाए जाने के मामलों में ग़वाही दी गई, वहीं इसराइल-फ़लस्तीन टकराव के दौरान यौन हिंसा के मामले सामने आए.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि हिंसक टकराव के दौरान यौन हिंसा पर यूएन की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन ने इसराइल में हमास के आतंकी हमलों के दौरान यौन हिंसा को अंजाम दिए जाने की घटनाओं पर जानकारी जुटाई.

वहीं, फ़लस्तीनी बन्दियों के साथ भी यौन हिंसा की ख़बरें आई हैं. यह एक ऐसे समय में हो रहा है जब युद्धग्रस्त ग़ाज़ा में मातृत्व सेवाएँ दरक रही हैं.

इस संकट में अब तक एक लाख लोगों की या तो जान गई है या वे घायल हुए हैं, और इनमें अधिकाँश महिलाएँ व बच्चे हैं. 

समानता, 300 वर्ष दूर

यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि निर्धनता के विरुद्ध लड़ाई में लैंगिक पूर्वाग्रहों को दूर करना बेहद अहम है.

“बदलाव की मौजूदा दर के आधार पर, महिलाओं के लिए पूर्ण क़ानूनी समानता क़रीब 300 वर्ष दूर है,” और बाल विवाह का अन्त होने में भी समय लगेगा.

यदि बेहतरी के लिए क़दम नहीं उठाए गए तो वर्ष 2030 तक, क़रीब 34 करोड़ लड़कियों व महिलाओं के अत्यधिक निर्धनता में जीवन गुज़ारने की आशंका है, जोकि पुरुषों व लड़कों की तुलना में 1.8 करोड़ अधिक है.

“यह महिलाओं व लड़कियों का एक अपमान है और बेहतर विश्व बनाने के लिए हम सभी के प्रयासों में अवरोध है. हमें जल्द से जल्द, तेज़ी से बदलाव की रफ़्तार बढ़ानी होगी.”

 

तीन प्राथमिकताएँ

महासचिव गुटेरेश ने महिलाओं व लड़कियों के अधिकार को साकार करने के इरादे से निवेश पर बल दिया, जिसमें तीन क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए क़दम उठाए जाने होंगे.

पहला, टिकाऊ विकास के लिए पहुँच के भीतर, दीर्घकालिक वित्त पोषण में जल्द से जल्द वृद्धि करना. 

दूसरा, नई योजना में साझा किए सुझावों समेत अन्य उपायों के ज़रिये, सरकारों को महिलाओं व लड़कियों के लिए समानता देनी होगी.

तीसरा, नेतृत्व पदों पर महिलाओं की संख्या बढ़ाई जानी होगी, ताकि महिलाओं व लड़कियों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली नीतियों व कार्यक्रमों में निवेश किया जा सके.

महिलाओं का योगदान

महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था (UN Women) सीमा बहौस ने इस अवसर पर ध्यान दिलाया कि यूएन के मूल्य व सिद्धान्त, जिस तरह की चुनौतियों का सामना आज कर रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ.

“निर्धनता का एक महिला चेहरा है. जब अधिक संख्या में महिलाएँ आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं, अर्थव्यवस्थाओं का आकार बढ़ता है.”

इसी प्रकार, सशक्तिकरण से परिवारों को सर्वजन के लिए शान्ति व न्याय के साथ फलने-फूलने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. 

सीमा बहौस ने ज़ोर देकर कहा कि ग़ाज़ा में तत्काल मानवीय सहायता युद्धविराम की आवश्यकता है, चूँकि अब तक इसराइली हमलों में 9 हज़ार से अधिक महिलाओं की जान जा चुकी है.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि कुछ महीनों बाद आयोजित होने जा रही भविष्य की शिखर बैठक, महिलाओं की आवाज़ को सुनने का एक अवसर होगा, और महिलाओं व लड़कियों समेत सर्वजन के लिए एक शान्तिपूर्ण भविष्य की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा.

ग़ाज़ा में इसराइली कार्रवाई में बड़ी संख्या में महिलाएँ व लड़कियाँ हताहत हुई हैं.

ग़ाज़ा में इसराइली कार्रवाई में बड़ी संख्या में महिलाएँ व लड़कियाँ हताहत हुई हैं.

‘बस बहुत हुआ’

यूएन उपमहासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा कि लैंगिक समानता पर किसी भी तरह का मोलभाव नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने क्षोभ प्रकट किया कि ये अत्याचार, त्रासदी, पीड़ा का बोझ और त्याग, हर रोज़ घटित होता है. “हमें इस पर बात करनी होगी और वास्तव में कहना होगा कि अब बहुत हो चुका. ग़ाज़ा में बहुत हुआ. सूडान में बहुत हुआ. म्याँमार में बहुत हुआ.”

उपमहासचिव के अनुसार पिछले तीन दशकों में हुई प्रगति, ज़ख़्म पर एक पट्टी के समान है और इसलिए लैंगिक खाई को दूर करने के लिए बड़े क़दम उठाने की ज़रूरत होगी.

यूएन उपप्रमुख ने कहा कि स्थिति में सुधार के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना होगा, शान्ति वार्ताओं से लेकर नवाचारी टैक्नॉलॉजी में भागीदारी तक. महिलाओं को वार्ता की मेज़ पर लाना होगा.

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