यूक्रेन ने 26 फ़रवरी को विश्व की सर्वोच्च अदालत में दायर एक याचिका में आरोप लगाया था कि रूस अपनी सैन्य आक्रामकता को सही ठहराने के लिये, जनसंहार (genocide) की व्याख्या तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रधान न्यायिक अंग, आईसीजे ने दो के मुक़ाबले 13 मतों से फ़ैसला सुनाया कि रूस ने 24 फ़रवरी को जो सैन्य अभियान शुरू किया है उसे तत्काल रोका जाना होगा.
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के उपाध्यक्ष किरिल्ल जिवॉर्जियन (रूस) और जज शुई हैनचिन (चीन) ने इस निर्णय से असहमति जताई.
नैदरलैण्ड्स के हेग शहर में स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं.
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के फ़ैसले बाध्यकारी होते हैं, मगर समाचार माध्यमों के अनुसार रूस द्वारा इस आदेश का पालन किये जाने के सम्बन्ध में फ़िलहाल स्पष्टता नहीं है.
कोर्ट के पास प्रत्यक्ष रूप से अपने आदेश को लागू कराने के लिये कोई तरीक़ा नहीं है.
यूक्रेन की याचिका
न्यायालय ने अपने आदेश में ध्यान दिलाया है कि 26 फ़रवरी को यूक्रेन ने ‘Genocide convention’ की व्याख्या, अमल और निर्वहन सम्बन्धी एक ‘विवाद’ के मुद्दे पर, रूस के विरुद्ध एक अर्ज़ी दायर की थी.
यूक्रेन का तर्क है कि लूहान्स्क और दोनेत्स्क में लोगों के विरुद्ध जनसंहारी कृत्यों के झूठे दावे करने के बाद, रूस ने इन कथित कृत्यों को रोकने व दण्डित करने के लिये, एक विशेष सैन्य अभियान की घोषणा कर दी.
न्यायालय ने अपने फ़ैसले में रूस से तत्काल इन हमलों को स्थगित करने और सभी सैन्य अभियानों पर विराम लगाने के लिये कहा है, चूँकि वे यूक्रेन को तथाकथित जनसंहार के लिये दण्डित करने के इरादे से किये जा रहे थे.
रूस का पक्ष
न्यायालय ने कहा कि रूस ने अदालत की मौखिक प्रक्रियाओं में हिस्सा ना लेने का निर्णय लिया था और फिर उसके बाद, अपने रुख़ को पेश करने वाला एक दस्तावेज़ सौंपा गया.
इस दस्तावेज़ में कहा गया कि यह मामला न्यायालय के न्यायिक अधिकार क्षेत्र में नहीं है, और इसलिये प्रावधानिक उपायों से बचने और इस मामले को न्यायालय की सूची से हटाने का आग्रह किया गया.
न्यायालय की अध्यक्ष, अमेरिका की जज जोआन डोनोह्यू ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि अदालत ने प्रावधानिक क़दमों पर निर्णय देने के लिये, आवश्यक शर्तें पूरी की हैं.
यानि, यूक्रेन द्वारा जिन अधिकारों पर ज़ोर दिया गया है, वे सत्य प्रतीत होते हैं; जनसंहार को अंजाम नहीं दिया गया है; और तात्कालिकता की शर्त भी पूरी हुई है, चूँकि अपूरणीय पक्षपात की वजह बनने वाले कृत्य किसी भी क्षण हो सकते हैं.
आईसीजे का आदेश
आईसीजे अध्यक्ष ने कहा, “निसन्देह, किसी भी सैन्य अभियान से, विशेष रूप से उस स्तर पर, जैसाकि रूसी महासंघ ने यूक्रेन के क्षेत्र में किया है, अन्तत: जीवन हानि, मानसिक व शारीरिक हानि, और सम्पत्ति व पर्यावरण की क्षति होती है.”
उन्होंने विश्व अदालत की ओर से कहा, “मौजूदा हिंसक संघर्ष से प्रभावित नागरिक आबादी, बेहद नाज़ुक हालात में है,” और रूसी आक्रामकता के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में आम लोग हताहत हुए हैं और इमारतें व बुनियादी ढाँचा बर्बाद हुए हैं.
“हमले अब भी जारी हैं, जिनसे नागरिक आबादी के रहने के लिये लगातार कठिन हालात उत्पन्न हो रहे हैं. बहुत से लोगों के पास बुनियादी खाद्य सामग्री, पेयजल, बिजली, अति-आवश्यक दवाओं या [सर्दी में] निवाच लेने की सुलभता नहीं है.”
“बड़ी संख्या में लोग, बेहद असुरक्षित माहौल में सबसे अधिक प्रभावित शहरों से भागने की कोशिश कर रहे हैं.”
उन्होंने बताया कि सभी न्यायाधीशों ने इस बात पर सहमति जताई है कि दोनों पक्षों को ऐसे किसी भी क़दम से बचना होगा, जिससे विवाद बढ़े या लम्बा खिंचे… या फिर जिससे निपटाना और भी मुश्किल हो जाए.
विश्व अदालत
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) को विश्व अदालत के रूप में भी जाना जाता है, जोकि संयुक्त राष्ट्र का उच्चतम न्यायिक अंग है.
देशों के क़ानूनी विवाद इस न्यायालय के संज्ञान में लाए जाने के बाद उनका निपटारा अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत किया जाता है.
साथ ही अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय, संयुक्त राष्ट्र के अधिकृत अंगों और विशेषीकृत एजेंसियों द्वारा पूछे गए क़ानूनी प्रश्नों पर, परामर्श देता है.
देशों के बीच विवादों पर न्यायालय का निर्णय बाध्यकारी होता है.
नैदरलैण्ड्स के हेग शहर में स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है.