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अगर नहीं दिया इन 4 बातों पर ध्यान, तो पछतावे के सिवा कुछ नहीं लगेगा हाथ

Chanakya Niti- India TV Hindi

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Chanakya Niti

Chanakya Niti: चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वह प्राचीन भारत के एक महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और दार्शनिक गुरु थे। उन्होंने मौर्य साम्राज्य की संस्थापना की थी। चाणक्य ने अपने जीवन में बहुत सी बातें बताई है जिसे उनकी नीति के रूप में जाना जाता है। उनकी नीतियों में इतना दम है कि कोई व्यक्ति कितनी भी खराब परिस्थिति में उलझा हो उनकी नीति से उसे तुरंत मार्ग मिल जाएगा।

चाणक्य को राजनीति, अर्थशास्त्र, कूटनीति, नीतिशास्त्र और धर्मशास्त्र के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भी जाना जाता है। आज हम आपको चाणक्य की एक ऐसी नीति के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमें उन्होंने किसी भी काम को करने से पहले एक चेतावनी दी है। आखिर क्या है वो चेतावनी और क्यों दी उन्होंने आइए जानते हैं उनकी नीति के अनुसार।

आचार्य चाणक्य की निति इस प्रकार से-

कः कालः कानि मित्राणि को देशः को व्ययागमोः।


कस्याहं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुहुः॥

चाणक्य अपनी नीति में कहते हैं कि हमें इन बातों का पहले ध्यान रखना चाहिए कि कौन सा समय ठीक है, कौन-कौन मेरे सच्चे मित्र हैं, देश-स्थान कैसा है जहां में रहता हूं और क्या-क्या मेरा व्यय और आय है। इन सब बातों पर बार-बार सोच विचार व्यक्ति को करना चाहिए। वह कहते हैं कि किसी भी कार्य को करने से पहले इन सब बातों का सोच विचार कर लेना चाहिए। तभी किसी काम में आगे बढ़ना चाहिए। वह व्यक्ति को किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले आत्मचिंतन करने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि ये सब बातें अगर हमारे अनुरूप हैं तो व्यक्ति को सफल बनने से कोई नहीं रोक सकता है।

  1. समय पर विचार- आचार्य चाणक्य कहते हैं किसी भी काम को करने से पहले समय का विचार करना चाहिए। अगर कोई भी काम समय पर नहीं होता है तो अंत में असफलता ही हाथ लगती है। किसी भी कार्य के सफल होने के पीछे समय का बहुत बड़ा योगदान होता है।
  2. मित्र का विचार- व्यक्ति की सफलता के पीछे उसके सच्चे मित्रों की बहुत बड़ी भूमिका होती है। यदि अच्छे मित्रों का योगदान जीवन में मिलता है तो व्यक्ति सफलता की सीढ़ियां आसानी से चढ़ जाता है। इसलिए सच्चे मित्रों की पहचान करना बेहद जरूरी है।
  3. स्थान का विचार- चाणक्य के अनुसार उस जगह रहना चाहिए जहां व्यक्ति को रोजगार आसानी से मिल सके। इसलिए रहने से पहले स्थान के बारे में विचार करना बहुत जरूरी होता है।
  4. आय और व्यय का विचार- चूंकि चाणक्य एक कुशल अर्थशास्त्री भी हैं तो वह इस बात की भी सलाह देते हैं कि व्यक्ति को अपने आय और व्यय पर भी विचार करना चाहिए। अगर व्यक्ति की आय अधिक नहीं हैं और उसके खर्चे अधिक हैं, तो उसकी आर्थिक स्थिति डगमगा सकती है। इसलिए व्यक्ति को आय और व्यय का विचार कर लेना चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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